झारखंड को ‘उड़ता पंजाब’ बनने से रोकें, सीयूजे के नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रम में डीएलएसए सचिव ने दिया ये मंत्र
CUJ Drug deaddiction Awareness Program: रांची-केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे) में शुक्रवार को नशा मुक्ति जागरूकता उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि रांची जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) के सचिव रवि कुमार भास्कर ने कहा कि झारखंड को ‘उड़ता पंजाब’ बनने रोकें. इसके लिए जागरूकता जरूरी है. उन्होंने छात्रों से अपील की कि किसी भी कानूनी सहायता के लिए 15100 पर संपर्क करें. नशा स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन और रोजगार के लिए हानिकारक है. सीयूजे परिसर में ड्रग-फ्री क्लब बनाने का भी उन्होंने सुझाव दिया.
नशे से दूर रहने की दी सलाह-राम कुमार झा
राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय के सहायक निदेशक राम कुमार झा ने कहा कि लाल निशान या Rx वाली दवाइयां केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही ली जानी चाहिए. उन्होंने समझाया कि कैसे नशीली दवाओं का प्रयोग धीरे-धीरे सेवन, निर्भरता और फिर पूर्ण लत में बदल जाता है. उन्होंने छात्रों को नशे से दूर रहने की सलाह दी.
हेल्पलाइन नंबर 112 पर लें मदद
सीआईडी अफसर नवीन कुमार राय ने नशे पर रोक में सीआईडी की भूमिका पर कहा कि कुछ देश भारतीय युवाओं को नशे का शिकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने छात्रों से सतर्क रहने और सहयोग करने का आग्रह किया क्योंकि यह लड़ाई केवल कानून के भरोसे नहीं लड़ी जा सकती है. उन्होंने झारखंड का टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 112 की जानकारी दी.
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हेल्पलाइन नंबर 1933 पर दे सकते हैं सूचना
एनसीबी अधिकारी राकेश गोस्वामी ने युवाओं को चेताया कि नशा शुरू ही न करें, क्योंकि एक बार लत लग जाने पर लौटना लगभग असंभव हो जाता है. उन्होंने राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन नंबर 1933 शेयर किया, जो मानसिक स्वास्थ्य सहायता, नशा तस्करों की सूचना और पुनर्वास सहयोग के लिए एक गोपनीय सेवा है.
नशे में वापसी का रास्ता हो जाता है बंद-अतुल गेरा
समाज सेवी अतुल गेरा ने नशे की समस्या को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि आप किसी देश को कमजोर करना चाहते हैं तो उसकी युवा पीढ़ी को कमजोर कर दीजिए. नशाखोरी केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि मौन आतंकवाद है. इसका हल है ‘गेटवे ड्रग्स’ से दूरी बनाना क्योंकि एक बार इसमें कदम रख दिया तो यह वापसी का रास्ता बंद कर देता है.
नशे से दूर रहने का लिया संकल्प
प्रोफेसर आरके डे ने कहा कि नशे से इंसान अपना नियंत्रण खो देता है और इसे रोकना बेहद जरूरी है. छात्र कल्याण डीन अनुराग लिंडा ने कहा कि जागरूकता ही आपका भविष्य तय करती है और विश्वविद्यालय इस दिशा में छात्रों को पूरा सहयोग देगा. कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस अधिकारी डॉ रश्मि वर्मा ने की. उन्होंने नशाखोरी और अपराध के बीच संबंध एवं इसके स्वास्थ्य पर खतरों पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में नशे के गंभीर दुष्परिणामों पर आधारित एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया. अंत में सभी प्रतिभागियों ने नशा मुक्ति की शपथ ली. उन्होंने नशे से दूर रहने और जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया. कार्यक्रम का समापन डॉ. ऋषिकेश महतो (एनएसएस समन्वयक) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.