Indus Water Treaty: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने जो सख्त कदम उठाए हैं, उनसे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है. भारत ने 1960 से चले आ रहे सिंधु जल समझौते को पहली बार रोकने का निर्णय लिया है, इसके साथ ही पाकिस्तान के दूतावास से कर्मचारियों की संख्या कम करने, वीजा रद्द करने और सीमा को बंद करने जैसे कदम भी उठाए गए हैं. इन फैसलों से पाकिस्तान बुरी तरह से परेशान है और वह अब अपनी विदेश नीति में बदलाव के संकेत दे रहा है. पाकिस्तान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाएगा और वहां चीन और रूस जैसे देशों से मदद की गुहार लगाएगा, ताकि वे भारत के खिलाफ सख्त कदम उठाएं. पाकिस्तान की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत पानी का प्रवाह रोकने का कदम उठाया तो पाकिस्तान की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.
पाकिस्तानी पत्रकार और पूर्व सांसद मुशाहिद हुसैन सैयद ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को रोकने और अन्य फैसलों का कारण आरएसएस का दबाव है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने यह जंग आरएसएस के इशारे पर शुरू की है, खासतौर पर 2025 में आरएसएस के 100 साल पूरे होने के अवसर पर एक ऐसा माहौल तैयार किया गया है. मुशाहिद हुसैन ने पाकिस्तान के एयरस्पेस को भारतीय विमानों के लिए बंद करने के फैसले को एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को आर्थिक नुकसान हो सकता है, खासकर भारतीय जहाजों का किराया बढ़ सकता है.
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हुसैन ने यह भी कहा कि पानी के मुद्दे पर भारत कोई प्रभावी कदम नहीं उठा सकता क्योंकि इसका असर तत्काल दिखाई नहीं देगा. उन्होंने उदाहरण के तौर पर चीन का हवाला दिया, जो भारत के पानी के स्रोतों पर नियंत्रण रखता है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत ने पाकिस्तान का पानी रोकने का प्रयास किया तो चीन भारत का पानी भी रोक सकता है, क्योंकि सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों का उद्गम स्थल तिब्बत में है, जो चीन के कब्जे में है.
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इसके अलावा, मुशाहिद हुसैन ने भारतीय मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वहां पाकिस्तान के खिलाफ नफरत भरी हुई है. उनका मानना है कि हर घटना के बाद भारत मीडिया में पाकिस्तान को दोषी ठहराता है, जबकि वास्तविकता कुछ और हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की तरफ से किसी सैन्य हमले की संभावना बहुत कम है, और जो हमला 2019 में हुआ था, वह एक परीक्षण था, जिसमें पाकिस्तान ने अपनी दृढ़ता साबित की.
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