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पटना में राजकुमार और वामिका का चला शो, प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे ‘भूल चूक माफ’ के स्टार्स


Bhool Chuk Maaf 2025: रिश्तों की गहराई, संघर्ष की सच्चाई और बिहार से जुड़े अपनेपन पर बोले अभिनेता राजकुमार-

Q. ‘भूल चूक माफ’ आपके दिल के कितने करीब है ?
Ans – बहुत करीब है. इसमें सिर्फ कॉमेडी नहीं, एक गहरायी भी है. ये फिल्म आपको हंसायेगी, सोचने पर मजबूर करेगी और दिल से भी जोड़ेगी. मुझे लगता है बिहार के दर्शक इससे खूब जुड़ाव महसूस करेंगे.

Q. ‘भूल चूक माफ’ जैसी फिल्म को करने के लिए आपको क्या खास लगा?

Ans – यह स्क्रिप्ट पढ़ते ही मुझे बेहद यूनिक लगी. टाइम-लूप कॉन्सेप्ट पर आधारित ऐसी कॉमेडी फिल्म हिंदी सिनेमा में बहुत कम ही देखने को मिलती है. इसमें मनोरंजन भी है और इमोशनल कनेक्शन भी.

Q. दर्शकों को फिल्म से क्या उम्मीद रखनी चाहिए?

Ans – दर्शकों को एक ऐसी फिल्म देखने को मिलेगी जो हंसायेगी भी, सोचने पर मजबूर भी करेगी और दिल को छूने वाले पल भी देगी. यह पूरी फैमिली के साथ देखने लायक फिल्म है.

Q. बिहार से जुड़ी कोई खास बातें, फिल्म प्रमोशन के लिए यहां का चुनाव और यहां के लोगों के प्रति आपके दिल में क्या भावनाएं हैं?

Ans- बिहार का कल्चर, लोग, भाषा सब कुछ दिल को छू लेने वाला है. मेरी कई फिल्मों की शूटिंग बिहार के माहौल पर आधारित रही है. पटना आकर लगा जैसे अपने लोगों के बीच हूं. यहां का अपनापन और सच्चाई मुझे हमेशा आकर्षित करती है. बिहार के लोग सिनेमा देखते हैं. बड़े पर्दे पर अपने परिवार के साथ सिनेमा देखना पसंद करते हैं. कलाकारों को यहां के लोग काफी प्यार करते हैं.

Q. आप इतने विविध किरदारों को बड़ी सहजता से निभा लेते हैं. इसकी प्रेरणा कहां से मिलती है?

Ans- मैं हर किरदार को एक नये अनुभव की तरह लेता हूं. मेरे लिए हर स्क्रिप्ट एक नयी यात्रा है. मैं लोगों को ऑब्जर्व करता हूं, असल जिंदगी से किरदारों की परतें खोजता हूं. हर रोल में खुद को खोजना पसंद है. असली जुड़ाव तो फिल्मों से होता है. इसके लिए बाहरी फिल्में भी देखता हूं. हर समय कोशिश करता हूं कि कुछ नया रहे.

Q. आपने अपने करियर की शुरुआत में काफी संघर्ष किया. उस दौर को कैसे देखते हैं?

Ans – हां, शुरुआत आसान नहीं थी. मुंबई आया तो जेब में बहुत कम पैसे थे. छोटे-छोटे ऑडिशन करता था, रिजेक्शन झेलता था, लेकिन एक भरोसा था कि मेहनत रंग लायेगी. मैं हमेशा मानता हूं कि सपनों के लिए संघर्ष जरूरी है, तभी उनकी कीमत समझ में आती है.

Q. क्या उस दौर में किसी ने खास साथ दिया?

Ans – मेरे परिवार ने हमेशा मेरा साथ दिया. जब घर से दूर था तो दोस्त ही परिवार बन गये. आज जो भी हूं, उन लोगों के विश्वास और अपने खुद के धैर्य का नतीजा है.

