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Jharkhand Village: झारखंड का एक गांव, जहां खेल-खेल में 150 युवाओं ने ली सरकारी नौकरी, फुटबॉल ने बदल दी तकदीर


Jharkhand Village: बोकारो-झारखंड की बोकारो-रामगढ़ सीमा पर हिसीम-केदला पहाड़ के पास गोला प्रखंड का एक छोटा सा गांव है पूरबडीह. इस छोटे से गांव के युवाओं ने कामयाबी की बड़ी कहानी लिख दी है. खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब… वाली कहावत को इन्होंने झुठला दिया है और खेल-खेल में बड़ी संख्या में लोगों ने सरकारी नौकरी ले ली है. फुटबॉल से इस गांव की तकदीर बदल गयी है. पढ़िए दीपक सवाल की ये रिपोर्ट.

फुटबॉल खेलने के कारण कभी मिलते थे ताने

कभी फुटबॉल खेलने को लेकर युवाओं को अपने घरों में ताने सुनने को मिलते थे. परिवार वालों को लगता था कि बच्चे दिनभर फुटबॉल के पीछे भागकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन उसी फुटबॉल के कारण युवाओं ने पुलिस और सेना में नौकरी ले ली. इस गांव के लगभग डेढ़ सौ युवा पुलिस और सेना में बहाल हैं. युवाओं का मानना है कि पुलिस और सेना में बहाली के लिए फिजिकल फिटनेस की ज्यादा जरूरत थी. फुटबॉल खेलने के कारण उनकी बहाली का रास्ता और आसान हो गया.

2005 में मिली पहली सफलता से प्रेरित हुए युवा

पूरबडीह की फुटबॉल टीम सीएनएफसी यानी छोटानागपुर फुटबॉल क्लब काफी चर्चित टीम रही है. गोला के अलावा रामगढ़, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर फुटबॉल टूर्नामेंट में इस टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. फुटबॉल टूर्नामेंट में पूरबडीह की टीम के शामिल होने से दर्शकों में काफी उत्साह रहता था. कुछ खिलाड़ी जिंदल की टीम के साथ खेला करते थे, लेकिन युवाओं को बेरोजगारी की चिंता भी सताती रहती थी. इस बीच 2005 में फुटबॉलर शशि कुमार महतो की आर्मी में बहाली हो गयी. इससे गांव के युवा फुटबॉलर प्रेरित हुए और सेना एवं पुलिस की बहाली में शामिल होने लगे. इसके बाद से फुटबॉलरों ने पुलिस और सेना में धड़ाधड़ नौकरी निकालनी शुरू कर दी.

इन खिलाड़ियों को मिल चुकी है सरकारी नौकरी

इस गांव के युवक अब तक एसएसबी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, इंडियन आर्मी, एयरफोर्स, नेवी, आईआरबी के अलावा झारखंड पुलिस, झारखंड आर्म्स पुलिस आदि में नौकरी प्राप्त कर चुके हैं. राहुल कुमार महतो और शशि कुमार महतो इंडियन आर्मी में सूबेदार हैं, जबकि मिलन करमाली, अजीत कुमार महतो और दीपक राम रविदास झारखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर एवं हिमांशु कुमार महतो आईआरबी में सब इंस्पेक्टर हैं. बना बानबगीचा टोला के महेंद्र करमाली, उपेंद्र करमाली, कार्तिक करमाली, रमन महतो, अमित महतो, उपेंद्र रविदास, चंदर कुमार रविदास, गंगा रविदास, छोटेलाल रविदास, राहुल रविदास, बाबूलाल रविदास, वीरेंद्रराम रविदास, लखिन्द्र महतो, गंगा महतो, सिदाम महतो, आलम अंसारी, सड़क टोला के कपूर करमाली, आदित्य कुमार, अरविंद कुमार, महादेव महतो, सुजीत महतो, नवीन महतो, नवजीत महतो, विनय करमाली, अनूप करमाली, रूपेन महतो, गवारडीह टोला के अवध महतो, विनोद महतो, मिथुन महतो, रतन महतो, सविता कुमारी, विवेक महतो, पंचम करमाली, फुलेश्वर महतो, नरसिंह महतो, अनिता कुमारी, रविदास टोला के दिनेशराम रविदास, विनय महतो, प्रेमचंद रविदास, डब्लूराम रविदास, पंचम रविदास, एनडीएस राम रविदास, जीरा कुमारी, पिंटू रविदास, अनूप रविदास, लखन रविदास, संतोष रविदास, पूरबडीह बस्ती के बादल महतो, दिगंबर उपाध्याय, राहुल प्रजापति, नेपाल करमाली, दीपचंद करमाली, सरोज उपाध्याय,बिट्टू प्रजापति, निरंजन प्रजापति, ममता कुमारी, कवींद्र महतो, बिट्टू करमाली, सुजीत करमाली, कोयरीडीह (सिंहासराय) के अरुण महतो, पिंटू महतो, पिंटू कुमार, सरस्वती देवी, सुमेल महतो, संगीता कुमारी, प्रियंका कुमारी, शुभम, गणेश महतो समेत करीब डेढ़ सौ युवा शामिल हैं.

