Bihar Flood: बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. सुपौल, दरभंगा और आसपास के जिलों में कोसी नदी के उफान ने ग्रामीणों की जिंदगी को तबाह कर दिया है.
सिर्फ सुपौल जिले में ही 80 से ज्यादा घर नदी में विलीन हो गए हैं, जबकि कई गांव कटाव की चपेट में आ चुके हैं. हालात ऐसे हैं कि लोग अपना सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं.
कोसी में समा गए गांव, उजड़ गए आशियाने
सुपौल जिले के बलवा पंचायत और किशनपुर प्रखंड की दुबियाही पंचायत में अब तक करीब 100 से ज्यादा घर कोसी में समा चुके हैं. बलवा के लालगंज वार्ड-13 में सोमवार की रात को 40 परिवारों के 60 घर नदी में बह गए. इसी तरह बेलागोठ गांव का वार्ड आठ पूरी तरह से मिट चुका है, जबकि वार्ड सात का बड़ा हिस्सा नदी में समा गया है.
पिछले 24 घंटों में वार्ड छह में तीन दर्जन से अधिक घरों को कोसी ने निगल लिया. हालात यह हैं कि सड़क पर दो से तीन फीट तक पानी भर गया है. नाव की कमी से लोग घरों में कैद हैं और बाहर निकलने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
दरभंगा और आसपास का हाल
दरभंगा जिले में किरतपुर अंचल के कई गांव पानी में डूब चुके हैं. भंडरिया गांव पूरी तरह से घिर चुका है. यहां से निकलने का रास्ता बंद हो गया है क्योंकि भंडरिया-कदवारा और भंडरिया-रघुनाथपुर सड़कों पर पानी बह रहा है.
किरतपुर अंचल का ढाका भलुआहा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित है. वहीं, बनरी, लक्ष्मीनियां और चकला जैसे गांवों के लोग मवेशियों के साथ ऊंचे स्थानों पर शरण लेने लगे हैं. कई ग्रामीण पश्चिमी तटबंध के किनारे झोपड़ियां डालकर अस्थायी ठिकाना बना रहे हैं.
प्रशासन की तैयारी और लोगों की जद्दोजहद
बाढ़ प्रभावित इलाकों में सामुदायिक किचन की व्यवस्था शुरू की गई है. सुपौल के डीएम ने कहा है कि राहत कार्य जारी हैं, लेकिन हकीकत यह है कि नाव और राहत सामग्री की कमी के कारण ग्रामीणों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
भागलपुर में भी तिलकामांझी विश्वविद्यालय कैंपस तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है. सीनेट हॉल, बूढ़ानाथ और सखीचंद घाट पर भी पानी भरने से हालात चिंताजनक हैं.
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