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अमेरिका हमें शर्मिंदा न करे, नेतन्याहू ने ट्रंप से क्यों मांगी मदद?



Israel Hamas Gaza: गाजा पट्टी में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. इजरायल और हमास के बीच प्रस्तावित युद्धविराम (सीजफायर) को लेकर बनी सहमति टूटती नजर आ रही है. इजरायल ने हमास पर उसकी शर्तों को न मानने का आरोप लगाया है और इसके जवाब में गाजावासियों पर जोरदार सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है. पिछले दो दिनों में की गई भीषण बमबारी में 92 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.

इस ताजा हमले के बाद इजरायल ने अमेरिका से अपील की है कि वह ऐसे किसी कदम से बचे जिससे यहूदी राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़े. इस पूरे मामले की जड़ें 7 अक्टूबर 2023 को हुए उस हमले से जुड़ी हैं, जब हमास ने इजरायल की सीमा में घुसकर नरसंहार किया था. उस हमले में करीब 1200 लोगों की मौत हो गई थी. इसके जवाब में इजरायल ने गाजा में अब तक 51,000 से अधिक लोगों को मार गिराया है.

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इजरायली मीडिया पोर्टल Ynet के अनुसार, इजरायल की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अमेरिकी अधिकारियों से गुजारिश की है कि 7 अक्टूबर के हमले में शामिल फिलिस्तीनी आतंकियों के खिलाफ अमेरिका फिलहाल आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल न करे. अगर अमेरिका ने ऐसा किया तो इससे इजरायल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा और वह राजनीतिक रूप से दबाव में आ सकता है.

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इस बीच, अमेरिका अपनी जांच को लगभग पूरा कर चुका है और जल्द ही हमले से जुड़े कुछ आतंकियों के खिलाफ आरोप तय कर सकता है. अमेरिकी न्याय प्रणाली में ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई संभव है, जिससे इजरायल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

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वहीं, इजरायल ने भी हमले में शामिल 22 आतंकियों के खिलाफ बड़ी चार्जशीट तैयार कर ली है, जो किबुत्ज़ नीर ओज़ में नरसंहार में लिप्त थे. फिलहाल यह चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है क्योंकि इजरायल की योजना सैकड़ों आरोपियों पर एक साथ मेगा-ट्रायल चलाने की है. यह ट्रायल इजरायली न्याय व्यवस्था के इतिहास में सबसे बड़ा और अनूठा मामला होगा.

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Ynet की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इजरायल के पास फिलहाल लगभग 300 फिलिस्तीनी कैदी हैं, जो सीधे या परोक्ष रूप से 7 अक्टूबर के हमले में शामिल थे. इनमें कई कैदी ऐसे भी हैं जिन्होंने हमले में प्रत्यक्ष भाग नहीं लिया, लेकिन बाद में बंधकों को गाजा में बंदी बनाकर रखने में भूमिका निभाई थी.

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यह मामला कानूनी रूप से बेहद जटिल बन चुका है. इजरायल की स्पेशल क्राइम यूनिट Lahav 433, आंतरिक सुरक्षा एजेंसी शिन बेट और सेना की खुफिया शाखा मिलकर जांच कर रही हैं. अब तक करीब 1700 पीड़ितों और 400 से अधिक सुरक्षा अधिकारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक और कानूनी तनाव और गहरा सकता है.

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