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हूती हमलों के साए में यूएई, भारत ने दिया ‘आकाश’ से बचाव का प्रस्ताव



India UAE Akash Missile: भारत ने अपने रणनीतिक साझेदार संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को एक बड़ा रक्षा प्रस्ताव दिया है. मंगलवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दुबई के क्राउन प्रिंस तथा यूएई के उप प्रधानमंत्री शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठक के दौरान भारत ने यूएई को अपनी स्वदेशी विकसित आकाश वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (Air Defence Missile System) देने की पेशकश की. यह पेशकश ऐसे समय में की गई है जब यूएई को यमन के हूती विद्रोहियों से गंभीर खतरा बना हुआ है.

हूती विद्रोही पिछले एक साल से अधिक समय से लाल सागर में वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के लिए चुनौती बने हुए हैं. मार्च 2025 से अमेरिका द्वारा हूती ठिकानों पर किए जा रहे लगातार हमलों के बावजूद हूती अपनी गतिविधियों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. हाल ही में सामने आई रिपोर्टों के अनुसार, हूती अब यूएई को भी अपने हमलों के दायरे में ले सकते हैं. 17 जनवरी 2022 को हूतियों ने ड्रोन और मिसाइलों के जरिए यूएई पर एक बड़ा हमला किया था, जिसे यूएई की सेना ने नाकाम कर दिया था, लेकिन यह घटना यूएई की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा गई थी.

हूती विद्रोही समूह के पास ईरान समर्थित उन्नत ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो यूएई की सीमा तक पहुंच सकती हैं. इन खतरों को देखते हुए अब यूएई को ऐसी मध्यम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की आवश्यकता है, जो संभावित हवाई हमलों को पहले ही चरण में रोक सके. भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली इस भूमिका में फिट बैठती है.

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आकाश मिसाइल प्रणाली को भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मिलकर विकसित किया है. यह सतह से हवा में मार करने वाली एक अत्याधुनिक मध्यम दूरी की प्रणाली है, जो 25 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को नष्ट कर सकती है. यह प्रणाली विशेष रूप से लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए बनाई गई है. इसकी गति मैक 2.5 है और यह 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक के हवाई लक्ष्यों को मार गिरा सकती है.

भारत पहले ही आर्मेनिया जैसे देशों को आकाश मिसाइल प्रणाली निर्यात कर चुका है और अब यूएई को यह प्रस्ताव देना, भारत की रक्षा कूटनीति में एक और अहम कदम माना जा रहा है. इस पहल से भारत की रक्षा निर्यात नीति को भी मजबूती मिलेगी और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में योगदान मिलेगा.

यूएई, जो यमन संकट के दौरान सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा रहा है, ने हूतियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि, यह गठबंधन हूतियों को यमन की राजधानी सना पर कब्जा करने से नहीं रोक सका. इसके चलते अब हूतियों का खतरा यमन की सीमाओं से निकलकर क्षेत्रीय स्तर पर फैल चुका है.

इन सबके बीच भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली यूएई के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच बन सकती है, जिससे उसे हवाई खतरों से प्रभावी रूप से निपटने में सहायता मिलेगी और खाड़ी क्षेत्र में उसकी सुरक्षा स्थिति और अधिक मजबूत होगी.

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