Cheteshwar Pujara reveals why he took retirement: चेतश्वर पुजारा ने 2010 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था, और उन्हें राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद भारत के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में से एक बनने में कुछ साल लगे. उनकी क्रीज पर मौजूदगी ने हमेशा भारतीय पारी को मजबूती और धैर्य दिया, विपक्षी गेंदबाजों को थकाया और अक्सर भारत की टेस्ट पारी का आधार स्तंभ बनी. लेकिन हर अच्छी चीज का अंत होता है, वैसे ही चेतेश्वर ने 24 अगस्त को अपने 15 साल के करियर पर विराम लगा दिया. उन्हें पिछले दो साल से लगातार टेस्ट टीम से नजरअंदाज किया जा रहा था. उनका भारत के लिए आखिरी मैच 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में आया था और इसके बाद उनकी वापसी का इंतजार ही बढ़ता गया. उनकी गैरमौजूदगी भारत बनाम न्यूजीलैंड सीरीज और फिर भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया सीरीज में साफ तौर पर महसूस की गई, जिसे टीम ने बुरी तरह गंवा दिया. हालांकि पुजारा पिछले हफ्ते तक संन्यास लेने के बारे में सोच भी नहीं रहे थे. दरअसल, 2023 के बाद भी कई इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह भारत वापसी की कोशिश जारी रखना चाहते हैं. लेकिन इस हफ्ते उनका मन बदल गया. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद इस पर बात की.
पुजारा ने अपने साथियों और क्रिकेटिंग सफर में जुड़े सभी लोगों का आभार जताया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहना उनके लिए गर्व का पल है. उन्होंने स्पोर्ट्स तक से इंटरव्यू में कहा, “करीब एक हफ्ते से मैंने थोड़ा सोचा कि यही सही समय है. तो आज जब मैंने यह फैसला लिया, तो यह मेरे और मेरे पूरे परिवार के लिए गर्व का पल है. इस दिन मैं अपने सभी साथियों, अपने कोचों और सभी सपोर्ट स्टाफ का धन्यवाद करना चाहता हूं, जिनके साथ मैंने काम किया. क्योंकि यह मेरे लिए गर्व का पल है. भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करना, बचपन से ही, जब मैं छोटा था, हमेशा भारत के लिए खेलने का सपना था. जब वह सपना पूरा हुआ और इतने साल यह सफर चलता रहा, हमने बहुत सारी यादें बनाई, तो मेरे करियर में अब तक कई गर्व के पल रहे हैं.”
रणजी ट्रॉफी खेलना चाहते थे, फिर बदल गया मन
चेतेश्वर पुजारा ने खुलासा किया कि उन्होंने संन्यास की घोषणा करने से पहले रणजी ट्रॉफी 2025 सीजन खेलने पर विचार किया था, लेकिन अंततः सौराष्ट्र के युवा खिलाड़ियों को अवसर देने के लिए खेलने का विचार छोड़ दिया. पुजारा ने कहा, “यह मेरा व्यक्तिगत फैसला था और मैंने तय किया कि यही सही समय है, खासकर तब जब युवा खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट में अवसर मिलने चाहिए. पहले मैंने सोचा था कि शायद मैं यह रणजी सीजन खेल लूं, लेकिन फिर लगा कि अगर युवा खिलाड़ियों को मौका मिलेगा तो वे जल्दी तैयार होंगे. इसलिए यह मेरा व्यक्तिगत फैसला था. जहां तक पिछले कुछ सालों की बात है, जब मैं भारतीय टीम का हिस्सा नहीं था,
सबसे खास पल का किया जिक्र
पुजारा ने अपने करियर की कुछ सबसे यादगार जीतों का भी जिक्र किया और 2018 में ऑस्ट्रेलिया में मिली जीत, फिर 2021 की सीरीज विजय को उन्होंने सबसे खास बताया. उन्होंने कहा, “2018 में टीम ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर टेस्ट सीरीज जीती, वह मेरे लिए अविस्मरणीय पल था. फिर 2021 में टीम ने एक बार फिर वहां टेस्ट सीरीज जीती. दोनों सीरीज मेरे करियर के लिए बेहद खास रही हैं.” अपने संन्यास संदेश में पुजारा ने लिखा, “हर अच्छी चीज का अंत होता है.” पुजारा अब भारत में कमेंट्री और ब्रॉडकास्टिंग की दुनिया में कदम रख चुके हैं. आने वाले समय में भारत के इस बेहतरीन टेस्ट विशेषज्ञ के लिए आगे क्या राह खुलती है, यह देखना दिलचस्प होगा.
शानदार करियर रिकॉर्ड के साथ संन्यास
भारत और सौराष्ट्र के महान खिलाड़ी पुजारा ने अपने करियर का समापन एक शानदार टेस्ट और घरेलू रिकॉर्ड के साथ किया. भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 103 मैचों में शिरकत की, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक के साथ पुजार ने 7,195 रन, बनाए. उनका औसत भी शानदार 43 का रहा. वहीं प्रथम श्रेणी क्रिकेट के वे बादशाह रहे. उन्होंने 278 मैचों में 21,301 रन बनाए. पुजारा ने 51 की औसत से रन बटोरे, जिसमें 66 शतक और 81 अर्धशतक दर्ज हैं. एक दशक से अधिक समय तक वे भारत की बल्लेबाजी के नंबर तीन पर चट्टान बने रहे. उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 18 दोहरे शतक लगाए, जो किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा सर्वाधिक हैं. यह संख्या विजय मर्चेंट (11) से सात अधिक है.
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