शिबू सोरेन के निधन से ससुराल में पसरा मातम, बहन सखी टुडू का रो-रोकर बुरा हाल, बताया-दूध-पीठा के शौकीन थे गुरुजी
Shibu Soren Death: सरायकेला-खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश/हिमांशु गोप)-दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से उनके ससुराल में शोक की लहर दौड़ गयी है. सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल प्रखंड के धातकीडीह गांव में शिबू सोरेन का ससुराल है. दिल्ली से गुरुजी के निधन की खबर आते ही साला पूर्ण किस्कू पूरे परिवार के साथ रांची के लिए निकल गए. धातकीडीह गांव के साथ गुरुजी की कई यादें जुड़ी हुई हैं. गांव के लोग पुरानी यादों को ताजा कर गमगीन हो रहे हैं.
ससुराल आने पर साइकिल से घूमते थे गुरुजी
गुरुजी चांडिल अपने ससुराल आने पर साइकिल से घूमना ज्यादा पसंद करते थे. वे जब भी चांडिल आते थे तो अपने साथियों के साथ साइकिल पर चांडिल का भ्रमण करते थे. झारखंड आंदोलन के दौरान वह अक्सर चांडिल के धातकीडीह स्थित अपने ससुराल आते थे. गुरुजी अंतिम बार 6 जून 2023 को अपने ससुराल आए थे. 6 जून 2023 को गुरुजी के बड़े साला लखीचरण किस्कू के पुत्र धर्म किस्कू के शादी समारोह में पहुंच कर उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद दिया था.
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6 नवंबर 2021 को डैम आईबी का किया था उद्घाटन
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद रहे शिबू सोरेन 6 नवंबर 2021 को चांडिल डैम आईबी पहुंचे थे. नए डैम आईबी भवन का उन्होंने उद्घाटन किया था. डैम आईबी का उद्घाटन करने के बाद वे अपने ससुराल चांडिल के धातकीडीह-कांगलाटांड़ के लिए निकले थे. करीब 3:05 बजे वे अपने ससुराल पहुंचे थे. ससुराल पहुंचने पर पारंपरिक आदिवासी रीति-रिवाज से उनका स्वागत किया गया था.
गुरुजी शिबू सोरेन की बहन सुखी टुडू का रो-रो कर बुरा हाल
चांडिल के दलमा की तराई में बसा है चाकुलिया गांव. यहां दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बहन सुखी टुडू रहती हैं. अपने बड़े भाई के निधन की खबर पाकर सखी टुडू का रो-रो कर बुरा हाल है. सुखी टुडू ने बताया कि गुरुजी पहले निर्मल महतो के साथ अक्सर उनके घर आते थे. वहीं पर बैठ कर झारखंड आंदोलन की रूपरेखा तैयार किया करते थे. गुरुजी कई रात उनके चाकुलिया गांव स्थित आवास में रह कर जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़े. झारखंड अलग राज्य की लड़ाई को लेकर आंदोलन भी किया. जब मारंग दादा (बड़े भैया) आते थे तो उनके आने की खबर सुनकर आस-पास के लोग उनसे मिलने पहुंच जाते थे.
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दूध-पीठा खाने के शौकीन थे गुरुजी
गुरुजी शिबू सोरेन पूर्ण रूप से शाकाहारी थे. गुरुजी की बहन सखी टुडू बताती हैं कि गुरुजी अपने यौवन काल से ही शुद्ध शाकाहारी हो गए थे. गुरुजी जब भी चांडिल के चाकुलिया अपनी बहन सुखी टुडू के यहां पहुंचते थे तो उनकी बहन उन्हें गुड़-पीठा, दूध-पीठा, चकली-पीठा आदि खिलाती थीं. शिबू सोरेन दूध-पीठा के शौकीन थे. सुखी टुडू ने बताया कि गुरुजी दूध-पीठा, दही, मक्खन खाना ज्यादा पसंद करते थे.
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