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चुनाव बाद पंचायत से नगर निकाय तक बदलाव की तैयारी


हाइलाइट्स

Bihar Panchayat : बिहार में 2026 के पंचायत आम चुनाव से पहले राज्य की ग्राम पंचायतों का बड़ा पुनर्गठन होने जा रहा है. विधानसभा चुनाव के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि छोटे शहरों, कस्बों और हाट-बाजारों को नगरपालिका क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव भेजें.

इसके आधार पर पंचायती राज विभाग पंचायतों का नया खाका तैयार करेगा. इसका सीधा असर पंचायतों के आरक्षण और ग्रामस्तरीय सत्ता संरचना पर पड़ेगा.

पंचायतों का पुनर्गठन क्यों?

वर्ष 2021 में पंचायत चुनाव के बाद 2022 में राज्य की करीब 300 ग्राम पंचायतें नगरपालिकाओं में विलय कर दी गई थीं. साथ ही, कई पंचायतों के आंशिक हिस्से भी दूसरी पंचायतों में जोड़ दिए गए थे. उस समय आरक्षण व्यवस्था को जस का तस रखा गया था. लेकिन अब 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले नई परिस्थितियों के अनुसार आरक्षण तय करना अनिवार्य होगा.

नगर विकास विभाग के प्रस्तावों के आधार पर जिन पंचायतों को नगर निकायों में बदला जाएगा, उनके बाद बची पंचायतों का नया पुनर्गठन कर आरक्षण लागू किया जाएगा.

आबादी के आधार पर तय होगा निकाय का दर्जा

सरकार ने नए नगर निकाय बनाने और मौजूदा का विस्तार करने के लिए जनसंख्या आधारित मानक तय किए हैं:

नगर पंचायत – 9,000 से 30,000 तक की आबादी

नगर परिषद – 30,000 से 1.5 लाख तक की आबादी

नगर निगम – 1.5 लाख से अधिक आबादी

यदि कोई ग्राम पंचायत हाट-बाजार के रूप में विकसित हो चुकी है और उसकी आबादी 9,000 से अधिक है, तो उसे नगरपालिका में बदला जा सकता है.

पंचायत चुनाव पर असर

मुखिया पद का आरक्षण प्रखंड स्तर पर कुल पंचायतों की संख्या के आधार पर तय होता है. प्रमुख का आरक्षण जिला स्तर पर और जिला परिषद अध्यक्ष का आरक्षण राज्य की कुल सीटों पर आधारित होता है. ऐसे में किसी प्रखंड में पंचायतों की संख्या घटने-बढ़ने पर आरक्षण भी स्वतः प्रभावित होगा. यानी नए निकायों के गठन और पंचायतों के पुनर्गठन का असर सीधे चुनावी गणित पर पड़ेगा.

हाल में ही सीवान जिले के महाराजगंज, औरंगाबाद जिले के जम्हौर और पूर्वी चंपारण जिले के मधुवन को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया है. इसके अलावा पटना जिले में फुलवारीशरीफ, खगौल और दानापुर के नगर क्षेत्रों का विस्तार किया गया है. इन फैसलों का सीधा असर वहां की ग्राम पंचायतों पर पड़ा है. अब जब राज्यभर में नए प्रस्ताव तैयार होंगे, तो पंचायतों की मौजूदा संरचना एक बार फिर बदल जाएगी.

पंचायतों की बदलती तस्वीर

बिहार में पंचायती व्यवस्था ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे मजबूत इकाई रही है. लेकिन पिछले एक दशक में शहरीकरण की रफ्तार से कई पंचायतें कस्बाई रूप लेने लगी हैं. 2022 में हुए बड़े बदलाव ने करीब 300 पंचायतों को प्रभावित किया. अब एक और दौर शुरू हो रहा है, जिसमें कई और गांव पंचायत से बाहर निकलकर नगर निकायों का हिस्सा बनेंगे.

पंचायतों का पुनर्गठन सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम होगा. पंचायत चुनाव में आरक्षण का गणित बदलने से स्थानीय नेताओं की स्थिति प्रभावित होगी. वहीं, पंचायत से नगर निकाय में जाने पर लोगों को सुविधाओं के नए अवसर मिलेंगे, लेकिन ग्राम पंचायत की सत्ता से दूरी भी बढ़ेगी.

.विधानसभा चुनाव 2025 के बाद 2026 में जब पंचायत चुनाव होंगे, तब तक राज्य की पंचायत संरचना काफी बदल चुकी होगी.

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