झारखंड में भूंजा और फल बेचने वालों को जीएसटी के नोटिस से हड़कंप, 3 साल के डिजिटल पेमेंट पर हुई कार्रवाई
GST News: जमशेदपुर के दर्जनों छोटे व्यापारियों को कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट से भेजे गये जीएसटी नोटिस के बाद हड़कंप मच गया है. यह नोटिस 2021 से 2024 तक के डिजिटल पेमेंट डेटा के आधार पर भेजे गए हैं. इनमें से कई विक्रेताओं को लाखों रुपए के टैक्स रिकवरी की चेतावनी दी गयी है, जबकि उनका कारोबार छूट प्राप्त वस्तुओं तक सीमित था.
यूपीआइ लेन-देन के आधार पर लोगों को भेजा नोटिस
सबसे चौंकाने वाला मामला बिष्टुपुर के पान दुकानदारों, भूंजा बेचने वाले दुकानदारों और फल विक्रेताओं का है, जिन्हें यूपीआइ लेन-देन के आधार पर लाखों रुपए का टैक्स नोटिस भेजा गया है. इसके अलावा, बेकरी, फूल वाले, चाय वाले और किराना व्यापारी भी अचानक इनकम टैक्स के रडार पर आ गये हैं.
जमशेदपुर में बड़े पैमाने पर हो रहा यूपीआइ का इस्तेमाल
व्यापारी संगठनों का कहना है कि क्यूआर कोड से जुड़े ट्रांजैक्शंस में निजी लेन-देन भी शामिल हैं, जिन्हें गलत तरीके से बिजनेस टर्नओवर मान लिया गया है. जमशेदपुर में यूपीआइ का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. बैंक प्रबंधन के अनुसार, कई एटीएम ऐसे हैं, जहां 2-3 दिन तक कोई ग्राहक एटीएम कार्ड का इस्तेमाल नहीं करता. कैट ने छोटे व्यापारियों को जागरूक करने के लिए कई बैठकें आयोजित की हैं, ताकि वे इस समस्या को सही तरीके से समझ सकें.
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ऐसी नीति बने, जिससे छोटे व्यापारियों को दिक्कत न हो
सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि डिजिटल इंडिया की दिशा में हम बढ़ रहे हैं, लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए यह नयी व्यवस्था परेशानी का कारण बन रही है. कर्नाटक में भी फल और सब्जी विक्रेताओं को यही समस्या हो रही है. सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे छोटे व्यापारियों को दिक्कत न हो.
टर्नओवर के आधार पर सरकार फिक्स करे सालाना पैकेज
उन्होंने कहा कि अगर सड़क पर रेहड़ी-ठेला लगाने वाले लोग पढ़े-लिखे होते, तो वे ऐसी स्थिति में नहीं होते. मूनका ने कहा कि सरकार को टर्नओवर के आधार पर सालाना पैकेज फिक्स करना चाहिए, ताकि छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी और टैक्स के दायरे में आने से परेशानी कम हो सके.
कंपोजिशन स्कीम में जाकर टेंशन मुक्त व्यापार करें
कैट के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि जो छोटे व्यापारी यूपीआइ से पैसे ले रहे हैं, उन्हें कंपोजिशन टैक्स स्कीम का लाभ उठाना चाहिए. इसके तहत महज 1 फीसदी टैक्स देकर वे अपने व्यापार को आसानी से चला सकते हैं. टैक्स का भुगतान करने से भविष्य में उन्हें लोन प्राप्त करने में भी आसानी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि व्यापारियों के टर्न ओवर बढ़ते हैं, तो वे निश्चित रूप से जीएसटी और इनकम टैक्स के दायरे में आएंगे, और उन्हें इसका पालन करना होगा.
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