UP News: कहते हैं प्यार उम्र, जाति, स्थिति या समाज की सीमाएं नहीं देखता इसका एक अनोखा उदाहरण उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में देखने को मिला है. बंडा क्षेत्र की एक 45 वर्षीय विधवा महिला, जो अपनी बेटी की शादी के लिए लड़का देखने गई थी, खुद उस युवक के प्रेम में पड़ गई. हैरानी की बात ये रही कि जब बेटी को इस प्रेम कहानी की जानकारी मिली, तो उसने भी अपनी मां का साथ दिया और अपनी शादी टाल दी.
पति की मृत्यु के बाद अकेले कर रही थी बच्चों की परवरिश
जानकारी के अनुसार, महिला का पति तीन साल पहले दुनिया से चल बसा था. तब से वह अपने ससुराल में चार बच्चों के साथ रह रही थी. उसमें तीन बेटे और एक बेटी है. बड़ी बेटी की उम्र लगभग 20 वर्ष हो चुकी है. बेटी की शादी के लिए जब महिला रिश्ते की तलाश में जुटी, तब उसे एक युवक से संपर्क हुआ.
फोन पर बातचीत से शुरू हुआ रिश्ता, प्यार में बदली मुलाकातें
बेटी के संभावित दूल्हे से जब महिला की बातचीत शुरू हुई, तो दोनों के बीच भावनात्मक लगाव बनने लगा. पहले साधारण बातचीत हुई, फिर बातों में अपनापन आने लगा और धीरे-धीरे वह रिश्ता प्यार में बदल गया. यह युवक महिला से उम्र में लगभग आधा यानी करीब 22-23 साल का है.
बेटी ने दिखाई परिपक्वता, खुद पीछे हट गई
जब इस अनोखे रिश्ते की खबर बेटी को हुई, तो उसने बेहद परिपक्वता दिखाई. न कोई नाराजगी, न विरोध बल्कि उसने अपनी मां की खुशी को प्राथमिकता दी. बेटी ने साफ शब्दों में कहा, “मां, आप खुश रहो. पहले आप शादी कर लो, मेरी शादी बाद में हो जाएगी.”
परिजनों की सहमति के बाद मंदिर में हुई शादी
बेटी और युवक के परिवारों की सहमति के बाद, चार दिन पूर्व शाहजहांपुर के एक मंदिर में दोनों ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाकर विवाह कर लिया. शादी बेहद सादगी से हुई लेकिन इसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में फैल गई. लोगों के लिए यह घटना असामान्य और हैरतअंगेज रही.
शादी के बाद अकेली लौटी महिला, गांव में बनी चर्चा का केंद्र
शादी के बाद महिला अपने नवविवाहित पति को साथ नहीं लायी, बल्कि अकेले ही अपने गांव लौट आई. गांव के लोगों से जब इस विषय में बात की गई, तो अधिकतर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. हालांकि गांव में और आसपास यह मामला सुर्खियों में है. चौपालों से लेकर बाजार तक हर जगह इस शादी की चर्चा हो रही है.
सवाल भी उठे, लेकिन प्यार के फैसले को मिला समर्थन भी
जहां कुछ लोग इस शादी को असामान्य मानकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कई लोग महिला के आत्मनिर्णय और बेटी की समझदारी की तारीफ भी कर रहे हैं. समाज में ऐसे मामलों को लेकर धीरे-धीरे सोच बदल रही है, और यह घटना उसी बदलाव की मिसाल बनती नजर आ रही है.
यह मामला न सिर्फ प्रेम की ताकत को दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि यदि परिवार का साथ हो, तो सामाजिक रूढ़ियों को भी तोड़ा जा सकता है.