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पूर्वांचल को दिला रहे नई पहचान, योगी ने गोरखपुर से किया आयुष क्रांति का आगाज़


Gorakhpur News: गोरखपुर में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ का उद्घाटन करते हुए इसे पूर्वांचल की ऐतिहासिक उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि यह केवल एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि एक नई दिशा है, जो पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश को आरोग्यता, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाएगा. कार्यक्रम की खास बात यह रही कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसमें शामिल होकर इसकी गरिमा को और बढ़ा दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का लगातार दो दिन उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेना, प्रदेश के लिए सम्मान की बात है.

प्रधानमंत्री मोदी के विजन से मिला आयुष को मंच

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय मंच देने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है. वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद उन्होंने आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग, सिद्ध और नेचुरोपैथी को एक साथ जोड़ते हुए आयुष मंत्रालय की स्थापना की, ताकि ये समृद्ध विधाएं केवल पुस्तकों में सिमटकर न रह जाएं, बल्कि आम जनमानस की जीवनशैली का हिस्सा बनें. आज यह मंत्रालय करोड़ों लोगों की जीवनशैली बदल रहा है और लोग फिर से प्रकृति और परंपरा की ओर लौट रहे हैं.

उत्तर प्रदेश को मिला पहला आयुष विश्वविद्यालय

सीएम योगी ने कहा कि यह विश्वविद्यालय न केवल प्रदेश का पहला आयुष संस्थान है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को स्वास्थ्य और स्वावलंबन के नए रास्ते भी दिखाएगा. इसमें शिक्षा, शोध, अभ्यास और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. इस संस्थान से 98 अन्य विश्वविद्यालय और विद्यालय जुड़े होंगे, जिससे प्रदेशभर के छात्रों को आयुष शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि किसान और ग्रामीण युवा भी आयुर्वेदिक खेती, औषधि उत्पादन और प्राकृतिक उपचार के क्षेत्र में नए अवसरों का लाभ उठा सकेंगे.

हर जिले में खुलेंगे आयुष कॉलेज और हेल्थ सेंटर

योगी आदित्यनाथ ने यह भी घोषणा की कि सरकार की योजना है कि उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद में आयुष पद्धति पर आधारित कॉलेज स्थापित किए जाएंगे, ताकि हर जिले के छात्र-छात्राएं पारंपरिक चिकित्सा की पढ़ाई अपने ही क्षेत्र में कर सकें. साथ ही, हर जनपद में ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’ बनाए जाएंगे, जिनमें कम से कम 100 बेड की सुविधा होगी. यह केंद्र स्थानीय लोगों को बिना खर्च के गुणवत्तापूर्ण उपचार देंगे और चिकित्सा पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे. विदेशी नागरिक भी भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर आकर्षित होंगे, जिससे स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.

गोरखपुर में स्थापित आयुष विश्वविद्यालय न केवल एक शैक्षणिक संस्थान है, बल्कि यह भारतीय परंपरा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन का प्रतीक बनकर उभरेगा. यह पूर्वांचल की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार तीनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाएगा, और भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को दुनिया भर में पहचान दिलाएगा.