Indian Railway News: उधमपुर–श्रीनगर–बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना, भारतीय रेलवे के इतिहास में तकनीकी दक्षता, मानव साहस और संकल्प का एक अनूठा प्रतीक है. यह परियोजना जम्मू-कश्मीर को अखिल भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली सबसे जटिल और महत्त्वपूर्ण योजनाओं में से एक है. वर्ष 2002 में इसे ‘राष्ट्रीय परियोजना’ घोषित किया गया था, ताकि राज्य में हर मौसम में निर्बाध और विश्वसनीय परिवहन सुनिश्चित किया जा सके.
परियोजना की भौगोलिक और तकनीकी जटिलताएँ
यूएसबीआरएल परियोजना का प्रमुख खंड—कटड़ा से धरम (किमी 30.00 से किमी 72.390 और किमी 91.00 से किमी 101.635 तक, कुल 52.20 किमी)—कोंकण रेलवे को सौंपा गया. इस खंड में:
85.5% हिस्सा (44.59 किमी) टनलों में है,
8.8% (4.6 किमी) पुलों पर, और
शेष 5.7 किमी कटिंग व भराव में स्थित है.
इस चुनौतीपूर्ण भूभाग में निर्माण कार्य करना बेहद कठिन था क्योंकि यहाँ की मिट्टी, चट्टानें और भूकंपीय गतिविधियाँ बार-बार डिजाइन में बदलाव की माँग करती थीं.

टनल निर्माण: अंधेरे को चीरती रोशनी
इस खंड में कुल 16 मुख्य सुरंगें बनाई गई हैं जिनकी कुल लंबाई 44.59 किमी है. इसके अलावा, 25.12 किमी की अतिरिक्त सुरक्षा सुरंगें, क्रॉस पैसेज और एडिट्स का निर्माण भी किया गया है.
सबसे लंबी टनल नं. 42 की लंबाई 9.274 किमी है. सुरंगों के निर्माण में न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) और पारंपरिक तकनीकों का कुशल मिश्रण प्रयोग किया गया.
चिनाब ब्रिज: विश्व की ऊँचाई छूता एक चमत्कार
चिनाब नदी पर बना चिनाब ब्रिज विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज है. इसकी प्रमुख विशेषताएँ:
1-: नदी तल से 359 मीटर ऊँचाई – एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊँचा.
2-: मुख्य आर्च स्पैन: 467 मीटर, जो नदी को पार करता है.
3-: कुल लंबाई: 1,315 मीटर, जिसमें 17 स्पैन शामिल हैं.
4-: वायाडक्ट का तीव्र घुमाव: 2.74 डिग्री, जिसे भारत में पहली बार एंड-ऑन लॉन्चिंग तकनीक से स्थापित किया गया.
5-: यह पुल ब्लास्ट लोड (विस्फोट भार) के लिए भी डिजाइन किया गया है, डीआरडीओ के सहयोग से.
6-: पुल के निर्माण में उन्नत वेल्डिंग तकनीकों, फैब्रिकेशन वर्कशॉप और विश्वस्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण तकनीकों का प्रयोग किया गया.
7-: अंजी ब्रिज: पहला केबल-स्टे रेल पुल

यूएसबीआरएल परियोजना का एक और गौरवशाली पहलू है अंजी खड्ड पुल, जो भारतीय रेल का पहला केबल-स्टे ब्रिज है. इसकी विशेषताएँ:
1-: कुल लंबाई: 473.25 मीटर (मुख्य पुल)
2-: सहायक वायाडक्ट: 120 मीटर
3-: पायलन की ऊँचाई: 193 मीटर (नदी तल से 331 मीटर तक).
4-: इस पुल को 96 केबल्स और एकल उल्टे-Y आकार के पायलन से सहारा मिला है.
5-: पुल में लगाया गया इंटीग्रेटेड मॉनिटरिंग सिस्टम इसकी संरचनात्मक स्वास्थ्य की निगरानी करता है.
दुर्गम में निर्माण: हेलीकॉप्टर से मशीनें और हाथों से हेलीपैड
रियासी जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भारी मशीनें पहुँचाना लगभग असंभव था. इसके लिए भारतीय वायु सेना के MI-26 हेलीकॉप्टर ने 21 उड़ानों में 260 टन से अधिक की मशीनरी को पहाड़ियों पर पहुँचाया.
सुरुकोट गाँव में केवल हाथ के औज़ारों से हेलीपैड का निर्माण किया गया, जहाँ कोई सड़क नहीं थी.
सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की आधारशिला
इस परियोजना का केवल तकनीकी ही नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से भी गहरा प्रभाव है:
1-: पर्यटन में वृद्धि: अब देशभर के पर्यटक कश्मीर घाटी तक आसानी से पहुँच सकेंगे.
2-: शिक्षा के अवसर: छात्रों को देशभर के संस्थानों तक सीधी और सुगम पहुँच मिलेगी.
3-: हर मौसम में संपर्क: पूरे वर्ष जम्मू-कश्मीर देश से जुड़ा रहेगा.
4-: गाँवों की मुख्यधारा से जुड़ाव: 172 किमी सड़कों का निर्माण कई दूरस्थ गाँवों को विकास से जोड़ेगा.
राष्ट्र निर्माण का एक प्रेरणादायक अध्याय
उधमपुर–श्रीनगर–बारामूला रेल लिंक परियोजना केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, सामर्थ्य और संकल्प की एक जीवंत मिसाल है. कोंकण रेलवे सहित इस परियोजना में लगे सभी इंजीनियरों और कर्मियों का योगदान राष्ट्र निर्माण के स्वर्णिम पृष्ठों में अमिट रहेगा.