Bihar Election 2025: पटना में चुनाव आयोग की टीम और राजनीतिक दलों के बीच हुई अहम बैठक में बीजेपी ने दो चरणों में चुनाव कराने और बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान की सख्त जांच की मांग की. पार्टी का कहना है कि मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) से मिलान कर वास्तविक मतदाताओं की ही वोटिंग सुनिश्चित की जाए. आरजेडी ने इसे ‘राजनीतिक साजिश’ बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि बीजेपी चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है.
BJP की दोहरी मांग—कम चरणों में चुनाव और बुर्का में महिलाओं की पहचान
बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में शनिवार को एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अगुवाई में पटना पहुंचे चुनाव आयोग के दल से मुलाकात की. बैठक में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को एक या अधिकतम दो चरणों में संपन्न कराने की मांग दोहराई. पार्टी का तर्क है कि लंबी चुनावी प्रक्रिया प्रशासनिक दबाव बढ़ाती है और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है.
इसी बैठक में बीजेपी ने दूसरा अहम मुद्दा उठाया—बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान का. पार्टी ने कहा कि मतदान केंद्रों पर महिला कर्मियों के जरिये बुर्का हटाकर ईपीआईसी कार्ड से पहचान की जाए, ताकि फर्जी मतदान को रोका जा सके.
बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं, बल्कि पारदर्शी चुनाव की दिशा में उठाया गया कदम है. उन्होंने महिला बूथों की संख्या बढ़ाने की भी वकालत की.
RJD का पलटवार—‘यह सांप्रदायिक एजेंडा थोपने की कोशिश’
बीजेपी की इस मांग पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तीखा हमला बोला. पार्टी के वरिष्ठ नेता अभय कुशवाहा और प्रवक्ता चितरंजन गगन ने चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद बयान दिया कि पहचान को लेकर कोई बड़ी समस्या नहीं है. उन्होंने कहा कि हाल ही में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत सभी मतदाताओं के लिए नए फोटोयुक्त ईपीआईसी कार्ड जारी किए गए हैं.
आरजेडी नेताओं का कहना है कि बीजेपी चुनाव से पहले जानबूझकर धार्मिक प्रतीकों को मुद्दा बना रही है ताकि अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा सके. पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “बीजेपी अल्पसंख्यक महिलाओं को निशाना बनाकर वोट बैंक को तोड़ने की कोशिश कर रही है. चुनाव प्रक्रिया पहले से ही पारदर्शी है, यह विवाद केवल चुनावी ध्रुवीकरण के लिए खड़ा किया जा रहा है.
बुर्का पर सियासत से गरमाई चुनावी फिजा
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जो मुद्दे राजनीतिक बहस के केंद्र में आने चाहिए थे—जैसे विकास, रोजगार, गठबंधन समीकरण—उनसे पहले ‘बुर्का’ ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है. बीजेपी इसे पारदर्शी मतदान की दिशा में कदम बता रही है, जबकि आरजेडी इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति कह रही है.
आगामी दिनों में चुनाव आयोग की सिफारिशों और दलों की रणनीतियों से यह तय होगा कि ‘बुर्का पहचान विवाद’ सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित रहता है या चुनावी नैरेटिव को नई दिशा देता है.
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