प्रशांत किशोर के दिलीप जायसवाल पर आरोपों के बाद भाजपा का पलटवार, दानिश इकबाल बोले- यह राजनीतिक साजिश
Bihar Politics, अनुज शर्मा , पटना: बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज होता जा रहा है. रविवार को जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर द्वारा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद सियासी सरगर्मी और बढ़ गई है. इस पूरे विवाद पर अब भाजपा ने औपचारिक प्रतिक्रिया दी है और पीके के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
दिलीप जायसवाल की साख को झूठे आरोपों से गिराया नहीं जा सकता
भाजपा बिहार के मीडिया प्रमुख दानिश इकबाल ने कहा, “राजनीति में वैचारिक मतभेद होना सामान्य है, लेकिन किसी की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर बिना किसी प्रमाण के कीचड़ उछालना निंदनीय है. डॉ दिलीप जायसवाल ने हमेशा संगठन और जनसेवा की राजनीति की है. उनकी साख को झूठे आरोपों से गिराया नहीं जा सकता.” भाजपा का कहना है कि आने वाले दिनों में डॉ दिलीप जायसवाल खुद एक विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से तथ्यों सहित पूरे प्रकरण पर अपना पक्ष सामने रखेंगे, ताकि सच्चाई जनता तक पहुंच सके.
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर का यह कदम महज चुनावी रणनीति का हिस्सा है. मीडिया प्रमुख ने कहा कि यह पूरा मामला सनसनी फैलाकर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास है.
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क्या है आरोप?
प्रशांत किशोर ने रविवार को पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि डॉ दिलीप जायसवाल ने किशनगंज स्थित माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्जा किया है. यह कॉलेज सिख समुदाय का अल्पसंख्यक संस्थान था, जिसे जायसवाल ने संस्थापक की संदिग्ध मृत्यु के बाद हड़प लिया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि कॉलेज ने 50 से अधिक नेताओं के रिश्तेदारों को बिना प्रवेश परीक्षा MBBS की डिग्री दी, जिनमें लालू यादव और राबड़ी देवी के परिजनों के नाम भी शामिल हैं. किशोर ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की और जायसवाल को खुली चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनके आरोप झूठे साबित हुए तो वे राजनीति छोड़ देंगे. अब देखना होगा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की ओर से आने वाली प्रतिक्रिया किस दिशा में राजनीति को मोड़ती है.
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