Black Cobra Rescue Ranchi: सर्पमित्र रमेश महतो ने बताया कि यह ब्लैक कोबरा भारतीय नाग की एक दुर्लभ उपप्रजाति है, जो झारखंड में केवल पलामू क्षेत्र में ही देखने को मिलती है. रांची जैसे शहरी इलाके में इसका मिलना संदेह पैदा करता है. जांच के बाद पता चला कि यह सांप सपेरों की क्रूरता का शिकार बना था. इसके विषदंत और विषग्रंथि को बेरहमी से निकाल दिया गया था, जिसके चलते यह चलने-फिरने और जीवित रहने की स्थिति में भी नहीं था. रमेश का मानना है कि इसे बाहर से लाया गया और फिर घायल अवस्था में लावारिस छोड़ दिया गया.
सपेरों की हैवानियत, चंद सिक्कों की खातिर सांपों के साथ क्रूरता
सर्पमित्र रमेश ने सांपों के साथ होने वाली क्रूरता की कड़वी सच्चाई को सामने रखा. उन्होंने बताया कि सपेरे चंद पैसों की लालच में सांपों के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर देते हैं. सांपों के विषदंत तोड़ दिए जाते हैं, उनकी विषग्रंथि को ब्लेड या धारदार औजारों से काटकर निकाल लिया जाता है, ताकि वे किसी को नुकसान न पहुंचा सकें. इतना ही नहीं, इन सांपों को कई दिनों तक भूखा रखा जाता है, जिससे वे कमजोर होकर आसानी से नियंत्रित हो सकें. फिर इन्हें पेटी में कैद कर ‘नाग देवता’ के नाम पर गली-गली घूमकर पैसे इकट्ठे किए जाते हैं. रमेश ने बताया कि भूख की वजह से सांप दूध तक पी लेते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. जब सांप मरने की कगार पर पहुंच जाते हैं, तो सपेरे उन्हें कहीं भी फेंककर चले जाते हैं. यह ब्लैक कोबरा भी ऐसी ही क्रूरता का शिकार था.
इलाज और संरक्षण की उम्मीद
रमेश ने इस कोबरा को न केवल रेस्क्यू किया, बल्कि इसका इलाज करने का भी संकल्प लिया. उनका कहना है कि पहले सांप को स्वस्थ किया जाएगा, और फिर उसे किसी सुरक्षित प्राकृतिक स्थान पर छोड़ा जाएगा, जहां वह स्वतंत्र रूप से जी सके. उनकी यह कोशिश न केवल एक सांप को बचाने की है, बल्कि प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने की भी है.

सर्पमित्र की भावुक अपील: सांपों के अस्तित्व को बचाएं
रमेश महतो ने आम लोगों से एक भावनात्मक और जागरूक अपील की है. उन्होंने कहा कि सांपों का अस्तित्व आज खतरे में है. सपेरों को पैसे देकर या उनके इस क्रूर व्यवसाय को बढ़ावा देकर हम अनजाने में सांपों की प्रजातियों को नष्ट होने की ओर धकेल रहे हैं. उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि यदि कहीं सपेरे सांपों के साथ दिखें या पैसे मांगते नजर आएं, तो उनकी शिकायत वन विभाग या स्थानीय प्रशासन से करें. “धर्म और आस्था अपनी जगह है, लेकिन हमें अंधविश्वास के नाम पर सांपों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. सांप पर्यावरण संरक्षण की महत्वपूर्ण कड़ी हैं. इनका बचे रहना हमारी धरती के लिए जरूरी है.”
