India Pakistan Tension: पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को हवा दे दी है. इस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया, जिसके बाद भारत ने अपनी सुरक्षा रणनीति को लेकर गंभीर रुख अपनाया है. वहीं, पाकिस्तान की ओर से भले ही सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया हो, लेकिन वहां के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने सोशल मीडिया के जरिए बयान देकर साफ कर दिया है कि पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर सतर्क है और भारत की किसी भी कार्रवाई की आशंका से चिंतित भी.
फवाद चौधरी ने अपने बयान में कहा है कि पाकिस्तान की राजनीति भले ही आंतरिक रूप से विभाजित हो, लेकिन अगर भारत की तरफ से कोई हमला या धमकी आती है, तो समस्त राजनीतिक दल चाहे वह पीएमएल-एन हो, पीपीपी, पीटीआई, जेयूआई या अन्य सभी एक झंडे के नीचे एकजुट होकर देश की रक्षा के लिए खड़े होंगे. उनका कहना था कि यह वक्त राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाने का है.
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उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भारतीय सरकार और अधिकारी मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे युद्धोन्माद में न बहें और क्षेत्र में शांति बनाए रखने का प्रयास करें. उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत में सुरक्षा मामलों पर उच्चस्तरीय मंथन चल रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आतंकी हमले के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की अध्यक्षता की. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. बैठक में हमले की विस्तृत जानकारी दी गई और भविष्य की रणनीति पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया.
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इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख और सैन्य अभियानों के महानिदेशक के साथ भी एक अलग बैठक की. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को तेज करने और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती का निर्णय लिया गया. सेना के अधिकारियों ने रक्षा मंत्री को अवगत कराया कि संवेदनशील इलाकों में खोजी अभियान तेज कर दिए गए हैं और आतंकियों की तलाश के लिए विशेष दलों को तैनात किया गया है.
यह स्पष्ट है कि भारत इस हमले को हल्के में नहीं ले रहा और पाकिस्तान की ओर से किसी भी गतिविधि के लिए तैयार है. आने वाले समय में भारत की कार्रवाई किस रूप में सामने आएगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं. वहीं पाकिस्तान में भी राजनीतिक एकता की अपीलों से यह संकेत मिलता है कि वहाँ भी इस स्थिति को गंभीरता से लिया जा रहा है.
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