ENG vs IND: भारत का बेहद कड़े मुकाबले वाली एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में इंग्लैंड को 2-2 से बराबरी पर रोकना टीम में शामिल नए क्रिकेटरों के आत्मविश्वास और देश तथा टीम के लिए अपना सब कुछ झोंकने की निडरता का जश्न था. मोहम्मद सिराज ने लगभग 200 ओवर गेंदबाजी की और अपने थके हुए शरीर को 5 टेस्ट मैच के दौरान अच्छी तरह संभाला. वॉशिंगटन सुंदर कभी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे. यशस्वी जायसवाल ने जरूरत पड़ने पर योगदान दिया, आकाश दीप और प्रसिद्ध कृष्णा प्रभावी नजर आए और साई सुदर्शन ने अपनी दीर्घकालिक उपयोगिता की झलक दिखाई, लेकिन इस शानदार प्रयास का एक और आयाम भी है. इससे सवाल उठता है कि टी20 और टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वाले विराट कोहली और रोहित शर्मा तथा चोटों से जूझने वाले जसप्रीत बुमराह जैसे सीनियर खिलाड़ियों का क्या होगा. Kohli and Rohit ODI future in danger questions raised after youth brigade performance
रोहित की उम्र भी बनेगी बाधा
विराट कोहली 36 और रोहित 38 साल के हैं और ये दोनों संभवत: ऑस्ट्रेलिया में तीन मैच की वनडे सीरीज और उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू मैदान पर तीन मैच की वनडे सीरीज में खेलेंगे. इसके बाद इन दोनों को जनवरी-जुलाई 2026 के बीच न्यूजीलैंड (स्वदेश) और इंग्लैंड (विदेश में) के खिलाफ छह वनडे मैचों में खेलने का मौका मिलेगा. लेकिन क्या ये मुकाबले 2027 में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले 50 ओवरों के विश्व कप की उनकी तैयारी के लिए हैं? क्या यह दिग्गज जोड़ी सिर्फ एक प्रारूप और आईपीएल के दम पर इतने लंबे समय तक खेलना चाहेगी?
जल्द ही बीसीसीआई लेगा फैसला
एक सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘इस पर जल्द ही चर्चा होगी. अगले विश्व कप (नवंबर 2027) के लिए हमारे पास अभी भी दो साल से अधिक का समय है. कोहली और रोहित दोनों तब तक 40 के करीब हो जाएंगे इसलिए इस बड़ी प्रतियोगिता के लिए एक स्पष्ट योजना होनी चाहिए क्योंकि हमने पिछला खिताब 2011 में जीता था. हमें समय रहते कुछ युवाओं को भी आजमाने की जरूरत है.’ कोहली और रोहित ने 2024 में विश्व कप जीत के साथ टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा लेकिन इन दोनों का टेस्ट संन्यास काफी शांत रहा.
रोहित-कोहली का सफेद गेंद क्रिकेट में बड़ा योगदान
क्या इन दोनों पूर्व कप्तानों को अपने संन्यास का समय और स्थान चुनने की अनुमति होगी या उन्हें भविष्य को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे बाहर किया जाएगा? सूत्र ने कहा, ‘कोहली और रोहित दोनों ने टीम और खेल के लिए सफेद गेंद के क्रिकेट में बहुत बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने लगभग सब कुछ हासिल किया है.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए मुझे नहीं लगता कि कोई उन पर दबाव डालने वाला है लेकिन अगला वनडे इंटरनेशनल चक्र शुरू होने से पहले कुछ ईमानदार और पेशेवर बातचीत होगी जिससे यह देखा जा सके कि वे मानसिक और शारीरिक रूप से कहां खड़े हैं. यह उसी पर निर्भर करता है.’
घरेलू क्रिकेट में मिल सकती है छूट
एक अन्य मुद्दा कोहली और रोहित के लिए मैच के समय की कमी है क्योंकि ये दोनों इस साल मार्च में चैंपियंस ट्रॉफी के बाद से किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच में नहीं खेले हैं और नवंबर में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 और उसके बाद दिसंबर में विजय हजारे ट्रॉफी से पहले सीमित ओवरों के क्रिकेट की कोई घरेलू प्रतियोगिता भी नहीं है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के मौजूदा नियमों के अनुसार कोई भी खिलाड़ी पूरी तरह से फिट होने पर घरेलू मैच नहीं छोड़ सकता है और घरेलू मुकाबले में नहीं खेलने पर उसे राष्ट्रीय टीम से बाहर किया जा सकता है. हालांकि कोहली और रोहित को उनके कद को देखते हुए घरेलू प्रतियोगिताओं में खेलने से छूट मिल सकती है.
फिजियो की सलाह पर बुमराह ने 3 की मैच खेले
हालांकि, बुमराह का मामला अलग है. फिजियो ने उनके इंटरनेशनल भविष्य के लिए एक निश्चित खाका तैयार किया है जिसके तहत वह इंग्लैंड में केवल तीन टेस्ट मैच खेले. कई लोगों का मानना है कि इस पर एक निश्चित योजना बनाने का समय आ गया है कि इस प्रमुख तेज गेंदबाज का उपयोग कैसे किया जाए. बुमराह को करीब से देखने वाले एक पूर्व खिलाड़ी ने बताया, ‘टीम में उनकी अहमियत पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन प्रबंधन और बोर्ड को इस पर चर्चा करने की जरूरत है कि उनका उपयोग कैसे किया जाए. एक सभी प्रारूप में खेलने वाले गेंदबाज के रूप में या उन्हें केवल एक या दो प्रारूप पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाए.’
बुमराह को एक ही फॉर्मेट में ध्यान देने की सलाह
उन्होंने कहा, ‘सिराज, आकाशदीप और प्रसिद्ध ने हमें दिखाया है कि वे भारत के लिए टेस्ट मैच जीत सकते हैं. आइए हम उनका पूरा समर्थन करें. हमारे सामने दो महत्वपूर्ण टूर्नामेंट (टी20 और वनडे विश्व कप) आने वाले हैं और हमें उनके लिए बुमराह को तैयार रखना होगा. घरेलू मुकाबलों (वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ) के लिए हमारे पास जडेजा के साथ वॉशिंगटन और कुलदीप भी हैं और यहां बुमराह की भूमिका उतनी बड़ी नहीं होगी.’ इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘अगर आप मेरे से पूछें तो उन्हें अभी सफेद गेंद के प्रारूपों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाना चाहिए क्योंकि अगले दो वर्षों में उनके खेलने के लिए पर्याप्त टी20 और वनडे मैच हैं. आईपीएल भी है. सभी प्रारूपों में कुछ मैच खेलने के बजाय, उन्हें एक ही प्रारूप में सभी मैच खेलने देना बेहतर है. इससे टीम को फायदा होता है.’
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