सासाराम नगर. शेरशाह का मकबरा आजादी के 79 वर्ष बाद भी सासाराम की सबसे बड़ी पहचान है. एक पहचान स्वतंत्रता सेनानी निशान सिंह और पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम से भी जुड़ा हुआ है. इसके इतर अबतक कोई इस शहर और विधानसभा क्षेत्र को कोई अलग पहचान देने में असफल रहा है. बिहार के गौरवशाली इतिहास को समेटे नालंदा को पुनर्जीवित करने में राज्य सरकार का अहम योगदान रहा. लेकिन, उसकी छींटे सासाराम पर नहीं पड़ी, जिसकी पीड़ा आज भी लोगों के दिलों में है. इसलिए गुरुवार को पुराने बस पड़ाव में लगे प्रभात खबर चौपाल में लोगों ने अशोक के लघु शिलालेख को संरक्षित करने के लिए किये गये कार्यों का जवाब मांगा. साथ ही स्नेहा के हत्यारों को अबतक नहीं पकड़ने को लेकर इंसाफ मांगा. इन सबके बीच एनडीए और महागठबंधन के बीच राक्षसराज और जंगलराज साबित करने की होड़ मची रही. जनता के सवालों का मंच से भाजपा नेता अखिलेश कुमार, जदयू जिलाध्यक्ष अजय सिंह कुशवाहा, भावी प्रत्याशी तोराब नेयाजी, जनसुराज के प्रवक्ता विनोद तिवारी, राजद नेता तौकिर मंसूरी, कांग्रेस नेता राजेश्वर कुशवाहा जवाब दे रहे थे. इस दौरान एक व्यक्ति ने पूछा अक्सर वोट मांगने के लिए नेता खुद को गरीब का बेटा बताते हैं. लेकिन, जीतने के बाद 20 लाख की गाड़ी पर घूमते हैं. इसका जवाब भाजपा नेता अखिलेश कुमार ने दिया और कहा कि इसका जवाब, तो लालू प्रसाद को देना चाहिए. वह गरीबों का नेता बताते हैं. लेकिन, चलते हेलीकॉप्टर से हैं. इसके बाद चौपाल में आये व्यक्ति ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में सच्चर कमेटी बनी थी. लेकिन, उसकी रिपोर्टों को अबतक लागू नहीं किया गया. इसका जवाब देते हुए कांग्रेस के नेता राजेश्वर कुशवाहा ने कहा कि सच्चर कमेटी के तहत गरीब मुसलमानों का आकलन कराया गया था. लेकिन, हमारी सरकार केंद्र में दोबारा नहीं आयी. इसलिए उस रिपोर्ट को लागू नहीं किया गया. अगला सवाल शहर में जाम की समस्या को लेकर पूछा गया. इसका जवाब राजद के तत्कालीन विधायक के प्रतिनिधि मांगा गया, तो उन्होंने इसका ठीकरा प्रशासन और पुलिस पर फोड़ दिया और कहा कि यह समस्या लॉ एंड ऑर्डर का है. उन्होंने कहा आज पूरे राज्य में राक्षसराज है, जहां अधिकारी सुरसा की तरह मुंहबाय जनता का पैसा लूटने के लिए खड़े हैं. लालू प्रसाद के राज को जंगलराज कहनेवाले लोगों को स्नेहा कुशवाहा के इंसाफ के लिए हमने लड़ते नहीं देखा. सासाराम की इस बच्ची का प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र में हत्या कर दी गयी. लेकिन, उसे इंसाफ नहीं मिला. इंद्रपुरी की एक बच्ची पिछले पांच माह से लापता है, पर अबतक पुलिस उसे नहीं ढूंढ़ सकी. ऐसे कई और घटनाएं है, जिसको गिनाने में समय कम पड़ जायेगा. हालांकि, इनके डाटा को जदयू जिलाध्यक्ष अजय कुशवाहा ने गलत ठहराते हुए कहा कि पुलिस अपना कार्य कर रही है. अबतक कई लोगों की मानसिकता 20 साल पुरानी है. एक व्यक्ति ने पूछा कि शहर के एसपी जैन कॉलेज, शंकर कॉलेज और शेरशाह कॉलेजों में प्रोफेसर 2.5 लाख रुपये से अधिक का वेतन पाते हैं. लेकिन, इन कॉलेजों में क्लास नहीं चलती है. इनका कोई जवाब मंच से नहीं आया. क्योंकि यह अपने सवाल के साथ-साथ सीएम नीतीश कुमार को इंदिरा गांधी जैसा सबक सिखाने की बात कह गये, जिसके बाद जदयू नेता भड़क गये और कहा कि इस मानसिकता से अगर आप सवाल पूछेंगे, तो हम जवाब कैसे देंगे? संयमित होकर सवाल पूछें. ताकि हम उसका जवाब दे सकें. करवंदिया पत्थर उद्योग को लेकर भी चौपाल में सवाल पूछा गया, जिसपर जनसुराज के प्रवक्ता विनोद तिवारी ने जवाब देते हुए कहा कि हमारी पार्टी इस चुनाव में पांच संकल्प के साथ उतरी है. लेकिन, मैं इस विधानसभा के लिए यह छठवां संकल्प लेता हूं कि जब राज्य में हमारी सरकार आयेगी, तो पत्थर उद्योग को फिर से शुरू किया जायेगा.
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