Bihar CM : बिहार के लखीसराय जिले में किऊल नदी पर बन रहा बेली ब्रिज का निर्माण अंतिम चरण पर है. इस पुल से किऊल और लखीसराय के बिच की दूरी और आने जाने की परेशानी दोनों ही दूर हो जाएगी. खासकर जब बारिश के मौसम में जब अस्थायी पुल पूरी तरह से बंद हो जाता है तब ये पुल लोगों की परेशानी को दूर करेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में प्रगति यात्रा के दौरान इस परियोजना का ऐलान किया था. इसके बाद राज्य सरकार ने रेलवे के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया है.
भूमि अधिग्रहण की कोई जरुरत नहीं
इस बेली ब्रिज का निर्माण पुराने रेलवे पुल की नींव पर किया जाएगा. इससे न सिर्फ खर्चे में कमी आएगी बल्कि समय की भी बचत होगी. प्रस्ताव के मुताबिक, पुल के दोनों किनारों पर फुटपाथ भी बनेगा ताकि पैदल चलने वाले लोगों भी सुविधा मिल सके. सबसे अच्छी बात यह है कि इस निर्माण में किसी भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं होगी जिससे पुल निर्माण कार्य और भी तेज हो जाएगा.
फिलहाल जुगाड़ से चल रहा था काम
फिलहाल किऊल और लखीसराय के लोग रेलवे पुल के किनारे पैदल चलते है, जबकि छोटे वाहन अस्थायी पुल से गुजरते है. लेकिन हर साल बारिश के मौसम में यह व्यवस्था ठप हो जाती है और लोगों को लम्बे रस्ते से गुजरना पड़ता है. बेली ब्रिज के बन जाने से यह समस्या खत्म हो जाएगी.
बेली ब्रिज की तकनीकी जानकारी
बेली ब्रिज का निर्माण तकनीकी रूप से आसान और तेज होता है. इसमें लोहे और स्टील के पैनल को जोड़कर एक मजबूत ढांचा तैयार किया जाता है. ऐसा पुल बिना किसी हेवी मशीन के भी बनाया जा सकता है. उस जगह पर आरसीसी पुल की प्रक्रिया में कई तकनीकी बाधाएं हैं, ऐसे में बेली ब्रिज एक फास्ट एंड इजी समाधान बन सकता है. इस पुल से इलाके के लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा.
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बेली ब्रिज के राजनीतिक मायने
इस पुल निर्माण की योजना के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. साल से अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह परियोजना सरकार की छवि मजबूत करने में मदद कर सकती है. लखीसराय के आसपास के इलाकों में यह परियोजना सरकार की जमीनी पकड़ को और भी मजबूत बना सकती है. (मृणाल कुमार)
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