IND vs ENG, Harry Brook: भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही में संपन्न हुई पांच टेस्ट मैचों की रोमांचक सीरीज 2-2 की बराबरी पर समाप्त हुई, जिसमें दोनों टीमों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. इस सीरीज के अंत में प्लेयर ऑफ द सीरीज का चयन करने की परंपरा को निभाते हुए, प्रत्येक टीम के कोच ने विपक्षी टीम से एक खिलाड़ी को इस खिताब के लिए चुना. इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैकुलम ने भारतीय कप्तान शुभमन गिल को इस सम्मान के लायक समझा, जबकि भारतीय कोच गौतम गंभीर ने इंग्लैंड के युवा बल्लेबाज हैरी ब्रूक को चुना.
हालांकि, ब्रूक खुद इस फैसले से सहमत नहीं हैं. उन्होंने माना कि उनके टीममेट जो रूट का प्रदर्शन उनसे कहीं बेहतर रहा और उन्हें ही यह सम्मान मिलना चाहिए था. बीबीसी से बातचीत में ब्रूक ने बेहद ईमानदारी से कहा, “मैंने रूटी (जो रूट) जितने रन नहीं बनाए, इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें मैन ऑफ द सीरीज होना चाहिए था. उन्होंने इस गर्मी में एक बार फिर इंग्लैंड के लिए सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज की भूमिका निभाई है.”
ब्रूक और रूट के आंकड़ों की तुलना
सीरीज में ब्रूक ने 53.44 की औसत से 481 रन बनाए, जिसमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल थे. वहीं दूसरी ओर, जो रूट ने 67.12 की औसत से 537 रन बनाए, जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं. रनों की संख्या और औसत दोनों के आधार पर रूट ब्रूक से आगे रहे. इस तथ्य को स्वीकारते हुए ब्रूक ने कहा कि वे खुद रूट को ही इस पुरस्कार के लिए उपयुक्त मानते हैं.
ब्रूक की यह विनम्रता और ईमानदारी खेल भावना की मिसाल है, जो आधुनिक क्रिकेट में विरले ही देखने को मिलती है. उन्होंने आगे कहा, “यह सीरीज शानदार रही. ईमानदारी से कहूं तो पहले मैंने नहीं सोचा था कि सीरीज बराबर रहेगी.” इस बयान से साफ है कि खुद इंग्लैंड की टीम ने भारत की चुनौती को गंभीरता से लिया और दोनों टीमें बराबरी की टक्कर में रहीं.
गंभीर के फैसले पर उठे सवाल
भारतीय कोच गौतम गंभीर के फैसले पर अब सवाल उठने लगे हैं. गंभीर ने हैरी ब्रूक को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुनते समय शायद उनकी कुछ अहम पारियों को आधार बनाया, जिनमें उन्होंने दबाव में टीम को संभाला. लेकिन आंकड़ों के लिहाज से देखें तो रूट का प्रदर्शन कहीं ज्यादा निरंतर और प्रभावशाली रहा.
ब्रूक का यह बयान ना केवल उनकी विनम्रता को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि खिलाड़ी अपने साथियों के प्रदर्शन की कद्र करना जानते हैं. वहीं यह घटना यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या भविष्य में प्लेयर ऑफ द सीरीज जैसे पुरस्कारों का चयन केवल व्यक्तिगत आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए, या फिर मैच की परिस्थितियों और योगदान के व्यापक संदर्भ को भी महत्व देना चाहिए.
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