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पटना में गंगा का जलस्तर बढ़ा, घरों में घुसा पानी, दियारा के लोग मवेशियों संग पलायन को मजबूर


Bihar Flood Alert: पटना जिले के दियारा क्षेत्र में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि से हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं. बुधवार को जलस्तर की गति थोड़ी धीमी जरूर रही, लेकिन निचले इलाकों में पानी का विस्तार थमने का नाम नहीं ले रहा. गंगहारा, कासिमचक, पतलापुर, हेतनपुर, मानस, पुरानी पानापुर और अकिलपुर पंचायतों में गंगा का पानी अब गांवों और घरों के अंदर घुस चुका है, जिससे स्थानीय लोगों के सामने जीविका और सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है.

मवेशियों समेत पलायन को मजबूर ग्रामीण

गंगा के उफान ने दियारा वासियों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. बुधवार को कासिमचक और अन्य निचले इलाकों से लोग दानापुर की ओर पलायन करते देखे गए. कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने पहुंचे तो कई परिवारों ने बलदेव इंटर स्कूल को अस्थायी ठिकाना बना लिया है. शंकर महतो जैसे ग्रामीणों ने बताया कि उनके घरों में पानी घुस गया है, जिससे रहना मुश्किल हो गया है. साथ ही मवेशियों के चारे की कमी भी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है.

घाटों और तटों पर बढ़ती हलचल

दानापुर के पीपापुल घाट पर सुबह से ही ग्रामीण मवेशियों के साथ ऊंचे स्थानों की तलाश में पहुंचते देखे गए. ग्रामीणों की मानें तो अब सिर्फ पलायन ही एकमात्र विकल्प बचा है, क्योंकि हर घंटे गंगा का पानी नए इलाकों को अपनी चपेट में ले रहा है.

जलस्तर में थोड़ी राहत, लेकिन संकट बरकरार

कनीय अभियंता नीतीश कुमार के अनुसार, बुधवार को जलस्तर में बढ़ोतरी की रफ्तार थोड़ी घटी है. 9 घंटे में केवल 10 सेमी जलस्तर बढ़ा है. फिर भी देवनानाला पर जलस्तर 169.10 फीट और दीघा में 51.20 फीट तक पहुंच चुका है, जो दियारा के लिए खतरे की घंटी है.

प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अब तक राहत और बचाव के प्रभावी इंतजाम नहीं हो पाए हैं. पूर्व जिला पार्षद ओम प्रकाश ने बताया कि जलस्तर की रफ्तार भले घटी हो, पर लोगों की परेशानी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. कई गांवों में सड़क संपर्क टूट चुका है और खाद्य सामग्री से लेकर पीने के पानी तक की किल्लत सामने आने लगी है.

राहत कार्यों की जरूरत

दियारा क्षेत्र के हालात इस समय आपात स्थिति जैसे बन चुके हैं. ग्रामीण शरण स्थलों, चारा, स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षित पेयजल की मांग कर रहे हैं. प्रशासन को चाहिए कि वे तुरंत राहत शिविर, नावों की व्यवस्था, दवाओं की आपूर्ति और चारा वितरण जैसे उपायों को प्राथमिकता दें. यदि स्थिति पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो आने वाले दिनों में यह मानव संकट और गहरा सकता है.

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