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बिहार में अब इंजीनियर करेंगे पुल और सड़को की गुणवत्ता जांच, खराब रिपोर्ट पर कटेगी ठेकेदारों की पेमेंट


Bihar News: बिहार में ग्रामीण सड़कों और पुलों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग ने नए कदम उठाए हैं. अब राज्य के इंजीनियरों को हर महीने कम से कम 20 सड़क और पुलों की जाँच करने का टास्क दिया गया है. निरीक्षण के दौरान उन्हें रिपोर्ट तुरंत ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. निर्माण की गुणवत्ता के आधार पर ही ठेकेदारों को भुगतान किया जाएगा. अगर किसी ठेकेदार ने काम में कोताही की तो उसे राशि नहीं मिलेगी. इसके लिए 108 इंजीनियर जिम्मेदार होंगे, जो अलग-अलग इलाकों में जाकर सड़क और पुलों की स्थिति देखेंगे और रिपोर्ट देंगे.

लेबोरेटरी में की जाएगी गुणवत्ता जांच

गुणवत्ता नियंत्रण के लिए राज्य में 108 विशेष लेबोरेटरी संचालित की जा रही हैं. अगर किसी निर्माण सामग्री की जांच स्थानीय प्रयोगशाला में नहीं हो पाती है, तो इसे प्रमंडल या अंचल स्तर की अन्य प्रयोगशालाओं में जांचा जाएगा. इन लेबोरेटरी की निगरानी सहायक इंजिनियर, कार्यपालक इंजिनियर और अधीक्षण इंजिनियर करेंगे. मुख्यालय स्तर पर भी गतिविधियों की नियमित समीक्षा की जाएगी.

रिपोर्ट के अनुसार किया जाएगा भुगतान

अगर किसी सड़क या पुल के निर्माण की क्वालिटी पर सवाल उठता है, तो उस प्रोजेक्ट के ठेकेदार को उसका पैसा नहीं दिया जाएगा. भुगतान तभी किया जाएगा जब कार्यपालक अभियंता और अधीक्षण अभियंता जांच कर लें और उनकी रिपोर्ट साफ़ दिखाए कि निर्माण सही तरीके से हुआ है. यह नियम इसलिए है ताकि सड़कों और पुलों का काम मजबूत और सही हो, और ठेकेदार कोई गलती या कोताही न करें. इससे काम में ट्रांसपेरेंसी बनी रहती है और जनता को भरोसेमंद निर्माण मिलता है.

इस पोर्टल पर देनी होगी रिपोर्ट

सड़कों और पुलों का निरीक्षण करने वाले इंजीनियरों को हर निरीक्षण की रिपोर्ट तुरंत ऑनलाइन एमआईएस पोर्टल पर भेजनी होगी. इसका मतलब है कि सभी काम की जानकारी तुरंत और सही तरीके से रिकॉर्ड होगी, ताकि क्वालिटी की निगरानी और भुगतान प्रक्रिया सही तरीके से की जा सके.