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मां ने गिरवी रखे जेवर, बचपन में हुई प्लास्टिक सर्जरी, इस भारतीय क्रिकेटर का संघर्ष कर देगा भावुक


भारतीय क्रिकेट में हर खिलाड़ी की कहानी में संघर्ष का एक अध्याय होता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज और क्रिकेट के चमकते सितारे ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) के संघर्ष की कहानी जिसने भी सुनी वह भावुक हो गया. 24 साल के इस युवा खिलाड़ी ने IPL के लेकर भारतीय टीम तक अपनी एक अलग पहचान बना ली है. जुरेल की मां ने अपने बेटे के लिए जो त्याग किया है उसको सुनकर किसी भी व्यक्ति का दिल भर आए. एक साधारण परिवार से आने वाले इस खिलाड़ी ने आज क्रिकेट में अपना लोहा मनवाया है. आज ध्रुव सिर्फ क्रिकेट नहीं खेल रहे, बल्कि हर युवा को यह संदेश दे रहे हैं कि सपनों को सच्चाई में बदलने के लिए जुनून और संघर्ष से बढ़कर कोई ताकत नहीं होती. (Dhruv Jurel Mother Sacrifice Will Make You Emotional).

जुरेल की मां का त्याग 

ध्रुव जुरेल की मां, फोटो- Instagram/@dhruvjurel

ध्रुव जुरेल का क्रिकेट सफर एक मां के त्याग से शुरू हुआ. जब बेटा क्रिकेट खेलने की जिद करने लगा तो घर की हालत अच्छी नहीं थी. बावजूद इसके मां रजनी जुरेल ने अपनी इकलौती सोने की चेन बेच दी और बेटे के लिए क्रिकेट किट खरीदी. यह कदम शायद उनके परिवार के लिए भारी था, लेकिन यही त्याग ध्रुव के करियर की नींव बन गया. ध्रुव हमेशा मानते हैं कि अगर उनकी मां ने यह बलिदान न दिया होता तो शायद उनका क्रिकेट से रिश्ता कभी शुरू ही नहीं होता.

बचपन का हादसा 

सिर्फ पांच साल की उम्र में ध्रुव एक भयानक बस हादसे का शिकार हुए. यह दुर्घटना किसी भी बच्चे के जीवन को तोड़ सकती थी, लेकिन ध्रुव ने इसे चुनौती की तरह लिया. शरीर पर चोट के बावजूद उनका हौसला टूटा नहीं. यही मुश्किल हालात आगे जाकर उनके संघर्ष की पहचान बने. इसी हादसे में ध्रुव को अपने पैर की सर्जरी करनी पड़ी.

घर छोड़कर पहुंचे क्रिकेट अकादमी

ध्रुव का क्रिकेट के प्रति जुनून इतना था कि महज 14 साल की उम्र में वे अकेले घर छोड़कर नोएडा पहुंचे. उस समय परिवार का माहौल थोड़ा गमगीन था, लेकिन ध्रुव ने तय कर लिया था कि उन्हें क्रिकेटर ही बनना है. अकादमी में शुरुआती दिन बेहद कठिन रहे. पैसों की तंगी और घर की याद उन्हें कई बार तोड़ती रही, लेकिन ध्रुव ने हार नहीं मानी.

बैटर से विकेटकीपर बनने की कहानी

शुरुआत में ध्रुव महज बल्लेबाज थे. लेकिन एक कोच की नजर ने उनकी जिंदगी बदल दी. कोच ने उन्हें विकेटकीपिंग की तरफ मोड़ा और यहीं से उनकी नई पहचान बनी. सफर आसान नहीं था कभी टीम से बाहर होना पड़ा, कभी मौके हाथ से निकल गए. लेकिन जब हार मानने का मन हुआ तो उनके पिता ने उन्हें समझाया सपनों से पीछे मत हटो, मेहनत का फल जरूर मिलेगा. यही शब्द ध्रुव की प्रेरणा बन गए.

IPL से टीम इंडिया तक का सफर

ध्रुव को राजस्थान रॉयल्स ने IPL में बेस प्राइस पर खरीदा. शुरुआत में वे छुपा हुआ हीरा लगे, लेकिन मेहनत और निरंतरता ने उन्हें टीम का अहम हिस्सा बना दिया. 2024 में जब उन्होंने अपनी पहली IPL फिफ्टी लगाई तो स्टैंड्स में बैठे अपने पिता को सलामी देकर सम्मानित किया. यह लम्हा उनके करियर का सबसे भावुक क्षण था. इसके बाद 2024 में उन्हें टीम इंडिया से टेस्ट डेब्यू का मौका मिला. इंग्लैंड के खिलाफ दबाव भरे हालात में उनकी संयमित पारी ने सबका दिल जीत लिया. खास बात यह है कि उनके टीम में रहने के बाद से भारत एक भी टेस्ट मैच नहीं हारा जो उनके प्रभाव और विजयी सोच को दर्शाता है. इसके बाद अब उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ भी टेस्ट सीरीज में अपने पहले शतक को जड़कर यह साबित कर दिया है कि वह टीम का एक अहम हिस्सा हैं.

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