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पेसा कानून नहीं लागू करना चाहती है हेमंत सोरेन सरकार, जमशेदपुर के आदिवासी महादरबार में बोले चंपाई सोरेन


Champai Soren On PESA Law: जमशेदपुर-झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार जानबूझकर पेसा कानून लागू नहीं कर रही है. सरकार की इच्छाशक्ति होती तो पेसा कानून कब का लागू हो गया होता. अपनी राजनीतिक स्वार्थ को साधने के लिए कुछ अड़चन है कहकर जनता को बरगला रही है. यह बातें चंपाई सोरेन ने रविवार को बिष्टुपुर स्थित एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में आदिवासी सांवता सुसार अखड़ा द्वारा आयोजित आदिवासी महादरबार में कहीं. उन्होंने कहा कि स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख माझी बाबा, परगना और आदिवासी समाज से जुड़े तमाम लोग ऐसी सरकार का बिल्कुल समर्थन नहीं करें जो आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन, हासा-भाषा, संस्कृति व संवैधानिक अधिकार को खत्म करने का काम कर रही है. राज्य सरकार ने आदिवासियों की पवित्र आस्था का केंद्र मरांगबुरू तक को गिरवी रख दिया. इस मौके पर चंपाई सोरेन को विश्व वीर की उपाधि से सम्मानित किया गया.

हेमंत सोरेन की सरकार नहीं है अबुआ सरकार-चंपाई सोरेन

चंपाई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन को अतिक्रमण बड़े-बड़े उद्योग व कारखाने लग रहे हैं. उनकी जमीन को बिना अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरी कब्जा किया जा रहा है. जमीन से सोना, लोहा, कोयला समेत खनिज पदार्थ को निकाला जा रहा है और आदिवासियों को मंईयां योजना देकर अपंग किया जा रहा है. हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार अबुआ सरकार बिल्कुल नहीं है. इससे पूर्व आदिवासी महा दरबार का शुभारंभ दीप प्रज्वलित और शहीदों की तस्वीर पर नमन कर किया गया. कार्यक्रम का संचालन पंचानन सोरेन व धन्यवाद ज्ञापन कृष्णा हांसदा ने दिया.

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गैर आदिवासी से विवाह करने वाली महिला को नहीं मिले आरक्षण

चंपाई सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज की महिला यदि गैर आदिवासी समाज में विवाह करती है तो इस पर कोई आपत्ति नहीं है. वह जहां चाहे वहां शादी करे और खुश रहे, लेकिन गैर आदिवासी समाज में जाने के बाद अपने पैतृक जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनाकर आरक्षण मांगती है तो इसका समाज पूरजोर विरोध करता है. उसे आरक्षण के आधार पर चुनाव लड़ने पर भी रोक लगना चाहिए. उन्होंने कहा कि दूसरे धर्म को स्वीकार करने वाले पर भी यही नियम लागू होना चाहिए कि यदि कोई अन्य धर्म को स्वीकार कर लेता है तो उसे आदिवासी का आरक्षण बिल्कुल नहीं मिलना चाहिए. इसको लेकर न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जायेगा.

22 दिसंबर को भोगनाडीह में होगा 5 लाख लोगों का जुटान

चंपाई सोरेन ने कहा कि उन्होंने नगड़ी से राज्य सरकार के खिलाफ हूल का आगाज कर दिया है. उन्होंने नगड़ी में हल चलाने की चेतावनी दी थी. सरकार द्वारा छह लेयर में आंदोलन को रोकने के लिए फोर्स को उतारा गया था, लेकिन जनता ने नगड़ी में हल चलाकर अपना आक्रोश दिखा दिया है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन, धर्म, आरक्षण, भाषा-संस्कृति आदि को बचाने के लिए 22 दिसंबर को भोगनाडीह में 5 लाख आदिवासियों को जुटान होगा. जहां से सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ हूल क्रांति का बिगुल फूंका जायेगा.

आदिवासी महादरबार हजारों माझी माझी बाबा व बुद्धिजीवी पहुंचे

आदिवासी महा दरबार में 2 हजार से अधिक माझी बाबा व बुद्धिजीवियों के पहुंचने का अनुमान लगाया गया था. लेकिन झारखंड, बंगाल व ओडिशा से अनुमान से दोगुणा लोग आदिवासी महा दरबार में पहुंचे. ऑडिटोरियम के अंदर सभी सीटें फूल थी. साथ ही सैकड़ों लोग खड़े थे. वहीं ऑडिटोरियम के अंदर जगह नहीं होने की वजह से बाहर लगे एलइडी टीवी पर अतिथियों के भाषण को सुन रहे थे.

इन लोगों ने मंच को किया संबोधित

आदिवासी महा दरबार में प्रो. ज्योतिंद्र बेसरा, कानूनीविद सुभाशीष रशिक सोरेन, प्रो. बापी सोरेन, विजय कुजूर, तोरोप परगना सुशील कुमार हांसदा, गणेश पाट पिंगुवा, पंचायत राज विभाग की पूर्व निदेशक-निशा उरांव, सिदो-कान्हू मुर्मू के वंशज मंडल मुर्मू, रत्नाकर भेंगरा, बीएचयू के प्रो राजू माझी समेत अन्य ने अपनी बातों को रखा.