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5 टेस्ट, 25 दिन और 16 खिलाड़ी, इंग्लैंड दौरे पर पूरी भारतीय टीम की रेटिंग और रिपोर्ट कार्ड


Team India players rating and Report Card on England Tour: एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का पहला संस्करण- अद्भुत! भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की यह सीरीज- लाजवाब! बॉल और बैट की जंग में खिलाड़ियों की अथक मेहनत- अतुलनीय! बस इतने में ही समेटना मुश्किल है… शुभमन गिल जैसे 25 वर्षीय नए नवेले कप्तान के नेतृत्व में नई टीम इंडिया का इंग्लैंड का सफर 20 जून से शुरू हुआ और तय समय यानी 4 अगस्त को ही समाप्त हुआ. हाल के वर्षों में यह भारत की सबसे रोमांचक सीरीज में से एक रही. दोनों टीमें बराबरी की टक्कर देती नजर आईं. एजबेस्टन टेस्ट को छोड़ दें, तो हर मैच करीबी रहा. हर मुकाबला किसी भी टीम के पक्ष में जा सकता था और ओवल टेस्ट इसका बिल्कुल सही उदाहरण था. भारत निस्संदेह ज्यादा खुश होगा क्योंकि वे न केवल मेहमान टीम थे, बल्कि एक बदलाव के दौर से भी गुजर रहे थे. 0-1 से पीछे होने के बाद 2-2 से सीरीज बराबर करना ऐसा नतीजा था जिसे भारत दौरे की शुरुआत से पहले ही खुशी-खुशी स्वीकार कर लेता.

इस दौरे पर टीम इंडिया ने पहले 18 सदस्यीय दल का ऐलान किया. फिर कुछ बदलाव किए और अंत में दो नए खिलाड़ियों (अंशुल कम्बोज, नारायण जगदीशन)को भी एंट्री मिली, जिसमें से केवल एक (अंशुल कम्बोज) को खेलने का मौका मिला. तो इन 20 खिलाड़ियों में से कुल 16 को प्लेइंग 11 में खेलने का मौका मिला. अब जब सीरीज का अंत हो गया है, तो सभी खिलाड़ियों की रेटिंग या कहें, तो एक तरह से रिपोर्ट कार्ड देखा जा सकता है. आइये नजर डालते हैं बैट्समैन, ऑलराउंडर और गेंदबाजों के प्रदर्शन पर…

इंग्लैंड टेस्ट में भारत के बल्लेबाजों की रेटिंग

यशस्वी जायसवाल, 8/10: 411 रन (2 शतक और 2 अर्धशतक) 

अपने ऊंचे मानकों के हिसाब से यशस्वी जायसवाल की यह सीरीज औसत रही. हालांकि उन्होंने दौरे का समापन एक बेहतरीन शतक के साथ किया. ओवल में उनकी 118 रन की पारी ने भारत को मैच में मज़बूत स्थिति में ला दिया. उनकी कई बार आउट होने की वजह बेहद हल्की गलतियां रहीं. सबसे खराब आउट वे लॉर्ड्स में जोफ्रा आर्चर के खिलाफ हुए, जब उन्होंने उसके पहले ओवर में पुल शॉट खेलने की कोशिश की और कैच आउट हो गए. लेकिन यह देखते हुए कि जायसवाल का यह इंग्लैंड का पहला दौरा था और नई गेंद का सामना सबसे बड़ी चुनौती थी, उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया.

केएल राहुल, 10/10: 532 रन (2 शतक और 2 अर्धशतक) 

केएल राहुल ने भारत के सबसे सीनियर बल्लेबाज के रूप में जिम्मेदारी उठाई. उन्होंने पांच में से चार मैचों में भारत को अच्छी शुरुआत दी. जैसा कि ऊपर कहा गया है, ओपनिंग करना सबसे कठिन काम है और राहुल ने सभी ओपनरों को काफी पीछे छोड़ दिया. वे भारत के सबसे लगातार रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे, जिन्होंने पहले चार टेस्ट में पचास या उससे ज्यादा का स्कोर बनाया.

शुभमन गिल, 10/10: 754 रन (4 शतक) 

जब भी शुभमन गिल ने 21 रन से ज्यादा बनाए, उन्होंने शतक जड़ा. भारत के लिए किसी टेस्ट सीरीज में उनसे ज्यादा रन केवल सुनील गावस्कर ने बनाए हैं. हेडिंग्ले में उनका शतक भारत को जीत की राह पर ले गया, लेकिन जीत नहीं मिली. इसलिए एजबेस्टन में गिल ने और बड़ा प्रदर्शन किया, एक मैच में 430 रन बनाए, जो टेस्ट इतिहास में एक मैच में बनाए गए दूसरे सबसे ज्यादा रन हैं. ओल्ड ट्रैफर्ड में जब भारत का स्कोर 0/2 था और वे 311 रन से पीछे थे, उस समय गिल का शतक शानदार था.