Q. शूटिंग के बाद आप खुद को कैसे रिलैक्स करते हैं?

Ans – घर पर रहना, किताबें पढ़ना और वाइफ (पत्रलेखा) के साथ समय बिताना मुझे बहुत पसंद है. कभी-कभी ट्रैवल भी करता हूं, ताकि खुद को रिफ्रेश कर सकूं. मैं कभी भी अपने काम से बोर नहीं होता हूं. मुझे काम करना पसंद है. मैं एक बार में एक फिल्म ही करता हूं. खुद को कभी सिरीयस नहीं लेता हूं. काम से प्यार है. मेहनत करता हूं और रिलैक्स रहता हूं.

Q. आपकी लव लाइफ की बात करें, तो पत्रलेखा आपके जीवन का अहम हिस्सा हैं. आपके रिश्ते को क्या मजबूत बनाता है?

Ans – हम दोनों एक्टिंग बैकग्राउंड से हैं, तो एक-दूसरे की जर्नी और स्ट्रगल को समझते हैं. हमारी दोस्ती बहुत गहरी है और रिश्तों में सबसे जरूरी चीज है. सम्मान और भरोसा. हम एक-दूसरे को आजादी भी देते हैं और मजबूती भी.

Q. युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे, खासकर छोटे शहरों से आने वाले सपने देखने वालों को?

Ans – अपने सपनों को छोटा मत समझो. आप किस परिवार या किस गांव से आते हो, यह मत सोचों. मैं भी एक छोटे शहर से आया था और आज जहां हूं, वो सिर्फ मेहनत और धैर्य की बदौलत है. रास्ते मुश्किल होंगे, लेकिन हिम्मत मत हारो. जो सपना दिल में बसा हो, वो जरूर पूरा होता है.

Q. निजी जिंदगी में राजकुमार राव कैसे इंसान हैं?

Ans – बहुत सिंपल हूं. कैमरे के पीछे एक आम इंसान की तरह जीता हूं. परिवार, दोस्त और सादगी मुझे सबसे ज्यादा खुशी देती है. रात को जब आप सोने जाये तो सुकुन की नींद आये.

Q. आपके जीवन में मां का प्रभाव?

Ans – मैं जो भी करता हूं, मां को सामने रखकर करता हूं. मेरी हर सफलता में मेरे साथ खड़ी हैं. मां को न सिर्फ जीवन का सहारा मानते हैं, बल्कि एक ऐसी ताकत भी, जो आज भी उन्हें अंदर से मजबूत बनाती है. मां चाहती हैं कि वह अपना काम पूरे समर्पण से करें. मैं मां की बातों को मान कर मेहनत करता रहता हूं.

माफी और समझदारी से रिश्ते बचाये जा सकते हैं : वामिका गब्बी

Q. आपने पहली बार राजकुमार राव के साथ काम किया, अनुभव कैसा रहा?
Ans – हां, मैं शुरुआत में थोड़ी नर्वस थी क्योंकि राजकुमार जैसे अनुभवी और शानदार अभिनेता के साथ काम करना था. लेकिन उन्होंने बहुत सहज और सपोर्टिव माहौल बना दिया. ये अनुभव मेरे करियर का खास हिस्सा रहेगा. मेरे घर वाले भी काफी खुश हैं.

Q. बिहार के दर्शकों से क्या कहना चाहेंगी?

Ans- हमें यकीन है कि बिहार के दर्शक भी इस फिल्म को उतना ही प्यार देंगे जितना हमारे परिवार ने दिया. ये फिल्म हंसी और दिल के रिश्ते दोनों को एक साथ जोड़ती है.

Q. ‘भूल चूक माफ’ में अपने किरदार को लेकर आप कितनी एक्साइटेड थीं?

Ans- बहुत ज्यादा! जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी, तो लगा जैसे ये किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है. इसमें इमोशन, कॉमिक एलिमेंट और एक बहुत ही मजबूत मैसेज है कि इंसान गलतियां करता है, लेकिन माफी और समझदारी से रिश्ते बचाये जा सकते हैं.

