सरिया प्रखंड क्षेत्र में एक बड़ा हिस्सा जंगल-झाड़ से भरा है. जंगल में साल, पलाश, पियार, जामुन, अकेसिया जैसे पेड़ अधिक संख्या में हैं. इन जंगलों में बरसात के मौसम में विभिन्न प्रकार के मशरूम उग आते हैं. इसे स्थानीय भाषा में लोग खुखड़ी कहते हैं. इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. उत्तम स्वास्थ्य के लिए लाभदायक, पोषण से भरपूर तथा स्वादिष्ट होने के कारण लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. खपत के अनुसार बाजार में इसकी आपूर्ति कम होती है. इसके कारण यह ऊंचे कीमत पर बिकता है. बरसात के कारण जंगलों में विभिन्न प्रकार के मशरूम उगे. जंगल के किनारे रहनेवाले लोग इसे चुन सरिया बाजार लाते हैं. वहां उनकी अच्छी कीमत मिलती है. इस संबंध में ग्रामीण परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि सरिया प्रखंड क्षेत्र में सखुआ तथा कटीली झाड़ियाें के जंगल हैं. वहां बरसात के महीने खासकर आषाढ़ तथा सावन में जंगली मशरूम उगते हैं. सुबह-सुबह ग्रामीण जंगलों में जाकर इसे झाड़ियों तथा मिट्टी से चुन चुनकर बाजार में लाते हैं. अच्छे स्वाद तथा गुणकारी होने के कारण इसकी खपत अधिक होती है. इसी कारण लोग इसे शाकाहारी मटन भी कहते हैं.
ग्रामीण को हो रहा लाभ
वर्तमान में सरिया बाजार में फुटका 1000 रुपये प्रति किलो, भेरंडो खुखड़ी 400 रुपये, जबिक टेकनस (मशरूम) बाजार में 1200 से लेकर 1400 रुपए प्रति किलो उपलब्ध है. लगभग दो महीना जंगल के किनारे रहनेवाले ग्रामीण क्षेत्र के लोग इससे अर्थोपार्जन करते हैं. इस धंधे से जुड़े ग्रामीण प्रतिदिन एक-दो हजार रुपये कमाते हैं.
स्वास्थ्य के लिए है उत्तम
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरिया में कार्यरत चिकित्सक डॉ ललन कुमार ने बताया कि खुखड़ी प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम तथा आयरन का महत्वपूर्ण स्रोत है. इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिस कारण इसे खाने से भोजन के पचने में परेशानी नहीं होती है, इससे कब्ज दूर होती है, पेट साफ रहता है और ब्लड प्रेशर कम होता है. हृदय रोगियों के लिए यह बेहद फायदेमंद है. यह बरसाती इन्फेक्शन को भी दूर करता है. इसके बावजूद इसे खाने में सावधानी भी जरूरी है. कुछ खुखड़ी जहरीले भी होते हैं. इसका ध्यान रखकर ही इसका उपभोग करें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है