करुण नायर, 3/10: 205 रन (1 अर्धशतक) 

करुण नायर अपनी वापसी को सही ठहराने में नाकाम रहे. उन्होंने 8 पारियों में बल्लेबाजी की और सभी में दोहरे अंक में पहुंचे, फिर भी केवल 1 अर्धशतक बना सके. नायर को इनमें से आधी पारियों में अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन वे उसे बड़े स्कोर में बदल नहीं पाए. शायद उनकी एकमात्र अच्छी बात यह थी कि उन्होंने गिल को शुरुआती झटकों से बचने का समय दिया. लेकिन इसके अलावा, नायर का प्रदर्शन निराशाजनक रहा.

साई सुदर्शन, 6.5/10: 140 रन (1 अर्धशतक) 

साई सुदर्शन अपने डेब्यू टेस्ट में फेल होने के बाद ड्रॉप कर दिए गए. वापसी करते हुए उन्होंने एक अच्छा अर्धशतक बनाया. आखिरी टेस्ट में वे अच्छा खेले लेकिन दो बेहतरीन गेंदों पर आउट हो गए. उन्होंने बीच सीरीज में अपनी लेग-साइड समस्या को भी ठीक किया. उनका स्वभाव नंबर तीन बल्लेबाज के लिए बिल्कुल सही लगा. लंबी बल्लेबाजी करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं थी, जो टॉप-ऑर्डर बल्लेबाज से अपेक्षित है. वे यहां से और बेहतर होंगे.

ऋषभ पंत, 10/10: 479 रन (2 शतक और 3 अर्धशतक) 

ऋषभ पंत को उंगली और पैर में चोट लगी. वे आखिरी टेस्ट से बाहर रहे. इसके बावजूद उन्होंने 479 रन बनाए. केवल 5 बल्लेबाज उनसे ज्यादा रन बना पाए. हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि वे उंगली में चोट होने के बावजूद बल्लेबाजी करने उतरे, जब वे ठीक से शॉट भी नहीं खेल पा रहे थे और चल भी नहीं पा रहे थे. वे और ज्यादा रन बनाने के लिए तैयार थे, लेकिन चोट ने उनके करियर के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी प्रदर्शन को बीच में रोक दिया.

ध्रुव जुरेल, 7/10: 53 रन (19 और 34) 

ध्रुव जुरेल ने बल्लेबाजी से पहले ही 2 मैचों में भारत के विकेटकीपर के रूप में खेला. उन्होंने आकाश दीप की गेंदबाजी पर स्टंप्स के पास शानदार ग्लववर्क दिखाया. बल्लेबाजी में उन्होंने अच्छा खेल दिखाया, लेकिन दो बेहतरीन गेंदों के चलते उसे बड़े स्कोर में नहीं बदल पाए.

इंग्लैंड टेस्ट में भारत के ऑलराउंडर्स की रेटिंग

रविंद्र जडेजा, 8/10: 516 रन और 7 विकेट (1 शतक और 5 अर्धशतक) 

रविंद्र जडेजा सीरीज के टॉप 5 बल्लेबाजों में रहे. पांचों मैचों में वे दूसरी पारी में सिर्फ एक बार आउट हुए. उनकी बल्लेबाजी की जितनी तारीफ की जाए कम है. उन्होंने इंग्लैंड में किसी सीरीज में सबसे ज्यादा 50+ स्कोर बनाने का गैरी सोबर्स का रिकॉर्ड तोड़ दिया. लेकिन उनकी गेंदबाजी प्रभावी नहीं रही. 13 साल के अनुभव के बावजूद वे भारत के सबसे अच्छे स्पिनर नहीं थे. जडेजा ने गेंद से 72.42 की औसत से विकेट लिए और हेडिंग्ले में वे बिल्कुल बेअसर रहे, जो भारत की हार के कारणों में से एक था.

वॉशिंगटन सुंदर, 10/10: 284 रन और 7 विकेट (1 शतक और 1 अर्धशतक) 

वॉशिंगटन सुंदर ने दिखाया कि उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है. ड्रॉ के लिए धीमी बल्लेबाजी करना हो या 39 गेंदों में अर्धशतक जमाना हो — उन्होंने दोनों किया. वे भारत के सबसे अच्छे स्पिनर रहे, जिनका औसत जडेजा से 34 रन बेहतर था. समस्या यह थी कि गिल को उनकी गेंदबाजी पर भरोसा नहीं दिखा. आदर्श स्थिति में उन्हें और ज्यादा गेंदबाजी करनी चाहिए थी. लेकिन वॉशिंगटन ने एक ऑलराउंडर से जितनी उम्मीद की जाती है, वह सब किया.

