Bihar News: कृषि प्रधान कहे जाने वाले बिहार में दाल और तेलहन की स्थिति चिंताजनक हो चुकी है. कृषि विभाग की हालिया रिपोर्ट बताती है कि राज्य की कुल मांग और उत्पादन के बीच भारी अंतर है. बिहार में जहां प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए 25 ग्राम दाल और 30 ग्राम तेलहन की आवश्यकता है.
वहीं उत्पादन इससे काफी पीछे है. 2023-24 में राज्य ने जहां दाल की कुल मांग का केवल 33 फीसदी ही उत्पादन किया, वहीं तेलहन में यह आंकड़ा महज 10 फीसदी पर सिमट गया.
दाल उत्पादन में बड़ी कमी
राज्य में दाल की जरूरत 11 लाख 92 हजार 634 टन आंकी गई थी, जबकि उत्पादन सिर्फ 3 लाख 98 हजार 634 टन ही हुआ. यानी मांग के मुकाबले करीब 7 लाख 94 हजार टन दाल की कमी बनी रही. प्रति व्यक्ति खपत के लिहाज से देखा जाए तो यह अंतर और स्पष्ट हो जाता है. रिपोर्ट बताती है कि जहां एक व्यक्ति को रोज़ाना 25 ग्राम दाल की आवश्यकता है, वहीं वर्तमान में बिहार में सिर्फ तीन ग्राम ही उपलब्ध हो रही है.
तेलहन के मोर्चे पर तस्वीर और भी डरावनी है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में तेलहन का कुल उत्पादन 1.50 लाख टन ही हुआ. जबकि जरूरत 14 लाख 31 हजार 442 टन की थी। इस हिसाब से करीब 12.80 लाख टन की भारी कमी है. प्रति व्यक्ति 30 ग्राम तेलहन की आवश्यकता बताई गई है, मगर राज्य में उत्पादन सिर्फ दस ग्राम प्रति व्यक्ति तक सीमित है. यानी मांग का महज दस फीसदी ही राज्य में उपलब्ध हो पा रहा है.
क्यों है यह स्थिति
दाल और तेलहन उत्पादन में कमी के पीछे कई कारण हैं. राज्य में खेती योग्य भूमि का बड़ा हिस्सा धान और गेहूं जैसी परंपरागत फसलों के लिए सुरक्षित है. दाल और तेलहन फसलों को उतना महत्व नहीं दिया जाता.
सिंचाई सुविधाओं की कमी, आधुनिक तकनीक का अभाव और किसानों की प्राथमिकताओं में इन फसलों का न होना भी बड़ा कारण है. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और अनियमित मानसून ने उत्पादन को और प्रभावित किया है.
उपभोक्ताओं पर असर
उत्पादन और मांग के बीच इस बड़े अंतर का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है. बाजार में दाल और तेल की कीमतें लगातार बढ़ी हुई रहती हैं. ज्यादातर दाल और तेल राज्य से बाहर से आयात किए जाते हैं, जिससे परिवहन लागत और बिचौलियों की मार्जिन जुड़कर कीमतों को और बढ़ा देते हैं. गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की थाली से दाल और तेल का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पोषण पर भी असर पड़ता है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के मानकों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को रोज 25 ग्राम दाल और 30 ग्राम तेलहन की आवश्यकता होती है. लेकिन बिहार की स्थिति देखें तो दाल में यह केवल तीन ग्राम और तेलहन में दस ग्राम तक सीमित है. इसका मतलब है कि राज्य की बड़ी आबादी प्रोटीन और वसा जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित हो रही है. यह कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है.
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