Shikhar Dhawan Reaction on Rohit Sharma and Virat Kohli Retirement: रोहित शर्मा ने पिछले बुधवार टेस्ट क्रिकेट से विदाई ली और 5 दिन बाद विराट कोहली ने इंस्टाग्राम पर एक भावनात्मक पोस्ट के साथ इस फॉर्मेट को अलविदा कहा. रोहित शर्मा और विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद, भारत के पूर्व ओपनर शिखर धवन ने अपने इन दोनों लंबे समय के साथियों को एक भावुक पोस्ट लिखकर प्रतिक्रिया दी है. शिखर धवन अपनी मस्तमौला छवि और ड्रेसिंग रूम में गहरे संबंधों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने विराट और रोहित के साथ कई यादगार पल साझा किए हैं और बीते दशक में भारत की सबसे सफल बल्लेबाजी लाइनअप का हिस्सा रहे हैं.
इंस्टाग्राम पर धवन ने एक भावुक संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने विराट और रोहित के साथ बिताए पलों और दोस्ती की यादों को ताजा किया. उन्होंने लिखा, “पिच पर सिर्फ शॉट्स नहीं, यारियां भी बनती हैं. दो दिग्गजों रोहित शर्मा और विराट कोहली के साथ मैदान साझा करने पर गर्व है. इन यादों, हंसी और ऐतिहासिक पलों के लिए शुक्रिया. टेस्ट क्रिकेट तुम्हें मिस करेगा.”
रोहित ने नवंबर 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था और तब से अपने रिटायरमेंट तक 67 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उन्होंने 4,301 रन बनाए, औसत 40.57 रहा. उन्होंने 12 शतक और 18 अर्धशतक लगाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 212 रन था. वे भारत के टेस्ट इतिहास में 16वें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं.
हालांकि विदेशी धरती पर शुरुआत में प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत ने उनके टेस्ट करियर को फिर से रफ्तार दी. WTC के दौरान खेले गए 40 टेस्ट में रोहित ने 2,716 रन बनाए, औसत 41.15 रहा, 9 शतक और 8 अर्धशतक लगाए. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 212 रन रहा. वे WTC इतिहास में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाले खिलाड़ी बने और कुल मिलाकर इस टूर्नामेंट के 10वें सबसे बड़े रन स्कोरर रहे.
दूसरी ओर, विराट कोहली ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू किया और आने वाले वर्षों में भारत के सबसे बड़े टेस्ट प्रतिनिधि बनकर उभरे. उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 46.85 की औसत से 9,230 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं. वे भारत के लिए टेस्ट में चौथे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं.
बतौर कप्तान भी विराट ने गहरी छाप छोड़ी. उन्होंने भारत के लिए 68 टेस्ट में कप्तानी की, जिसमें 40 जीत दर्ज की, और कई ऐतिहासिक विदेशी जीतों में टीम का नेतृत्व किया. उन्होंने भारतीय टीम में तेज गेंदबाजों की नई पीढ़ी तैयार की, फिटनेस को प्राथमिकता दी, और टीम में “किसी भी कीमत पर जीत” वाली मानसिकता को विकसित किया.
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