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पाकिस्तान की परमाणु धमकी, टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन क्या हैं? भारत कैसे दे सकता है जवाब?



Nuclear Weapon: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. इसी के तहत भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिसे पाकिस्तान ने युद्ध की कार्रवाई (Act of War) करार दिया है. इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है और जंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. इसी बीच पाकिस्तान लगातार भारत को परमाणु युद्ध की धमकी देकर डराने की कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में साफ तौर पर परमाणु हथियारों का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास ऐसे हथियार मौजूद हैं जिनसे वो अपने दुश्मनों को जवाब दे सकता है. इस बयान के बाद पाकिस्तान की परमाणु नीति और उसकी रणनीतिक सोच पर चर्चा शुरू हो गई है, खासकर उसके टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों (TNWs) को लेकर.

टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार क्या होते हैं?

टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार, जिन्हें सामरिक परमाणु हथियार भी कहा जाता है, पारंपरिक परमाणु बमों से आकार और विनाश की सीमा में छोटे होते हैं. इन्हें विशेष रूप से युद्ध के मैदान में सीमित क्षेत्र में दुश्मन के सैन्य ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. इनका मकसद बड़े पैमाने पर जनसंहार नहीं बल्कि एक सीमित क्षेत्र में त्वरित और प्रभावी हमला करना होता है.

पाकिस्तान ने इन्हीं हथियारों को भारत की पारंपरिक सैन्य शक्ति के खिलाफ एक रणनीतिक जवाब के रूप में विकसित किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को यह एहसास है कि वह पारंपरिक युद्ध में भारत का मुकाबला नहीं कर सकता, इसलिए उसने TNW को अपनी रक्षा नीति में शामिल किया है.

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क्यों बना पाकिस्तान ने ये हथियार?

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में TNWs का निर्माण तेज कर दिया है. इनका मकसद भारत को सीमित युद्ध या पारंपरिक सैन्य कार्रवाई से रोकना है. खास बात यह है कि इन बमों को छोटे और मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है, जिससे इन्हें युद्ध क्षेत्र में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.

पाकिस्तान का दावा है कि ये हथियार भारत की कोल्ड स्टार्ट रणनीति को रोकने के लिए बनाए गए हैं. कोल्ड स्टार्ट रणनीति के तहत भारत सीमित समय में सीमित क्षेत्र में सैन्य कार्रवाई कर सकता है, ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का समय न मिले. ऐसे में पाकिस्तान का मानना है कि TNW एक त्वरित और प्रभावी जवाब हो सकते हैं.

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कितना खतरनाक हो सकता है TNW?

भले ही टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को ‘सीमित’ माना जाता है, लेकिन इनमें भी भारी तबाही फैलाने की क्षमता होती है. इनकी शक्ति आमतौर पर 100 से 1000 किलोटन तक होती है. तुलना के लिए बताया जाए तो जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए बम की क्षमता लगभग 15 किलोटन थी. यानी पाकिस्तान के TNWs, अगर इस्तेमाल किए जाते हैं, तो 70 से 100 किलोमीटर के दायरे में पूरी तबाही मचा सकते हैं.

इनकी सबसे खतरनाक बात यह है कि पाकिस्तान ने इन्हें अपने मध्य स्तर के सैन्य अधिकारियों और क्षेत्रीय कमांडरों को सौंप दिया है, जिससे यह चिंता पैदा होती है कि किसी स्थानीय या सीमित संघर्ष के दौरान इनका अनियंत्रित या जल्दबाजी में इस्तेमाल हो सकता है.

पाकिस्तान कब करेगा इनका इस्तेमाल?

पाकिस्तान के रणनीतिक योजना प्रभाग (Strategic Plans Division – SPD) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई के अनुसार, पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल तभी करेगा जब उसे अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस होगा. उन्होंने चार प्रमुख परिस्थितियों का उल्लेख किया है:

अगर पाकिस्तान की जमीन पर कब्जा हो जाता है.

अगर उसकी थल या वायु सेना को व्यापक नुकसान पहुंचाया जाता है.

अगर उस पर आर्थिक रूप से गला घोंटने जैसा दबाव डाला जाता है.

अगर देश में गंभीर राजनीतिक अस्थिरता या आंतरिक विद्रोह पैदा किया जाता है.

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भारत की नीति क्या कहती है?

भारत की परमाणु नीति ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले प्रयोग नहीं) की है, यानी भारत पहले कभी परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा. लेकिन भारत के परमाणु सिद्धांत में यह भी कहा गया है कि अगर दुश्मन परमाणु हथियारों का प्रयोग करता है, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, तो भारत उसके जवाब में निर्णायक और व्यापक जवाब देगा.

इसका अर्थ है कि यदि पाकिस्तान TNW का भी इस्तेमाल करता है, तो भारत उसे पारंपरिक परमाणु हमला मानकर पूरे देश को जवाबी कार्रवाई में शामिल कर सकता है. आज जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, तब टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार जैसे मुद्दे बेहद संवेदनशील बन जाते हैं. पाकिस्तान इन हथियारों के सहारे भारत को डराने की रणनीति पर काम कर रहा है, लेकिन यह खेल बेहद खतरनाक है. एक बार अगर परमाणु सीमा पार हुई, तो दोनों देशों और पूरे दक्षिण एशिया के लिए इसके परिणाम विनाशकारी होंगे.

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