Bihar News: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिलों के लगातार दौरे कर रहे हैं इसी कड़ी में शनिवार को जमुई के बटिया में होने वाला जनसंवाद कार्यक्रम खास था क्योंकि इसमें 50 साल से लंबित बरनार जलाशय परियोजना का शिलान्यास होना था प्रशासन और ग्रामीणों ने इसे ऐतिहासिक दिन की तरह देखा था, लेकिन खराब मौसम के कारण मुख्यमंत्री का दौरा रद्द होते ही गांवों में निराशा छा गई अब सभी की निगाहें नई तारीख की घोषणा पर टिकी हैं.
खराब मौसम बना रोड़ा, रद्द हुआ जनसंवाद और शिलान्यास
शनिवार को जमुई जिले के बटिया में मुख्यमंत्री का जनसंवाद कार्यक्रम होना तय था. इसी मंच से बरनार जलाशय परियोजना के शिलान्यास की औपचारिक घोषणा की जानी थी. प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. हजारों की भीड़ जुटने की संभावना थी और स्थानीय लोगों ने इसे ऐतिहासिक दिन की तरह देखने की तैयारी कर रखी थी.
ठीक कार्यक्रम से पहले मौसम बिगड़ गया. हेलिकॉप्टर उड़ान भरने की स्थिति में नहीं था, जिसके चलते मुख्यमंत्री का दौरा रद्द कर दिया गया. जिलाधिकारी नवीन ने इसकी पुष्टि की और बताया कि कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है. नई तारीख जल्द घोषित की जाएगी.
बरनार जलाशय: आधी सदी से अधूरी परियोजना
बरनार जलाशय परियोजना की कहानी लगभग पचास साल पुरानी है. जमुई और आसपास के इलाकों में सिंचाई व पेयजल संकट के समाधान के रूप में इस परियोजना को दशकों पहले प्रस्तावित किया गया था. हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा उठता रहा, नेताओं ने वादे किए, लेकिन परियोजना कागजों से बाहर निकल नहीं सकी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस परियोजना को वे अपने क्षेत्र की “जीवनरेखा” मानते हैं. किसानों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री के हाथों शिलान्यास के बाद परियोजना का काम तेजी से शुरू होगा और वर्षों से चली आ रही समस्याओं का हल निकलेगा.
किसानों पर सीधा असर, सिंचाई के लिए महंगे साधनों पर निर्भरता
परियोजना अधूरी रहने का सबसे बड़ा खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है. जलाशय न बनने से इलाके की हजारों एकड़ कृषि भूमि सिंचाई सुविधा से वंचित है. बारिश के भरोसे खेती करने वाले किसान अक्सर सूखे और फसल बर्बादी का सामना करते हैं.
मजबूरी में उन्हें महंगे डीजल पंप और ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ता है. इससे लागत बढ़ जाती है और मुनाफा घट जाता है. बरनार जलाशय बन जाने से न सिर्फ सिंचाई की समस्या दूर होगी, बल्कि क्षेत्र में कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने की उम्मीद है.
ग्रामीणों की उम्मीद अब नई तारीख पर टिकी
कार्यक्रम रद्द होने से ग्रामीणों में मायूसी जरूर है, लेकिन उम्मीदें टूटी नहीं हैं. प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री के इस दौरे की नई तारीख जल्द घोषित की जाएगी. ग्रामीण अब इस नई तारीख का इंतजार कर रहे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बरनार परियोजना शुरू हो जाने से न सिर्फ खेती में सुधार होगा, बल्कि पेयजल संकट दूर होगा और क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. कई परिवार इसे आने वाले समय में अपनी किस्मत बदलने वाली परियोजना के रूप में देखते हैं.
चुनावी मौसम में बरनार का मुद्दा फिर गर्माया
जमुई का यह कार्यक्रम ऐसे समय में रद्द हुआ है जब विधानसभा चुनाव करीब हैं और सरकार जनता को विकास कार्यों के जरिए संदेश देना चाहती है. बरनार जलाशय जैसी पुरानी परियोजना का शिलान्यास टलना राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस परियोजना पर अमल की दिशा में कितनी तेजी दिखाती है और क्या इस बार दशकों पुरानी उम्मीदों को हकीकत में बदला जा सकेगा.
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