EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

Vishwakarma Puja 2025: कोल इंडिया में कई मिस्त्री थे इतने नामी कि बिहार से एंबेसडर कार मरम्मत के लिए आती थी बेरमो


Vishwakarma Puja 2025: बेरमो (बोकारो) राकेश वर्मा-कोल इंडिया और डीवीसी के प्रतिष्ठान को अपने अंदर समेटे औद्योगिक नगरी बेरमो कोयलांचल को सजाने और संवारने में कई नामी-गिरामी मिस्त्रियों ने अपनी अहम भूमिका अदा की है. पहले गैराज में काम करनेवाले मैकेनिक काफी दक्ष और कुशल थे. पहले यहां के नामी गैराज मैकेनिक के पास बेरमो के अलावा बाहर से लोग अपनी गाड़ी मरम्मत कराने आते थे. कोलियरियों में चलने वाले बड़े-बड़े शॉवेल, डोजर, पोकलेन मशीन के साथ साथ पुराने जमाने में छह चक्का डंपर का डाला बनाने का काम भी इसी कोयलांचल में कई नामी मिस्त्री किया करते थे. ऐसे कई मिस्त्री को पूरे कोल इंडिया में लोग उनके नाम और काम से जानते थे. बेरमो में 60-70 के दशक में मैकेनिकल मिस्त्री के रूप में आजम मिस्त्री, इंजन मिस्त्री के रूप में शामू मिस्त्री, सेल्फ एवं डायनेमो के अकबर मिस्त्री, डेटिंग-पेटिंग के बंधु मिस्त्री का बड़ा नाम था. वे छोटी-बड़ी गाड़ियों के क्रॉस मेंबर की लाइनिंग करने में माहिर माने जाते थे.

ये थे चर्चित मिस्त्री

मैकेनिक में टेनी मिस्त्री पूरे झारखंड में काफी चर्चित थे. वे उस वक्त की विदेशी गाड़ियां टोयोटा, माजदा, इसुजू, डीआसजू आदि का इंजन यहां की गाड़ियों में फिट कर देते थे. फुसरो करगली में एक अन्य शामू मिस्त्री बुलेट मोटरसाइकिल के माहिर मिस्त्री थे. बड़ी गाड़ियों की डेटिंग-पेटिंग के मामले में लुडू मिस्त्री भी काफी चर्चित थे. नया डंपर बनाने में लीलधारी मिस्त्री का कोई जवाब नहीं था. मैकेनिकल मिस्त्री में आजम और जसीम का भी नाम था.

लखन मिस्त्री का भी कोई जवाब नहीं

50-60 के दशक में बड़ी गाड़ियों की चेसिस बनाने में लखन मिस्त्री की काफी ख्याति थी. इसी तरह कोहली इंजीनियरिंग और यूनाइटेड इंजीनियरिंग में वैल्डिंग एवं लैथ का काम हुआ करता था, जबकि मैकेनिकल में कन्नू मिस्त्री व हजारीबाग गैराज नामी था. दो भाइयों के साथ रामगढ़ से फुसरो आये शामू मिस्त्री वर्ष 1965 में शमशुद्दीन उर्फ शामू मिस्त्री अपने दो भाईयों के साथ रामगढ़ से फुसरो आये थे. हेल्पर का काम करते हुए वे इस क्षेत्र के चर्चित मिस्त्री हो गये. एकीकृत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व बिंदेश्वरी दुबे, स्व. रामाधार सिंह उर्फ मालिक बाबू, इंटक के दिग्गज नेता स्व. राजेंद्र प्रसाद सिंह व पूर्व सांसद स्व, रामदास सिंह की एंबेसडर कार और जीप की मरम्मत शामू मिस्त्री ही किया करते थे.

ये भी पढ़ें: प्रभात खबर संवाद: धनबाद में दुर्गा पूजा समितियों के पदाधिकारियों का जुटान, बताया कैसे यादगार होगा आयोजन?

