World Bicycle Day: पटना. कोरोना काल में खुद को फिट रखने के लिए हर उम्र के लोगों ने साइकिल चलाना अपने रुटीन में शामिल किया. शहर में हर दिन सुबह रोजाना आपको इको पार्क, जू के पास और अन्य जगहों पर हर उम्र के लोग साइकिल करते हुए दिखेंगे. साइकिल चलाने के शौक रखने वाले लोग बस अपने इस सपने को सुबह के वक्त ही अपने घर के आस-पास बनें पार्क या फिर वीआइपी एरिया में साइकिल चला कर पूरा करते हैं. देश के बाहर अगर आप देखेंगे तो रोड के साथ अलग से साइकिल का लेन रहता है जिसमें बिना किसी डर के लोग साइकिल चलाते हैं. हालांकि शहर में सात-आठ साल पहले पटना जू के गेट नंबर दो पर साइकिल लेन तैयार किया गया था लेकिन ठीक से इसका रखरखाव नहीं किया गया. बाद में सड़क विस्तार के क्रम में साइकिल लेन के एक बड़े हिस्से को भी पीचिंग कर दिया गया जिससे अब इसका नामोनिशान भी नहीं है. मंदिरी नाले के ऊपर बन रही सड़क के किनारे भी साइकिल लेन बनाने की योजना थी, लेकिन वह भी बाद में संशोधित योजना में हटा दी गयी. साइकिल लेन की कमी से सुबह शाम स्वास्थ्य वर्धन के लिए साइकिल चलाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है. अब जरूरत है रोड किनारे साइकिल लेन भी तैयार करें जहां लोग आराम से बिना किसी एक्सीडेंट होने की डर से साइकिल चला सकें.
शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखता है साइकिल: वरिष्ठ फिजिशियन डॉ दिवकार
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए साइकिल चलाना सबसे अच्छा व्यायाम है. खासकर उनके लिए जिन्हें घुटने में दर्द रहता है. यह हृदय और फेफड़ों को मजबूत बनाता है, मांसपेशियों को टोन करता है, और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है. नियमित रूप से साइकिल चलाने से हृदय रोग, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है. मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी साइकिल चलाना बहुत फायदेमंद है. यह तनाव और चिंता को कम करता है, मूड को बेहतर बनाता है, और आत्मविश्वास को बढ़ाता है. साइकिल चलाने के दौरान ताज़ी हवा में सांस लेने और प्रकृति का आनंद लेने से मानसिक शांति मिलती है.
जल्द साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए खुलेगा एकलव्य केंद्र
साइकिल एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव डॉ कौशल किशोर सिंह ने कहा कि साइकिल एसोसिएशन ऑफ बिहार का गठन साल 2009 में किया गया था. इसका मकसद राज्य में मौजूद वैसे प्रतिभा को खोज निकालना जो साइकिलिंग में बेहतर प्रदर्शन करें. साल 2024-25 में राज्य में साइकिलिस्ट ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 16 मेडल जीता है. इससे यह साबित होता है कि राज्य में साइकिलिंग खेल में प्रतिभा की कोई कमी नहीं लेकिन राज्य में आधारभूत संरचना अभी तक नगण्य है. खिलाड़ियों को सही ट्रेनिंग और संसाधनों की कमी है. खेलो इंडिया में इस बार खिलाड़ियों ने ट्रैक साइकिलिंग में मेडल हासिल किया है इसके लिए खिलाड़ियों ने इसकी प्रैक्टिस नयी दिल्ली से की है क्योंकि यह सुविधा यहां नही हैं. जल्द इसी भी सुविधा होगी.एक सर्वे में यह पाया गया है कि पूरे देश में 90 प्रतिशत लोगों का साइकिल चलाना आता है लेकिन कंपीटीशन में जिस तरह से साइकिलिंग होती है इसमें उनका योगदान मात्र एक प्रतिशत ही है. इसका एक मूल कारण यहां पर ऐसा कोई केंद्र नहीं है जहां खिलाड़ियों को साइकिलिंग की प्रॉपर कोचिंग मिले. हमारी ओर से एकलव्य सेंटर बनाने को लेकर बिहार सरकार को प्रस्ताव दिया गया था. प्रस्ताव लगभग पारित हो गयी है. उम्मीद है जल्द एकलव्य सेंटर की सौगात यहां के खिलाड़ियों को मिलेगी. एसोसिएशन की ओर से मंगलवार को विश्व साइकिल दिवस पर साइकिल रैली निकाली जायेगी.
