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ट्रॉफी समारोह में क्यों शामिल नहीं हुए सचिन और एंडरसन, गावस्कर ने ECB पर लगाया बड़ा आरोप


Anderson Tendulkar Trophy: पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के अंत में द ओवल में एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी वितरण समारोह में सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन की अनुपस्थिति को लेकर इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) पर निशाना साधा है. गावस्कर ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि दोनों रिटायर्ड क्रिकेटर इंग्लैंड में मौजूद थे, लेकिन समारोह में शामिल नहीं हुए. लंदन में शुभमन गिल की अगुवाई वाली युवा भारतीय टीम द्वारा छह रनों से शानदार जीत के बाद सीरीज 2-2 से बराबरी पर समाप्त हुई. हालांकि, इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स और गिल को ट्रॉफी सौंपने के लिए न तो सचिन और न ही एंडरसन मौजूद थे. ईसीबी ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी.

गावस्कर का ईसीबी पर बड़ा आरोप

स्पोर्टस्टार में अपने कॉलम में, गावस्कर ने देश में होने के बावजूद समारोह में उनकी अनुपस्थिति के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया. भारत के इस दिग्गज बल्लेबाज ने 2024/25 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज से इसकी तुलना करते हुए यह अनुमान लगाया, जहां ऑस्ट्रेलिया के एलन बॉर्डर को ट्रॉफी प्रदान करने के लिए कहा गया था, जबकि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने प्रसारण कार्यों के लिए कार्यक्रम स्थल पर मौजूद होने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज कर दिया था. गावस्कर ने अनुमान लगाया कि सचिन और एंडरसन से शायद इसलिए संपर्क नहीं किया गया क्योंकि वह सीरीज ड्रॉ पर समाप्त हुई थी.

सचिन और एंडरसन को नहीं किया आमंत्रित

गावस्कर ने लिखा, ‘यह क्रिकेट के दो महानतम दिग्गजों, सचिन तेंदुलकर और जिमी एंडरसन के नाम पर आयोजित पहली सीरीज थी. उम्मीद तो यही थी कि दोनों कप्तानों को ट्रॉफी देने के लिए मौजूद रहेंगे, खासकर तब जब सीरीज ड्रॉ रही. जहां तक मेरी जानकारी है, दोनों उस समय इंग्लैंड में थे. तो क्या उन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया? या फिर यह वैसा ही था जैसा इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में हुआ था, जब सिर्फ एलन बॉर्डर को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी देने के लिए कहा गया था क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज जीत ली थी. चूंकि इंग्लैंड की यह सीरीज ड्रॉ रही थी, इसलिए शायद दोनों में से किसी को भी ट्रॉफी देने के लिए नहीं कहा गया.’

किसी को भी नहीं मिला पटौदी पदक

गावस्कर ने यह भी बताया कि पटौदी परिवार से कोई भी पटौदी पदक देने के लिए मौजूद नहीं था. उन्होंने आगे कहा कि यह अवधारणा ही त्रुटिपूर्ण थी, क्योंकि ड्रॉ सीरीज का मतलब था कि पदक प्रदान नहीं किया जा सकता था और सुझाव दिया कि यह पदक विजेता टीम के कप्तान के बजाय मैन ऑफ द सीरीज को दिया जाना चाहिए. गावस्कर ने कहा, ‘दुनिया भर में ज्यादातर प्रशासक मुनाफा कमाने के लिए ही लाए जाते हैं और वे इसमें काफी माहिर भी होते हैं, लेकिन हो सकता है कि उन्हें उस खेल के इतिहास की ज्यादा जानकारी न हो जिसकी वे कमान संभाल रहे हों. इसलिए, ये छोटी-मोटी हरकतें उनकी योजनाओं में शामिल नहीं होतीं. पटौदी मेडल के लिए भी पटौदी परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था, जो विजेता टीम के कप्तान को दिया जाना था.’

पटौदी ने खुद दी थी राहुल द्रविड़ को ट्रॉफी

गावस्कर ने आगे लिखा, ‘ ड्रॉ सीरीज ने दिखा दिया कि पटौदी परिवार के नाम की ट्रॉफी को रिटायर करके उनसे बदला लेने की कोशिश कितनी मूर्खतापूर्ण थी. हर बार सीरीज़ ड्रॉ होने पर मेडल तो नहीं दिया जा सकता, है ना?’ बता दें कि ईसीबी ने पटौदी ट्रॉफी को बंद कर दिया और उसका नाम बदलकर सचिन और एंडरसन के नाम पर रख दिया था. भारत ने इसे सिर्फ एक बार जीता था – 2007 में. जब मंसूर अली खान पटौदी ने खुद इसे तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ को सौंपा था.

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