भारत-पाकिस्तान के बीच पहला मैच और सीरीज कौन जीता? बवाल की शुरुआत भी यहीं हुई, जब लाठी लेकर दौड़े भारतीय कप्तान
India vs Pakistan 1st ever Cricket Match and Series: भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमों के बीच जब भी मुकाबला होता है, तो यह सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि भावनाओं, देशभक्ति और रोमांच का एक अलग ही मोमेंट बन जाता है. हर खिलाड़ी इस मुकाबले में पूरी ताकत झोंक देता है. जब भी दोनों देशों की टीमें भिड़ती हैं, तो माहौल सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि करोड़ों दर्शकों की धड़कनें तेज हो जाती हैं. वर्ल्ड कप हो, एशिया कप या कोई भी टूर्नामेंट भारत बनाम पाकिस्तान का मैच आते ही टीवी रेटिंग्स रिकॉर्ड तोड़ देती हैं और स्टेडियम खचाखच भर जाते हैं. दर्शक, नेता, सेलिब्रिटी, पत्रकार सभी की निगाहें केवल इस हाई-वोल्टेज मुकाबले पर टिकी रहती हैं. यह ऐसा खेल है जिसमें हर शॉट, हर विकेट और हर पल इतिहास रचता है. एशिया कप 2025 की शुरुआत 9 सितंबर से हो रही है और एक बार फिर भारत-पाकिस्तान की टीमें क्रिकेट मैदान पर आमने-सामने होंगी. ऐसे में आइये नजर डालते हैं दोनों टीमों के बीच खेले गए सबसे पहले मैच पर.
भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद और विभाजन की वीभिषिका से सने इतिहास में यह खेल ही रहा, जो लगातार चला. इस रोमांचक सफर की शुरुआत 1952-53 में हुई जब दोनों पड़ोसी देश क्रिकेट की 22 गज की पिच पर आमने-सामने आए. 73 साल पहले उस समय भी मैदान और उसके बाहर का माहौल आज जैसी ही रोमांचक स्थिति में था. दोनों देशों के बीच खेली गई यह पहली टेस्ट सीरीज अपने समय में एक ऐतिहासिक घटना मानी जाती है. इस दौरे पर 5 टेस्ट मैच खेले गए. यह टेस्ट मुकाबला दिल्ली के ऐतिहासिक फिरोजशाह कोटला मैदान (आज का अरुण जेटली स्टेडियम) में हुआ था. भारत की कप्तानी लाला अमरनाथ ने की, जबकि पाकिस्तान की कमान अब्दुल हफीज कारदार के हाथों में थी. पाकिस्तान कप्तान ने 1946 में अब्दुल हफीज के नाम से अविभाजित भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था, लेकिन इस दौरे के बाद उन्होंने अपना पारिवारिक नाम करदार जोड़ लिया. वे भारत और पाकिस्तान दोनों टीमों के लिए खेलने वाले तीन खिलाड़ियों में से एक थे.
पहली सीरीज- ऐतिहासिक माहौल और उच्च राजनीतिक तापमान
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई पहली टेस्ट सीरीज का माहौल बेहद अनूठा और रोमांचक था. हर कोई इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बनना चाहता था. अखबारों और मैगजीनों के पहले पन्नों पर केवल इस भिड़ंत का जिक्र होता था. दर्शकों का उत्साह इतना अधिक था कि स्टेडियम दर्शकों से भर गया था और राजनीति के बड़े नेताओं ने भी इस मैच का अनुभव लेने के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. यह सीरीज केवल खेल तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी थे. पांच मैचों की इस श्रृंखला के दौरान राजनीतिक गलियारों में भी हलचल थी. भारत से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान से प्रधानमंत्री लियाकत अली खान कई बार मैदान का दौरा कर मैच का जायजा लेने पहुंचे. भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी मैदान पर पहुंचे थे.
उस समय विश्व स्तर पर खुद को स्थापित करने के प्रयास में जुटे दोनों देशों ने इस सीरीज के जरिए क्रिकेट के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने का प्रयास किया. खेल के मैदान पर जो जज्बा था, वह केवल खेल तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्रीय गर्व और उत्साह का प्रतीक बन गया. जो खिलाड़ी कुछ साल पहले एक ही देश में थे, अब एक-दूसरे के खिलाफ मैदान पर उतरे और क्रिकेट पिच पर अपनी कला और ताकत का प्रदर्शन किया.