पर्यावरण संरक्षण और बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ जैसे मुहीम के लिए चला चुकी है देश के साथ विदेश में साइकिल
इंटरनेशल साइकिलिस्ट सबिता महतो बताती हैं कि उनका सफर आसान नहीं था. उनकी परवरिश एक बहुत ही कसर्वेटिव परिवार में हुई, जहां एक लड़की का साइकिल पर बैठना भी गलत माना जाता था लेकिन वह हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी. नौकरी कर रही थी लेकिन अपने सपने को पूरा करने के लिए नौकरी छोड़ दी. जिसके बाद उन्होंने साइकिलिंग को चुना – न सिर्फ एक खेल के रूप में, बल्कि एक क्रांति के तौर पर चुना. अकेले 177 दिनों में भारत के 29 में से 29 राज्यों में साइकिल से यात्रा की – यह कोई छुट्टियों की सैर नहीं थी, बल्कि आत्मबल और हौसले की परीक्षा थी. विश्व की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क – उमलिंगला पास (हिमालय में 19,024 फीट की ऊंचाई पर स्थित) पर साइकिल चलाने वाली दुनिया की पहली महिला बनी. यह उनके लिए सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि एक प्रतीक था – एक लड़की की जिद, साहस और सीमाओं को लांघने की हिम्मत का प्रतीक. बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों की सीमाओं तक साइकिल से यात्रा की, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के साथ बेटी के बचाने और पढ़ाने का संदेश था. यूके में वह एमबेसेडर के दौर पर कई जगहों पर साइकिलिंग की है.
लोगों से बातचीत जो रोजाना करते है साइकिल
- बेउर के ऋतिक कुमार ने कहा कि मैं और मेरे दो दोस्त रोशन कुमार और धर्मवीर पिछले चारों 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं. दोस्ती भी साइकिलंग की वजह से हुई. पिछले चार साल से हम सभी एक साथ रोजाना सुबह साइकिल चलाने के लिए एक साथ मिलते हैं. साइकिल चलाने से शारीरिक तौर पर स्वस्थ होने के साथ-साथ तनाव कम होता है.
- राजा बजार पटना के ललित राज ने कहा कि साइकिल के चलाने के कई फायदे हैं. 48 सालों से साइकलिंग कर रहा हूं. इससे फिजिकल एक्सरसाइज के साथ स्टैमिना, सहनशक्ति में बढ़ोतरी होती है. जिस दिन साइकिल नहीं चलाता हूं भारीपन सा लगता है. हर दिन सुबह पांच बजे से सात बजे तक साइकिल करते हैं.
- पटना एसके नगर के रामप्रमोद कुमार ने कहा कि मेरे साथ हाइ कोर्ट के वकील रविप्रकाश, कामेश्वर प्रसाद, राजकिशोर प्रसाद और बीडी इवनिंग कॉलेज के प्रोफेसर डॉ दीपक कुमार कोरोना काल से साथ में हर दिन साइकिलिंग करते हैं.रोजोना सुबह हम सभी एसके नगर मंदिर रोड के पास मिलते हैं और दस किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आप खुद का ख्याल रखना भूल जाते हैं. ऐसे में अगर आप रोजाना एक से दो घंटे साइकिल करते हैं यह आपको फिजिकली फिट रखता है. एन्वार्यमेंट फ्रेंडली होने के साथ 0 प्रतिशत प्रदूषण फैलाता है. आपको उर्जावान रखता है.
80 के दशक में साइकिल खरीदने में लोग सबसे आगे थे
फ्रेजर रोड स्थित राजधानी साइकिल शहर के सबसे पुराने साइकिल विक्रेता है. 1979 में इसकी स्थापना स्व प्रीतम सिंह ने की थी. अब पिछले 35 सालों से उनके बेटे परमजीत सिंह इसे संभाल रहे हैं. वह बताते हैं कि 80 के दशक में एवन,हीरो, हरकुलस, रैले, बीएसए और एटलस साइकिल का क्रेज सबसे ज्यादा था. महीने में दो हजार साइकिल लोग खरीद लेते थे. अब पिछले कुछ सालों में लोगों की दिनचर्या के साथ प्राथमिकता बदल गयी. साइकिल की कुछ कंपनी जैसे एटलस और रैले बंद हो गयी है. लोग साइकिल के जगह स्कूटी चलाना ज्यादा पसंद करते हैं. हमारे पास सबसे ज्यादा छोटे बच्चे दो साल से आठ साल की उम्र के लिए साइकिल लोग लेते हैं. वहीं बड़े वाली साइकिल में रेंज अलग-अलग है. हमारे यहां पांच हजार से लेकर तीस हजार तक की साइकिल है. हमारे पास लाख रुपये की भी साइकिल भी है लेकिन जब लोग ऑर्डर करते है तो हम देते हैं.
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