IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच पांचवां और अंतिम टेस्ट मैच गुरुवार, 31 जुलाई से लंदन के ओवल मैदान में खेला जाएगा. यह मुकाबला न केवल सीरीज के नतीजे का निर्धारण करेगा, बल्कि दोनों टीमों के लिए एक कड़ी परीक्षा भी होगा. इंग्लैंड फिलहाल 2-1 से आगे है, लेकिन मैनचेस्टर में भारत की शानदार वापसी और मैच ड्रॉ कराने की जुझारू कोशिश ने सीरीज को जिंदा रखा है.
यह दौरा एक ऐसे भारतीय दल के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है, जो कई दिग्गजों के संन्यास के बाद नए युग में प्रवेश कर चुका है. विराट कोहली, रोहित शर्मा और आर अश्विन जैसे दिग्गज अब टेस्ट क्रिकेट में नहीं हैं. इसके बावजूद, भारतीय टीम ने पूरे दौरे में मजबूत मानसिकता और प्रतिस्पर्धी प्रदर्शन से सबको चौंकाया है.
IND vs ENG: नई पीढ़ी की परीक्षा
भारत के लिए यह सीरीज अग्निपरीक्षा से कम नहीं रही. कई अनुभवी चेहरों के न रहने के बावजूद टीम ने अनुशासित और साहसी खेल दिखाया है. खासकर बल्लेबाजी में शुभमन गिल, केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों ने शानदार योगदान दिया है. ये चारों बल्लेबाज अब तक सीरीज में 400 से ज्यादा रन बना चुके हैं, जो इंग्लैंड की तेज पिचों और स्विंग की परिस्थितियों को देखते हुए बेहद सराहनीय है.
सबसे ज्यादा चर्चा में रहे हैं भारतीय कप्तान, जिन्होंने आठ पारियों में 700 से ज्यादा रन बनाए हैं. उनकी बल्लेबाजी में स्थिरता, तकनीकी परिपक्वता और रन बनाने की भूख साफ दिखी है. उनके प्रदर्शन ने यह संकेत दे दिया है कि वह न केवल भारत के लिए टेस्ट कप्तानी की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी एक उच्च कोटि के बल्लेबाज बनते जा रहे हैं.

गेंदबाजी में भी भारत ने विविधता और गहराई दिखाई है. तेज गेंदबाजों ने जहां नई गेंद से दबाव बनाया, वहीं स्पिनरों ने भी अहम मौकों पर विकेट निकाल कर मैच की दिशा बदली है. हालांकि इंग्लैंड की परिस्थितियों में स्पिनरों का प्रभाव सीमित रहता है, लेकिन जडेजा और अन्य गेंदबाजों ने मौके पर काम किया.
ओवल में बल्ले का बोलबाला
ओवल की पिच पिछले कुछ समय में बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग बन चुकी है. हाल ही में यहां खेला गया सरे और डरहम के बीच काउंटी चैंपियनशिप मैच इसका सबसे ताजा उदाहरण है. उस मैच में कुल मिलाकर तीन पारियों में 1444 रन बने, छह शतक लगे और एक बल्लेबाज ने तिहरा शतक भी जड़ा.
सरे के लिए डोम सिबली ने 475 गेंदों में 305 रन की मैराथन पारी खेली और उनकी टीम ने पहली पारी में 820/9 रन बनाकर पारी घोषित की. डैन लॉरेंस (178), विल जैक्स (114 रन, 94 गेंद) और सैम कुरेन (108 रन, 124 गेंद) ने भी रन वर्षा की. डरहम की पहली पारी 362 रन पर सिमटी, लेकिन फॉलोऑन के बाद सलामी बल्लेबाजों ने दिखाया कि पिच अभी भी बल्लेबाजों के अनुकूल है. एलेक्स लीस ने मैच में दूसरा शतक लगाया, जबकि एमिलियो ग्रे ने नाबाद 156 रन बनाए.
यह पिच का वही मिजाज है जो अब भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाले निर्णायक मुकाबले में भी देखने को मिल सकता है. ऐसे में, उम्मीद की जा सकती है कि इस टेस्ट में भी रन बनाने वालों की भरमार होगी और गेंदबाजों को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. खासकर स्पिनरों के लिए यहाँ ज्यादा मदद नहीं मिलेगी, लिहाजा तेज गेंदबाजों को ही शुरुआती और रिवर्स स्विंग से विकेट निकालने की जिम्मेदारी उठानी होगी.
इतिहास दोहराने का प्रयास करेगा भारत
भारत के पास यह सुनहरा मौका है कि वह इस दौरे को ड्रॉ कराकर न केवल सीरीज को बराबरी पर समाप्त करे, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में नई पीढ़ी की मजबूती का भी प्रमाण दे. भारतीय कप्तान के नेतृत्व में युवा खिलाड़ियों ने यह दिखा दिया है कि वे बड़े मंच पर दबाव में भी प्रदर्शन कर सकते हैं.
इंग्लैंड अपने घरेलू मैदान पर होने के कारण थोड़ा आगे जरूर है, लेकिन भारतीय टीम का आत्मविश्वास और मैनचेस्टर में मिली वापसी उसे कहीं भी चुनौती देने में सक्षम बनाता है. अगर गिल और कप्तान का बल्ला फिर चला, और गेंदबाज़ों ने इंग्लैंड को शुरुआती झटके दिए, तो ओवल में भारत के लिए जीत की उम्मीद जरूर की जा सकती है.
अब देखना होगा कि क्या भारतीय टीम ओवल के “रन-फेस्ट” में खुद को श्रेष्ठ साबित कर पाती है या फिर इंग्लैंड घरेलू हालातों का फायदा उठाकर ट्रॉफी अपने नाम करता है.
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