पहले मैच में किसने मारी बाजी?
दोनों टीमों के बीच पहला ऐतिहासिक मुकाबला दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान (आज का अरुण जेटली स्टेडियम) में खेला गया था. भारतीय टीम की कमान लाला अमरनाथ के हाथों में थी. उस समय टीम में वीनू मांकड़, विजय हजारे, विजय मांजरेकर और पॉली उमरीगर जैसे बड़े नाम मौजूद थे. दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से कप्तान अब्दुल हफीज करदार के साथ हनीफ मोहम्मद और आमिर इलाही जैसे दिग्गज खिलाड़ी मैदान पर उतरे थे. इस ऐतिहासिक टेस्ट में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी.
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 372 रन बनाए. हेमू अधिकारी ने नाबाद 81 और विजय हजारे ने 76 रनों की उम्दा पारी खेली. जवाब में पाकिस्तान की टीम दबाव में टूट गई और पहली पारी में केवल 150 रन ही बना सकी. उन्हें फॉलोऑन खेलना पड़ा, लेकिन दूसरी पारी में भी वे 152 रन पर ही सिमट गए. भारत ने यह मुकाबला एक पारी और 70 रनों से जीत लिया. इस जीत के नायक रहे वीनू मांकड़, जिन्होंने पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 5 विकेट झटके.
सीरीज का परिणाम
पांच मैचों की इस ऐतिहासिक श्रृंखला में भारत ने 2-1 से जीत दर्ज की. भारत ने शुरुआती टेस्ट में पारी और 70 रनों से शानदार जीत दर्ज की, लेकिन पाकिस्तान ने दूसरे मुकाबले में पारी से जीत हासिल कर तुरंत पलटवार किया. लखनऊ टेस्ट के दौरान हालात तब बिगड़ गए जब नाराज दर्शकों ने भारतीय टीम की बस पर पत्थरबाजी की. गुस्साई भीड़ से खिलाड़ियों को बचाने के लिए कप्तान लाला अमरनाथ को लाठी तक उठानी पड़ी. वे लाठी लेकर लोगों के बीच से गुजरे. भारत-पाकिस्तान के बीच मैचों में खिलाड़ियों पर दबाव इस मैच से ही शुरू हो गया और आज तक बदस्तूर जारी है.
बाद में अमरनाथ ने विजय हजारे, वीनू मांकड़ और हेमू अधिकारी समेत कुछ खिलाड़ियों पर मैच से हटकर उनके खिलाफ षड्यंत्र करने के आरोप लगाए. इसके बाद भारत ने अपने बल्लेबाजी संयोजन में बदलाव किया और मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में खेले गए तीसरे टेस्ट में 10 विकेट से धमाकेदार जीत दर्ज की. हालांकि श्रृंखला के अंतिम दो टेस्ट मुकाबले प्रतिद्वंद्विता के तीखे माहौल के कारण रक्षात्मक अंदाज में खेले गए और ड्रॉ पर समाप्त हुए.
शांति हो या युद्ध; सब कुछ रुक गया, लेकिन क्रिकेट नहीं
दोनों देशों के बीच खेली गई यह पहली टेस्ट श्रृंखला सिर्फ खेल के लिहाज से ही नहीं, बल्कि भावनाओं और राष्ट्रीय गौरव के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक रही. आखिरकार भारत ने यह सीरीज 2-1 से अपने नाम की. लेकिन इस पूरे अभियान ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता की वो नींव डाल दी, जो आने वाले दशकों में और भी गहरी और तीव्र होती चली गई. बीते 78 सालों में भारत पाकिस्तान कई युद्ध लड़ चुके हैं, कई नियम बने और बिगड़े, लेकिन क्रिकेट लगातार चलता रहा. भले ही द्विपक्षीय सीरीज 2008 से बंद हों, लेकिन आईसीसी के टूर्नामेंट्स में पड़ोसी देश भिड़ते ही हैं. हर मैच के साथ यह अगले मुकाबले के लिए इंतजार के साथ समाप्त हो जाता है.
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