इन पदों पर भी ली है सरकारी नौकरी

देवलाल करमाली ने बीडीओ, रामचरण करमाली ने अंचल सहायक, गणेश रविदास ने बिजली विभाग के जेई के अलावा करीब 10 युवकों ने रेलवे, 25-30 युवकों ने सरकारी शिक्षक, 12-15 ने सीसीएल, 3-4 युवकों ने बैंकिंग समेत अन्य कई युवाओं ने अन्य क्षेत्रों में भी नौकरी प्राप्त की है. ग्रामीणों ने बताया कि दूसरी जगहों के कई अन्य युवाओं ने यहां अपने रिश्तेदारों के घर रहकर भी फुटबॉल खेला और नौकरियां लीं.

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जनवरी में जुटते हैं सेना और पुलिस वाले

सेना और पुलिस में नौकरी पाने वाले गांव के सभी युवा हर वर्ष जनवरी महीने में आयोजित होने वाले सचिन महतो और निरंजन महतो मेमोरियल फुटबॉल टूर्नामेंट के मौके पर जुटते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि ये दोनों गांव के अच्छे फुटबॉलर थे. जिंदल की तरफ से भी खेलते थे. एक दशक पहले सड़क दुर्घटना में दोनों की मौत हो गयी थी. उन्हीं की याद में टूर्नामेंट होता है और उन्हें श्रद्धांजलि देने सभी साथी जुटते हैं.

कुड़मी बहुल गांव है पूरबडीह

2011 की जनगणना के अनुसार पूरबडीह की आबादी 3828 है. इनमें 1983 पुरुष और 1845 महिला हैं. घरों की संख्या 684 है. गांव में कुड़मियों की आबादी सर्वाधिक है. इसके अलावा कोयरी, करमाली, रविदास, मुंडा, तुरी, ब्राह्मण, संथाल, मुस्लिम आदि जातियों के लोग बसे हुए हैं. गांव में जंगली हाथियों के उत्पात की समस्या बनी रहती है.

फुटबॉल ने बदल दी गांव की तकदीर

इंदर कुमार कश्यप ने कहा कि दो दशक में गांव की तकदीर बदल गयी है. बड़ी संख्या में एक गांव से सेना और पुलिस में नौकरी प्राप्त करना वाकई बड़ी उपलब्धि है और यह सब फुटबॉल की वजह से ही संभव हुआ है. खेलकूद के कारण युवकों का फिटनेस बहुत अच्छा रहता है, जो नौकरी पाने में मददगार साबित हुआ है.

फिजिकल फिटनेस से मिलने लगी नौकरी-कार्तिक करमाली

कार्तिक करमाली कहते हैं कि दो दशक पहले तक गांव के एक भी युवक पुलिस या सेना में बहाल नहीं थे. अब यहां सेना और पुलिस में काम करने वालों की भरमार है. किसी समय लगता था कि खेलकूद से जिंदगी बर्बाद तो नहीं हो रही है, लेकिन उसी फुटबॉल से युवाओं का फिजिकल फिटनेस इतना अच्छा हो गया कि सेना और पुलिस में आसानी से नौकरी लेने लगे.

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