Bihar News: पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वोटर लिस्ट का अंतिम प्रारूप जारी कर दिया गया है. वोटर लिस्ट में लाखों लोगों के नाम काटे गये हैं, जबकि नये वोटरों की संख्या भी लाखों में है. SIR के दौरान बिहार में वोटर लिस्ट से नाम काटने पर काफी सियासत हुई. विपक्ष यह आरोप लगाता रहा कि आयोग उनके समर्थित वोटरों का नाम सूची से हटा रहा है, वहीं सत्ता पक्ष के लोगों का कहना है कि इससे वोटर बन चुके घुसपैठिये को बाहर निकालने का काम किया जायेगा. अब जब अंतिम सूची सामने आ चुकी है तो यह आंकड़े भी सामने आ रहे हैं कि कुल हटाये गये वोटरों में महज 6 हजार ऐसे वोटर थे जिनकी नागरिकता विदेशी पायी गयी.
शादी के बाद बनी थी भारत की वोटर
एक अंग्रेजी अखबार का दावा है कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले किए गए 3.66 लाख नामों में से लगभग 6,000 नाम गैर-भारतीय नागरिकता के कारण हटाए गए हैं. हालांकि, मतदाता सूची से हटाए गए नामों का बड़ा हिस्सा महिला मतदाताओं के नाम पर पड़ा है. इन महिला वोटरों में अधिकतर ऐसी महिलाएं हैं, जो नेपाल की नागरिक हैं. शादी के बाद वो भारत की वोटर बनी थी. मसौदा सूची के 65 लाख नाम हटाए जाने के बाद ऐसी कोई संख्या सामने नहीं आई थी. 24 जून के भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, इन 6,000 मामलों को संबंधित अधिकारियों के पास भेजा जाएगा.
घुसपैठ के मुद्दे पर छिड़ा था सियासी संग्राम
SIR के दौरान बिहार में ‘घुसपैठियों’ के मुद्दे पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ था. भाजपा का आरोप रहा है कि बिहार में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए वोटर बने हुए हैं, जिनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाने चाहिए. महागठबंधन का आरोप था कि भाजपा और प्रशासन गरीबों और वंचितों के नाम वोटर लिस्ट से काटने की साजिश रच रही है. राहुल गांधी ने इसको लेकर पूरे बिहार में वोटर अधिकार यात्रा की थी. ताजा आंकड़े ने घुसपैठियों की संख्या सामने लाकर अब मुद्दे पर छिड़े सियासी संग्राम को और हवा दे दी है.
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