EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

65 लाख वोटरों का जिक्र कर सुरजेवाला ने साधा निशाना, डी राजा बोले- लोकतंत्र बचाने की जंग


Voter Adhikar Yatra in Patna: वोटर अधिकार यात्रा के समापन के बाद सियासत और तेज हो गई है. कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इस यात्रा को जनता की आवाज बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और CPI महासचिव डी राजा ने पटना में दिए अपने बयानों से एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष चुनावी मैदान में वोटरों के अधिकार को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुका है.

रणदीप सुरजेवाला ने क्या कहा ? 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने यात्रा के जरिए बिहार की ताकत और जनता की आवाज का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “वोट अधिकार यात्रा ने साबित कर दिया कि बिहार की आवाज दबाई नहीं जा सकती है. यहां के 65 लाख वोटरों की संख्या किसी भी सूरत में कम नहीं की जा सकती. बिहार संविधान का रक्षक है और राहुल गांधी के नेतृत्व में एक बार फिर बिहार की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है.” सुरजेवाला के इस बयान से यह साफ झलकता है कि कांग्रेस बिहार को विपक्षी राजनीति का केंद्र बनाने की रणनीति पर काम कर रही है.

CPI महासचिव क्या बोले ? 

वहीं, CPI महासचिव डी राजा ने भी यात्रा की सफलता को बताते हुए कहा कि इसने जनता और राजनीतिक दलों में नई चेतना जगाई है. डी राजा ने कहा, “यह यात्रा बेहद सफल रही है. बिहार के लोग इस अभियान की जरूरत को गहराई से समझते हैं. न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में इस यात्रा ने जागरूकता पैदा की है. वोट देने का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है. अगर जनता से यह अधिकार छीन लिया जाए तो लोकतंत्र की जड़ें ही खोखली हो जाएंगी.”

विपक्ष का सत्ता पर प्रहार 

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वोटर अधिकार यात्रा, भले ही एक राजनीतिक अभियान हो, लेकिन इसके जरिए विपक्ष सत्ता पक्ष पर चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने के आरोपों को और धार देने में जुटा है. कांग्रेस और वामदलों का कहना है कि सरकार मतदाताओं की संख्या घटाने की कोशिश कर रही है, जो सीधे तौर पर लोकतंत्र पर प्रहार है.

Also read: BJP ने वोटर अधिकार यात्रा को बताया फ्लॉप-शो, नित्यानंद राय ने तेजस्वी-राहुल को याद दिलाया 1990 का दौर 

लोगों के बीच बढ़ी चर्चा 

इस बीच, जनता के बीच भी इस यात्रा को लेकर चर्चा बढ़ी है. विपक्ष इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई बता रहा है, जबकि सत्ता पक्ष लगातार इसे “राजनीतिक नौटंकी” करार दे रहा है. हालांकि, सुरजेवाला और डी राजा के बयानों से स्पष्ट है कि विपक्ष आने वाले चुनावों में वोटरों के अधिकार के मुद्दे को बड़ा चुनावी हथियार बनाने जा रहा है.