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Google Pay और Paytm में आने वाला है बड़ा बदलाव, अब कुछ नंबरों पर UPI पेमेंट नहीं होगा, नया सिस्टम एक्टिव


डिजिटल पेमेंट करने वाले लोगों के लिए एक अहम अपडेट सामने आया है। अब कुछ मोबाइल नंबरों पर UPI ट्रांजेक्शन ब्लॉक हो सकते हैं। इसके पीछे की वजह है साइबर ठगी को रोकने के लिए उठाया गया एक बड़ा कदम। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन (DoT) ने बुधवार को घोषणा की कि वह अब बैंकों, NBFCs और UPI सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ Financial Fraud Risk Indicator (FRI) डेटा शेयर करेगा। इस डेटा के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि कौन-से मोबाइल नंबर फाइनेंशियल फ्रॉड से जुड़े खतरे के दायरे में हैं। इसके बाद उन नंबरों पर डिजिटल ट्रांजेक्शन को रोका या सावधानी के साथ पूरा किया जाएगा।

FRI सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है?

FRI एक तरह का जोखिम मूल्यांकन सिस्टम है जो मोबाइल नंबरों को तीन श्रेणियों में बांटता है मीडियम रिस्क, हाई रिस्क और वेरी हाई रिस्क। यह आंकड़े सरकार के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के जरिए तैयार किए जाते हैं। इन नंबरों की पहचान के लिए I4C के नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) और DoT के चक्षु पोर्टल से जानकारी ली जाती है। जैसे ही किसी मोबाइल नंबर पर संदेह होता है, उसे जांचकर रिस्क लेवल के अनुसार टैग किया जाता है। इसके बाद यह जानकारी तुरंत सभी UPI ऐप्स और बैंकों को भेज दी जाती है।

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Google Pay और Paytm भी होंगे शामिल

PhonePe पहला ऐसा UPI ऐप बना है जिसने इस सिस्टम को अपनाया है। PhonePe ‘Protect’ नाम के फीचर के जरिए अब यह ऐप वेरी हाई रिस्क वाले नंबरों से ट्रांजेक्शन करने से साफ मना कर देगा। वहीं मीडियम रिस्क वाले नंबरों के लिए यूजर को पहले एक चेतावनी दी जाएगी, फिर उसकी पुष्टि के बाद ही पेमेंट की इजाजत होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि जल्द ही Google Pay और Paytm जैसे बड़े UPI प्लेटफॉर्म्स भी इस फीचर को अपनाएंगे।

बैंकों और NBFCs को भी मिलेगा फायदा

अब बैंकों, वित्तीय संस्थानों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) को भी ये डेटा मिलेगा, जिससे वे संदिग्ध नंबरों से जुड़ी लेन-देन पर रोक लगा सकेंगे। इसके साथ ही, उन्हें Mobile Number Revocation List यानी जिन नंबरों को किसी कारण से बंद किया गया है, उनकी जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी। इससे फाइनेंशियल फ्रॉड के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा सिस्टम बनेगा और आम जनता की मेहनत की कमाई सुरक्षित रह सकेगी। DoT का कहना है कि यह पहल भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन को और ज्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगी।