BIHAR NEWS : बिहार पुलिस में जवाबदेही और अनुशासन को लेकर आए दिन कार्रवाई होती रहती है. लेकिन भागलपुर से आई ताजा खबर ने पुलिस महकमे को झकझोर दिया है.
28 अगस्त को अकबरनगर थाने का प्रभार संभालने वाले राजीव रंजन पर आरोप लगा कि उन्होंने कोयला लदे वाहनों को छोड़ने के एवज में पैसों की मांग की. मामला एसएसपी तक पहुंचा और जांच में आरोप सही पाए जाने पर छह दिन के भीतर ही उनकी कुर्सी चली गई.
आरोप और जांच की पूरी कहानी
थाना प्रभारी राजीव रंजन के खिलाफ आरोप लगा कि वे थानेदारी संभालते ही उगाही में सक्रिय हो गए. कोयला लदे वाहनों को रोककर छोड़ने के नाम पर उन्होंने अवैध वसूली की. इतना ही नहीं, पहले से जब्त किए गए पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए भी पैसे की मांग की गई थी.
इसकी जानकारी सीधे एसएसपी हृदयकांत तक पहुंची. उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वतंत्र जांच कराई. जांच रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि हुई तो तुरंत राजीव रंजन को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया.
एसएसपी कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि थानेदार का आचरण “कर्तव्यहीनता और स्वेच्छाचारिता” की श्रेणी में आता है, जो पुलिस सेवा की गरिमा और अनुशासन के खिलाफ है.
पुलिस महकमे में हड़कंप
अकबरनगर थाना प्रभारी पर हुई कार्रवाई ने जिले के पुलिस महकमे में हलचल मचा दी है. अधिकारियों और कर्मियों के बीच चर्चा है कि महज छह दिन में किसी थानेदार को हटाना अपने आप में एक कड़ा संदेश है. यह साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार या स्वेच्छाचारिता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
गौरतलब है कि राजीव रंजन से पहले अकबरनगर के थानेदार का तबादला बांका कर दिया गया था. अब सस्पेंड किए गए SHO का मुख्यालय पुलिस लाइन रहेगा.
इस कार्रवाई ने पुलिस महकमे में अनुशासन और पारदर्शिता को लेकर नया संकेत दिया है. वहीं, आम लोगों में भी यह संदेश गया है कि पुलिस अधिकारियों पर लगने वाले गंभीर आरोपों पर अब त्वरित कार्रवाई होगी.
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