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दुबई स्टेडियम की रिंग ऑफ फायर में कैच पकड़ना बड़ी चुनौती, फील्डिंग कोच टी दिलीप ने खोला राज


T Dilip on Ring of Fire Fielding Challenge: भारतीय क्रिकेट टीम के फील्डिंग कोच टी दिलीप ने कहा है कि दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में फ्लडलाइट्स की विशेष व्यवस्था के कारण यहां ऊंचे कैच पकड़ना आसान नहीं होता. उन्होंने साफ किया कि ऐसी परिस्थितियों में खिलाड़ी को एक पल के लिए भी गेंद पर से नजर नहीं हटानी चाहिए, वरना कैच हाथ से निकल सकता है. भारतीय टीम ने इस चुनौती से सामंजस्य बैठाने के लिए विशेष अभ्यास किया है और अब खिलाड़ी इस माहौल में सहज महसूस कर रहे हैं.

दुबई स्टेडियम की अनोखी फ्लडलाइट व्यवस्था

दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम की सबसे खास बात उसकी ‘रिंग ऑफ फायर’ लाइटिंग है. दुनिया भर के ज्यादातर क्रिकेट मैदानों में फ्लडलाइट्स ऊंचे खंभों पर लगाई जाती हैं, लेकिन दुबई में गोल छत की परिधि पर उच्च तीव्रता वाली लाइट्स लगाई गई हैं. इन लाइट्स से पूरा मैदान चमकदार तो रहता है, लेकिन हवा में लहराती हुई गेंद पर नजर बनाए रखना खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती साबित होता है. दिलीप ने बताया कि यह व्यवस्था परंपरागत लाइटिंग से बिल्कुल अलग है और खिलाड़ियों को इसके अनुरूप ढलने के लिए ज्यादा ध्यान और मेहनत करनी पड़ती है.

ऊंचे कैच और बाउंड्री पर सबसे ज्यादा दिक्कत

टी दिलीप के अनुसार, इस तरह की रोशनी में सबसे कठिन काम बाउंड्री के पास ऊंचे कैच पकड़ना होता है. अक्सर गेंद रोशनी के घेरे में खो जाती है और खिलाड़ी को एक सेकंड के लिए भी उसकी दिशा का अंदाजा नहीं रहता. ऐसे में थोड़ी-सी चूक कैच छूटने का कारण बन सकती है.

उन्होंने कहा “यह इस बात पर निर्भर करता है कि खिलाड़ी उस खास पल में कितनी तेजी से प्रतिक्रिया देता है. अगर गेंद पर से नजर हट गई तो कैच पकड़ने का समय बहुत कम रह जाता है. इसलिए सबसे अहम है कि खिलाड़ी हर पल गेंद पर ध्यान केंद्रित रखें.”

अभ्यास से ही आती है परफेक्शन

भारतीय फील्डिंग कोच ने बताया कि टीम प्रबंधन ने इस चुनौती से निपटने के लिए खास अभ्यास सत्र तैयार किए हैं. इन सत्रों में खिलाड़ियों को अलग-अलग तरह की कैचिंग प्रैक्टिस कराई जाती है ताकि वे हर स्थिति में गेंद को ट्रैक करने के आदी हो जाएं. दिलीप ने कहा “बचपन से हमें यही सिखाया जाता है कि गेंद पर हमेशा नजर रखो. लेकिन तेज रोशनी में एक पल के लिए भी नजर हटती है तो खिलाड़ी घबरा जाता है. ऐसे में लगातार अभ्यास ही सबसे बड़ा हथियार है. धीरे-धीरे खिलाड़ियों को एहसास होता है कि जब भी रोशनी में गेंद खो जाए तो घबराए बिना उसे तुरंत ट्रैक करना है.”

द्रविड़ के दौर से टीम के साथ जुड़े दिलीप

हैदराबाद के रहने वाले टी दिलीप भारतीय टीम के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं. वे उस समय टीम के फील्डिंग कोच बने थे जब राहुल द्रविड़ मुख्य कोच थे. दिलीप ने खिलाड़ियों को फिटनेस, चुस्ती और तेज नजर बनाए रखने पर हमेशा खास जोर दिया है. उनके अनुसार, किसी भी बड़ी टीम की ताकत सिर्फ बल्लेबाजी और गेंदबाजी नहीं होती, बल्कि फील्डिंग भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. खासकर तब, जब मैच दुबई जैसे मैदान में खेला जा रहा हो जहां तकनीकी चुनौतियां खिलाड़ियों की परीक्षा लेती हैं.

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