Cheteshwar Pujara Record in Test Cricket: भारतीय क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी है. अपने धैर्य, तकनीकी मजबूती और टीम को मुश्किल हालात से निकालने की क्षमता के लिए मशहूर पुजारा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स यानी पूर्व में ट्विटर पर भावुक संदेश लिखते हुए कहा भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर कदम रखते हुए अपनी पूरी ताकत झोंकना, यह अनुभव शब्दों में बयां करना असंभव है. पुजारा का नाम भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में उन बल्लेबाजों में शुमार है जिन्होंने रन बनाने से कहीं ज्यादा टीम के लिए समय निकालने और विपक्षी गेंदबाजों को थकाने में विश्वास किया. उनका करियर भारतीय क्रिकेट के सुनहरे अध्याय का हिस्सा रहेगा.
धैर्य और तकनीक के प्रतीक बल्लेबाज
चेतेश्वर पुजारा को हमेशा धैर्य और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है. जहां आज की क्रिकेट तेजी से रन बनाने और आक्रामक शॉट खेलने की तरफ बढ़ गई है, वहीं पुजारा का अंदाज बिल्कुल अलग था. वह अपनी क्रीज पर टिके रहकर धीरे-धीरे टीम को मजबूत स्थिति में लाने के लिए जाने जाते थे. उनके नाम एक खास रिकॉर्ड है वह एकमात्र भारतीय बल्लेबाज हैं जिन्होंने किसी एक पारी में 500 से ज्यादा गेंदें खेलीं. यह रिकॉर्ड न सिर्फ उनकी सहनशक्ति बल्कि खेल के प्रति उनकी एकाग्रता और समर्पण को भी दर्शाता है. उनकी बल्लेबाजी ने कई बार टीम इंडिया को बड़े संकट से निकाला और मजबूत स्थिति में पहुंचाया.
SENA देशों में भारत की जीत के अहम किरदार
विदेशी सरजमीं पर खासकर SENA देशों (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में बल्लेबाजी हमेशा भारतीय खिलाड़ियों के लिए कठिन रही है. तेज और उछाल भरी पिचों पर ज्यादातर बल्लेबाज संघर्ष करते दिखे हैं. लेकिन पुजारा ने बार-बार यह साबित किया कि वह ऐसे हालात में भी टीम के लिए टिककर खेल सकते हैं. उनकी पारियां भारत की विदेशों में मिली ऐतिहासिक जीतों का अहम हिस्सा रहीं. यही कारण है कि उनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है, वह भारत की 11 टेस्ट सीरीज जीतों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर SENA देशों में मिली कामयाबियां थीं. यह आंकड़ा बताता है कि भारत की सफलताओं के पीछे उनकी कितनी बड़ी भूमिका रही.
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के ‘आयरन मैन’
चेतेश्वर पुजारा का करियर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से गहराई से जुड़ा रहा है. ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं. 2018-19 और 2020-21 में भारत की ऐतिहासिक जीतों में उनका योगदान सबसे अहम रहा. उन्होंने इस प्रतिष्ठित सीरीज में एक अद्भुत रिकॉर्ड बनाया. 1258 गेंदें खेलीं, जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक नया मील का पत्थर है. यह उपलब्धि बताती है कि वह सिर्फ रन बनाने के लिए बल्लेबाजी नहीं करते थे, बल्कि गेंदबाजों की रणनीति को तोड़कर टीम के लिए समय निकालने वाले योद्धा थे. ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर उनकी जुझारू पारियां उन्हें ‘आयरन मैन ऑफ बॉर्डर-गावस्कर’ बना देती हैं.
टेस्ट मैच के पांचों दिन बल्लेबाजी
टेस्ट क्रिकेट में बहुत कम बल्लेबाज ऐसे रहे हैं जिन्होंने किसी मैच के सभी पांच दिनों में बल्लेबाजी की हो. चेतेश्वर पुजारा ने यह कारनामा कर दिखाया. वह पिछले 40 सालों में ऐसा करने वाले अकेले भारतीय बल्लेबाज बने. यह रिकॉर्ड केवल आंकड़ा नहीं है, बल्कि उनकी निरंतरता और टीम के लिए अडिग योगदान का प्रतीक है. यह उपलब्धि दिखाती है कि पुजारा बल्लेबाजी में कितने अनुशासित और समर्पित थे. उन्होंने बार-बार यह सिद्ध किया कि क्रिकेट सिर्फ आक्रामक शॉट खेलने का नाम नहीं बल्कि धैर्य और रणनीति का खेल भी है.
विदाई मैच न मिलने का मलाल
चेतेश्वर पुजारा का करियर भारतीय क्रिकेट की शान है, लेकिन एक कमी हमेशा रहेगी उन्हें विदाई मैच नहीं मिल पाया. कई दिग्गज खिलाड़ियों की तरह पुजारा को भी यह सम्मान नहीं मिला कि वह अपने करियर का आखिरी मैच दर्शकों और साथियों के बीच खेलकर खत्म कर पाते. फिर भी, उनका योगदान किसी औपचारिक विदाई से कहीं बड़ा है. उनके द्वारा खेले गए धैर्यपूर्ण और संघर्षपूर्ण मैच ही उनकी पहचान बने. भारतीय क्रिकेट की नई पीढ़ी उन्हें उस बल्लेबाज के रूप में याद करेगी जिसने तेज गेंदबाजों के सामने सीना तानकर खड़े रहना सीखा दिया.
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