शामू मिस्त्री का भी बड़ा नाम था

80 के दशक में पूर्व सांसद डॉ सरफराज अहमद के नयी मॉडल की एंबेसडकर कार की मरम्मत भी शामू ही किया करते थे. इसके अलावा दिवंगत शिबू सोरेन की पुरानी जीप में शामू मिस्त्री ने नया डीजल इंजन लगाया था. 80 के दशक में ही पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने पानागढ़ से जीप मंगवायी थी. इसका भी मॉडिफिकेशन शामू ने ही किया था. शामू मिस्त्री पहले राजेश्वर सिंह की एनसीसी (नेशनल कोल कंपनी) कंपनी में हेल्पर थे. इस कंपनी में हेमलाल मेन मिस्त्री हुआ करते थे. 1972 तक इस कंपनी में रहने के बाद वे घुटियाटांड़ के केएमसीसी (करगली माइनिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी) में चले गये. यहां वे बतौर मिस्त्री बहाल हुए, बाद में शामू ने फुसरो में अपना भारत मैकेनिकल गैराज खोला. इस गैराज में उस वक्त टाटा की सभी गाड़ियां, होडर, ट्रक, लीलैंड, एंबेसडर कार, जीप समेत कई वाहनों का काम होने लगा.

पूर्व सीएम की पेट्रोल एंबेसडर कार में लगाया था डीजल इंजन

90 के दशक में वे अपनी गैराज को बंद कर नागपुर में सर्वेश्वरी व जुगनू कंपनी के साथ कोयले की ट्रांसपोर्टिंग करने लगे, लेकिन पांच साल के बाद पुनः फुसरो आ गये तथा फिर से गैराज खोली. पुराने लोग बताते हैं कि शामू भाई के यहां सदाकत आश्रम, पटना से एंबेसडर कार मरम्मत के लिए आया करती थी. 50-60 के दशक में बेरमो के जरीडीह बाजार के प्रसिद्ध उद्योगपति मणीलाल राघवजी कोठारी के पास विदेशी प्लाईमोथ कार हुआ करती थी. बाद के वर्षों में उस कार को कई दफा शामू मिस्त्री ने बनाया. वर्ष 1978 में शामू मिस्त्री ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व बिंदेश्वरी दुबे की पेट्रोल एंबेसडर कार नंबर बीएचएम-1818 में उस वक्त डीजल इंजन लगाया, जिस समय हिंदुस्तान मोटर डीजल कार नहीं बनाती थी.

जब बिंदेश्वरी दुबे के साथ विमान से पटना उतरे शामू मिस्त्री

80 के दशक में शामू मिस्त्री दिल्ली से पटना हवाई जहाज से आ रहे थे. इस प्लेन में पूर्व सीएम बिंदेश्वरी दुबे भी दिल्ली से पटना आ रहे थे. जब शामू मिस्त्री पटना एयरपोर्ट पर उतरे तो वहां पहले से स्व दुबे जी के स्वागत में कांग्रेसी नेता रामाधार सिंह सहित कई लोग मौजूद थे. शामू मिस्त्री को देखते ही जान-पहचान वाले लोगों ने उनसे पूछा कि दुबे जी कहां है? जवाब में शामू भाई ने कहा कि हमलोग साथ में ही प्लेन से उतरे हैं. दुबे जी भी साथ में ही हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड में 26 हजार शिक्षकों की होगी बहाली, 301 सहायक आचार्यों को नियुक्ति पत्र सौंपकर बोले सीएम हेमंत सोरेन

ट्रक का डाला बनवाने महंगू मिस्त्री के यहां नेपाल से आते थे लोग

फुसरो में डाला मिस्त्री व लैथ मशीन के मास्टर महंगू मिस्त्री है. 1992 में महंगू ने एक डाला ट्रक खरीदा तथा 1984 में फुसरो सिंह नगर में अपना एक खुद का वर्कशॉप खोला. फिलहाल इस वर्कशॉप में शॉवेल व पोकलेन मशीन का बकेट, हाइड्रोलिक, लैथ मशीन आदि का काम होता है. साथ ही यहां छह चक्का डंपर चेसिस का डाला बना करता था. कई राज्यों के अलावा उस वक्त नेपाल से भी यहां लोग चेसिस का डाला बनाने आते थे. महंगू मिस्त्री ने बेरमो में कई जगहों पर लोहा पुल का निर्माण किया, जिसमें जारंगडीह लोहा पुल की रिपेयरिंग के अलावा बोकारो थर्मल के निकट कोनार नदी पर लोहा पुल, स्वांग गोविंदपुर परियोजना में लोहा पुल, कारो में बंकर, गोविंदपुर में वर्कशॉप, आरआर शॉप जारंगडीह वर्कशॉप का आधा निर्माण, जारंगडीह व तारमी में फिडर ब्रेकर आदि का निर्माण किया.