Bihar Teacher : प्रकाश कुमार, समस्तीपुर. शिक्षा विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर किये गए स्थानांतरण में फर्जीवाड़ा की शिकायत आने लगी है. शिक्षा विभाग द्वारा प्रथम चरण में असाध्य रोग, गंभीर बीमारी, दिव्यंगता, विधवा, पति-पत्नी के आधार पर किये गए स्थानान्तरण में कतिपय शिक्षकों ने फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर स्थानान्तरण का लाभ लिया है. कुछेक शिक्षक स्वयं के साथ-साथ, पति-पत्नी और बच्चों का असाध्य रोग का सर्टिफिकेट बनवाकर इसका लाभ लेकर घर के नजदीक के विद्यालय में आ गए हैं. विभाग ने असाध्य और गंभीर बीमारी की रूप रेखा भी तय कर दी थी. विभागीय गाइडलाइन की आड़ में शिक्षकों ने स्पेशल ग्राउंड और म्यूच्यूअल ट्रांसफर में लाभ उठा लिया.
स्पेशल ग्राउंड के नाम पर हुआ खेल
सामने आये तथ्यों के आधार पर कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर में पदस्थापित एक नियमित शिक्षिका को पहले कल्याणपुर प्रखंड अंतर्गत भगीरथपुर स्थित एक विद्यालय में दूरी के आधार पर स्थानान्तरित किया गया. पुनः उक्त शिक्षिका का पारस्परिक स्थानांतरण उसके घर से सटे शहर के एक प्राथमिक विद्यालय में कर दिया गया, जबकि उस प्राथमिक विद्यालय में कोई नियमित शिक्षक पूर्व से पदस्थापित थे ही नहीं. जब दोनों विद्यालय में समान कोटि के शिक्षक मौजूद नहीं थे, तो पारस्परिक स्थानांतरण कैसे किया गया, यह जाँच का विषय है. इस फर्जी स्थानांतरण के पीछे विभाग की मिलीभगत की बात की जा रही है. स्थानांतरित शिक्षिका पूर्व में भी इसी विद्यालय में लंबी अवधि तक प्रतिनियोजन में रह चुकी है.

फर्जी स्वास्थ्य सार्टिफिकेट पर हुए तबादले
विभाग ने म्यूच्यूअल स्थानान्तरण में स्पष्ट किया था कि नियमित का नियमित, विद्यालय अध्यापक का विद्यालय अध्यापक और विशिष्ट का विशिष्ट से ही स्थानान्तरण हो सकेगा. कुछेक शिक्षकों ने अपनी पत्नी और बच्चे का गंभीर बीमारी का प्रमाणपत्र बनवाकर इसका लाभ लिया है. वहीं जिला शिक्षा विभाग से जुड़े एक कर्मी के रिश्तेदारों को भी शहर के शिक्षा भवन से सटे विद्यालय में हुए स्थानान्तरण ने डीईओ कार्यालय की भूमिका पर प्रश्न खड़ा कर दिया है. जानकारों का कहना है कि जिला का शिक्षा विभाग यदि शिक्षकों के स्थानान्तरण का लाभ लेने के आधार की गहन जांच करे तो स्पेशल ग्राउंड के तहत वाले शिक्षकों की हकीकत और विभागीय गलती सामने आ जायेगी. इधर डीपीओ स्थापन कुमार सत्यम का कहना है कि मामला संज्ञान में आता है तो जांच कराई जायेगी.
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