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“पढ़ाई चाहिए साहब!”—स्कूली बच्चों की आवाज़ पहुंची डीएम तक, शिक्षक बहाली का मिला भरोसा


Bihar News: बिहार के मुंगेर जिले से एक प्रेरक तस्वीर सामने आई है, जहां सरकारी विद्यालय के छात्र-छात्राएं खुद अपनी पढ़ाई के हक के लिए जिला प्रशासन से मिलने पहुंचे. ना कोई सियासी मदद, ना कोई शिक्षक साथ—सिर्फ आत्मविश्वास, किताबों का मोह और भविष्य की चिंता. बच्चों ने डीएम से मिलकर विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर शिकायत की और प्रशासन ने भी बच्चों की बात गंभीरता से सुनी.

हमारे स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी – छात्रों ने बताई समस्या

मुंगेर, पूरबसराय स्थित अभ्यास मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राएं शनिवार को जब अचानक समाहरणालय पहुंचे, तो अधिकारियों को पहले थोड़ा आश्चर्य हुआ. लेकिन जब उन्होंने जिलाधिकारी निखिल धनराज निपण्णीकर से मुलाकात कर पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं साझा कीं, तो यह मुलाकात एक मिसाल बन गई.

बच्चों ने बताया कि उनके स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है, जिसके कारण कक्षा नियमित नहीं चल रही और पाठ्यक्रम अधूरा रह जा रहा है. कई विषयों की कक्षाएं तो महीनों से नहीं हुई हैं. बच्चों ने डीएम से अपील की कि शिक्षक बहाल कर उन्हें सुचारू पढ़ाई का हक दिलाया जाए.

डीएम ने छात्रों की बातें ध्यान से सुनीं, और तुरंत जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) को अपने कक्ष में बुलाकर निर्देश दिया कि विद्यालय में नियमानुसार शिक्षकों की नियुक्ति शीघ्र की जाए. डीईओ ने बताया कि प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया के लिए सॉफ्टवेयर पर काम जारी है और जल्द ही विद्यालय में विषयवार शिक्षकों की तैनाती कर दी जाएगी.

बच्चों का आत्मविश्वास, डीएम की सराहना

इस मुलाकात के दौरान डीएम ने बच्चों से पढ़ाई से जुड़े कुछ प्रश्न भी पूछे. बच्चों ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिए, जिसे देखकर जिलाधिकारी ने बच्चों के आईक्यू (बौद्धिक क्षमता) की खुलकर सराहना की. उन्होंने बच्चों को मेहनत से पढ़ाई करने और देश सेवा के लिए आगे आने की प्रेरणा दी.

बच्चों के सपनों की उड़ान

जब डीएम ने बच्चों से पूछा कि वे बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं, तो जवाबों ने माहौल को भावुक बना दिया। किसी ने कहा—”मैं भी डीएम बनना चाहता हूं”, किसी ने डॉक्टर बनने की बात कही, तो कोई बोला—”मैं फुटबॉलर बनकर देश के लिए खेलूंगा.”

बिहार में शिक्षा की चुनौतियों के बीच यह घटना बताती है कि जागरूकता और साहस सिर्फ वयस्कों का गुण नहीं होता. जब बच्चे खुद अपने हक के लिए खड़े

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