टोक्यो ओलंपिक का हर वो घटनाक्रम जो आपके लिए जानना जरूरी है, PM ने भी झेली है आलोचना
टोक्यो। ओलंपिक 2020 का आयोजन टोक्यो में होने जा रहा था, जिसके लिए सब कुछ तय था। 22 जुलाई से 9 अगस्त तक टोक्यों में ओलंपिक खेल होने थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से ओलंपिक खेलों को स्थगित कर दिया गया है। इससे पहले ओलंपिक अधिकारियों ने टोक्यो की सराहना अब तब के सबसे अच्छे मेजबान शहर के रूप में की, लेकिन कोई भी कोरोना वायरस महामारी से निपटने की योजना नहीं बना सका, जिससे 2020 खेलों के अभूतपूर्व स्थगन के लिए मजबूर होना पड़ा। आयोजकों ने तैयारियों से सबका दिल जीता, लेकिन वायरस के प्रकोप का खतरा पैदा होने से पहले कई बार इस पर संकट के बादल छाए रहे। इस दौरान भ्रष्टाचार और बजट की गड़बड़ी के आरोपों का साया खेलों पर पड़ा।
वर्ष 2015 में ओलंपिक के लिए सबसे महंगे स्टेडियम के कारण आलोचना झेलने के बाद प्रधानमंत्री शिंजो अबे को राष्ट्रीय स्टेडियम के खाके को रद करना पड़ा जिससे उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, “मैंने फैसला किया है कि हमें फिर से इसका खाका तैयार करना होगा। सितंबर 2015 में चोरी का आरोप लगने के बाद इसके प्रतीक चिन्ह को रद कर दिया गया। डिजायनर ओलिवियर डेबी ने आरोप लगाया कि इसका लोगो बेल्जियम के थिएटर से चुराया गया है। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जिसके बाद आयोजन समिति ने यह कहते हुए प्रतीक चिन्ह को वापस ले लिया, “जनता को इसका समर्थन हासिल नहीं है।”
प्यारा शुभंकर प्रतीक चिन्ह में हुई चूक के बाद स्कूली बच्चों द्वारा चुने गए ओलंपिक और पैरालंपिक के ओलंपिक शुभंकर मिराटोवा का सही तरीके से जारी होने से आयोजन समिति ने राहत की सांस ली। इसी वर्ष में अभूतपूर्व कदम के तहत आइओसी ने विभिन्न आरोपों के साथ खेलों में मुक्केबाजी प्रतियोगिता के संचालन का अधिकार एआइबीए से वापस ले लिया। बाद में हालांकि आइओसी ने खुद ही मुक्केबाजी टूर्नामेंट का आयोजन करने की बात कही।