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भारत के खौफ से बंकर में छिपा जनरल मुनीर, पाक सेना में भीतरघात की चर्चाएं तेज!



Pakistan General Asim Munir: मंगलवार 29 अप्रैल को भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में राजधानी नई दिल्ली में एक के बाद एक चार अहम बैठकें हुईं, जिनमें सुरक्षा, कूटनीति और संभावित जवाबी कार्रवाई को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ. इन बैठकों के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है. वहां के नेता और सैन्य अधिकारी बेहद घबराए हुए हैं. कुछ पाकिस्तानी मंत्री तो आधी रात को नींद से जागकर यह दावा करने लगे कि भारत जल्द ही सैन्य कार्रवाई कर सकता है.

पाकिस्तानी मीडिया में जो खबरें चल रही हैं, उनके अनुसार सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अंडरग्राउंड हो चुके हैं और वह किसी सुरक्षित बंकर में छिपे हुए हैं. यह स्थिति तब बनी जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले की साजिश के तार जनरल मुनीर से जुड़े होने की खबरें सामने आईं. सूत्रों का कहना है कि इस हमले की योजना ISI के समर्थन से बनी और इसमें मुनीर की सीधी भूमिका थी.

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पाकिस्तान के भीतर भी जनरल मुनीर के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं. वहां के वरिष्ठ पत्रकारों, विश्लेषकों और रिटायर्ड फौजी अफसरों ने मुनीर की कट्टर और भड़काऊ सोच को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि भारत के खिलाफ नफरत फैलाने की मुनीर की नीति अब पाकिस्तान पर भारी पड़ रही है. कई जानकारों ने उनकी तुलना पूर्व तानाशाह जनरल जियाउल हक से की है, जिन्होंने 1980 के दशक में ‘ऑपरेशन टोपैक’ के जरिए कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया था.

हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में जनरल मुनीर को यह कहते सुना गया कि “कश्मीर हमारी गर्दन की नस है. हमने इसके लिए तीन युद्ध लड़े हैं और इसे नहीं भूलेंगे.” इस बयान के कुछ ही दिनों बाद पहलगाम हमला हुआ, जिसने भारत को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है. भारतीय सेना पूरी तरह अलर्ट पर है और सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी कभी भी बड़ा फैसला ले सकते हैं. ऐसी अटकलें हैं कि एक और सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी हो चुकी है.

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ISI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुप्त बातचीत में कहा कि जनरल मुनीर की सोच किसी “साइकोपैथ” जैसी है. उन्होंने सोचा था कि पहलगाम जैसा हमला उन्हें पाकिस्तानी जनता का समर्थन दिलाएगा, लेकिन उल्टा उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलनी पड़ रही है. यहां तक कि सऊदी अरब और यूएई की खुफिया एजेंसियों ने भी मुनीर के चरित्र और फैसलों पर नाराजगी जताई है.

अब सवाल यह है कि आखिर पाकिस्तान ने एक कट्टर विचारधारा वाले जनरल को सेना की बागडोर क्यों सौंपी? क्या यह सोची-समझी रणनीति थी या एक घातक भूल? फिलहाल स्थिति यह है कि मुनीर की नीतियों के कारण पाकिस्तान खुद संकट के दलदल में फंसता जा रहा है.

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