Success Story: महिला समूह से मिली आर्थिक ताकत, मंईयां सम्मान के पैसे से बढ़ा हौसला, ऐसे लखपति बन गयीं सावित्री
Success Story: रांची-एक वक्त था, जब सावित्री कुमारी का परिवार केवल खेतीबाड़ी करता था. इससे किसी तरह परिवार का गुजारा होता था. महिला समूह से जुड़ने के बाद सावित्री की जिंदगी बदल गयी. खेती की आधुनिक तकनीक की जानकारी मिलने के बाद उन्हें अच्छी उपज प्राप्त होने लगी. इससे अच्छी आमदनी होने लगी. फिर मंईयां सम्मान योजना ने उन्हें आत्मनिर्भरता की ऊंची उड़ान दी. खेतीबाड़ी, सूकर पालन, मछली पालन एवं बत्तख पालन से वह खुशहाल जीवन जी रही हैं. आज वह लखपति दीदी हैं.
महिला समूह ने दी आर्थिक ताकत
पेरतोल गांव की सावित्री कुमारी का परिवार पहले सिर्फ खेती पर निर्भर था. शीतल महिला समूह से जुड़ने के बाद सावित्री की जिंदगी में कई सकारात्मक बदलाव आए. वह बताती हैं कि महिला समूह से जुड़ने के बाद उन्हें खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी मिली. इसका लाभ उन्हें खेती में मिला. वे मड़ुआ एवं उरद जैसी पारंपरिक और पौष्टिक दलहन फसलों को उगाती हैं. इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. सावित्री कुमारी न सिर्फ खेती करती हैं, बल्कि सूकर पालन एवं मछली पालन भी करती हैं. इससे उनकी आमदनी बढ़ी है.
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मंईयां योजना से बढ़ा हौसला
झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (मंईयां योजना) के तहत जब सावित्री कुमारी को सम्मान राशि मिली तो उनका हौसला और बढ़ा. इसके बाद उन्होंने बत्तख पालन की भी शुरुआत की है. आजीविका के कई साधनों से उनकी आमदनी पहले से बढ़ गयी है. वह सालाना करीब 3 से 4 लाख रुपए कमा ले रही हैं. अब उनकी अपनी पहचान है. वह लखपति दीदी के रूप में जानी जाती हैं.
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