शार्दुल ठाकुर, 2/10: 46 रन, 2 विकेट

शार्दुल ठाकुर ने 2 मैच खेले, 15.33 की औसत से 46 रन बनाए और 72 की औसत से 2 विकेट लिए. उनकी नाकामी का एक कारण उनके इस्तेमाल का तरीका भी था. 2 मैचों में उन्होंने सिर्फ 27 ओवर गेंदबाजी की. उनके 46 में से 41 रन एक ही पारी में आए.

नितीश रेड्डी, 4/10: 45 रन, 3 विकेट 

नितीश रेड्डी ने लॉर्ड्स में अपनी असली क्षमता की झलक दिखाई. उनकी गेंदबाजी शार्दुल से बेहतर रही, क्योंकि उनके तीनों विकेट ओपनरों के थे. लेकिन उन्हें भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया, उन्होंने 2 मैचों में सिर्फ 28 ओवर डाले. उनकी प्रतिभा को देखते हुए, वे बल्लेबाजी में निराशाजनक रहे.

इंग्लैंड टेस्ट में भारत के गेंदबाजों की रेटिंग

जसप्रीत बुमराह, 9/10: 14 विकेट (दो बार 5 विकेट) 

जसप्रीत बुमराह के मानकों से यह सीरीज थोड़ी फीकी रही. फिटनेस समस्याओं के कारण उन्होंने सिर्फ 3 टेस्ट खेले. इसके बावजूद वे चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. भारतीय तेज़ गेंदबाजों में किसी का औसत, इकॉनमी या स्ट्राइक रेट उनसे बेहतर नहीं था. ओल्ड ट्रैफर्ड में वे ऑफ-कलर दिखे, उनकी रफ्तार कम थी और पहली बार उन्होंने 100 रन दिए.

मोहम्मद सिराज, 10/10: 23 विकेट (दो बार 5 विकेट) 

मोहम्मद सिराज सीरीज के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. उन्होंने चोट और थकान के बावजूद भारत के लिए लगातार तेज़ और सटीक गेंदबाजी की. बुमराह की गैरमौजूदगी में वे भारत के गेंदबाजी लीडर बने. जब जरूरत थी, उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की. सभी मैच खेलने वाले अकेले तेज़ गेंदबाज होने के लिए फिटनेस चाहिए और सिराज ने इसे शानदार प्रदर्शन से साबित किया. ओवल में भारत को जिताने वाली गेंदबाजी उनकी मेहनत का शिखर रही.

आकाश दीप, 7/10: 13 विकेट (एक बार 10 विकेट) 

आकाश दीप ने एजबेस्टन में 10 विकेट लिए. गिल की शानदार बल्लेबाजी के अलावा, वे भारत की एकमात्र जीत के बड़े कारण थे. लेकिन अगले दो मैचों में वे फिट नहीं दिखे और सिर्फ 3 विकेट ले पाए. एक समय गिल को ओवल में उनसे पूछना पड़ा कि क्या वे अपना इंजेक्शन ले रहे हैं. उनका चयन उनकी 66 रन की पारी से थोड़ा सही ठहराया जा सकता है.

प्रसिद्ध कृष्णा, 7/10: 14 विकेट 

प्रसिद्ध कृष्णा ने कई बार अपनी क्षमता की झलक दिखाई, लेकिन कभी पूरा पैकेज नहीं दिखा पाए. कई मौकों पर उनका नियंत्रण चौंकाने वाला रूप से कमजोर रहा. 3 मैचों के बाद उनकी इकॉनमी 5 से ज्यादा थी. लेकिन यह देखते हुए कि ज्यादातर पिचें फ्लैट थीं और भारत को विकेट चाहिए थे, उनका चयन गलत नहीं था. हालांकि, यह कहा जा सकता है कि अगर वे भारत को नियंत्रण दे पाते तो सीरीज का नतीजा अलग हो सकता था. अंत में, ओवल टेस्ट की दोनों पारियों में 4 विकेट लेकर उन्होंने साबित किया कि वे कब काम आते हैं.

अंशुल कम्बोज, 2/10: 1 विकेट 

नियंत्रण देने की उम्मीद के साथ चुने गए अंशुल कम्बोज पूरी तरह बिखरे हुए दिखे. उन्होंने 157.1 ओवर में से सिर्फ 18 ओवर फेंके और 4.94 की इकॉनमी रही. यह उनके लिए भुला देने वाला डेब्यू था. पूरे टेस्ट में ऐसा लगा कि वे फिट नहीं हैं, क्योंकि वे शिन इंजरी से उबर रहे थे. उनकी रफ्तार शुरुआती 130 के भी पार नहीं जा रही थी.

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