Q. फिल्म का टाइटल बहुत दिलचस्प है. आपके अनुसार इसका असल मतलब क्या है?

Ans- मेरे लिए ‘भूल चूक माफ’ सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि जिंदगी का तरीका है. हम सबसे गलतियां होती हैं. रिश्तों में, फैसलों में, लेकिन अगर हम माफ करना और माफी मांगना सीख लें, तो बहुत सी चीजें आसान हो जाती हैं. यही संदेश फिल्म बहुत हल्के और प्यारे अंदाज में देती है.

Q. राजकुमार राव और फिल्म निर्देशक करण शर्मा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

Ans- बेहद शानदार! राज बहुत सहज अभिनेता हैं. उनके साथ कैमरा के सामने काम करना आसान हो जाता है. करण शर्मा एक संवेदनशील निर्देशक हैं, जो किरदार की गहराई में जाते हैं. सेट पर एक बहुत सकारात्मक एनर्जी थी.

Q. बिहार के दर्शकों को आप क्या कहना चाहेंगी?

Ans- बिहार में आना हमेशा खास होता है. यहां के लोग बहुत सच्चे और गर्मजोशी से भरे हैं. मुझे उम्मीद है कि ‘भूल चूक माफ’ आपको हंसायेगी, रुलायेगी और सोचने पर मजबूर भी करेगी. और हां, गलती हो जाये तो थोड़ा माफ भी करियेगा.

बिहार की मिट्टी में भावनाओं की एक अलग गहराई है : करण शर्मा

Q. ‘भूल चूक माफ’ जैसी फिल्म बनाने की प्रेरणा कहां से मिली?
Ans- यह फिल्म मेरी निजी सोच और अनुभवों से निकली है. हम सभी जीवन में गलतियां करते हैं. चाहे वह पारिवारिक रिश्ते हों या दोस्ती. लेकिन माफी मांगना और माफ करना एक कला है, और यह फिल्म उसी भावना को दर्शाती है. मैंने चाहा कि इस संवेदनशील विषय को हल्के-फुल्के लेकिन गहरे अंदाज में पेश किया जाये. इसके कारण मुझे कोई मिठास वाले शहर की तालाश थी. इस कारण बनारस को चुना.

Q. फिल्म का टोन हल्का-फुल्का है, लेकिन संदेश गहरा. यह संतुलन आपने कैसे साधा?

Ans- यही तो चुनौती और खूबसूरती दोनों थी. मैं नहीं चाहता था कि फिल्म भारी-भरकम लगे. हमने ऐसी स्थितियां चुनीं जिनमें आम दर्शक खुद को देख सके, मुस्कुरा सके और सोच सके. किरदारों के संवाद और उनकी नोंक-झोंक के पीछे बहुत सोच-समझकर भावनाओं को बुना गया है.

Q. राजकुमार राव और वामिका गब्बी जैसे कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

Ans- ये दोनों बेहतरीन कलाकार हैं और अपने किरदारों में जान डाल देते हैं. राजकुमार सहजता से गहरायी लाते हैं, और वामिका का स्क्रीन प्रेजेंस बेहद प्रभावशाली है. 100 प्रतिशत देने का तो वो 200 प्रतिशत दिया. सेट पर उनका समर्पण इस फिल्म की आत्मा को मजबूत करता है.

Q.फिल्म को बिहार के दर्शकों को दिखाने की नजरिया?

Ans- बहुत खास. बिहार की मिट्टी में भावनाओं की एक अलग गहराई है. यहां के दर्शक बहुत संवेदनशील हैं और अच्छी कहानी की कद्र करते हैं. ‘भूल चूक माफ’ यहां के दर्शकों के दिल से जुड़ेगी, मुझे पूरा भरोसा है.

Q. नयी पीढ़ी के लिए आप इस फिल्म को कैसे परिभाषित करेंगे?

Ans- आज के रिश्तों में ईगो ज्यादा है, संवाद कम. ये फिल्म यही कहती है कि संवाद से दूरी और माफी से इनकार, सबसे बड़ा नुकसान करते हैं. अगर युवा ये समझ सकें कि इंसान होने का मतलब है गलती करना और सुधारने की कोशिश करना, तो हम बेहतर समाज की ओर बढ़ेंगे.

Q. सिनेमाघर का स्थान ओटीटी ले रहा है. इसपर क्या कहना चाहेंगे ?

Ans- बिहार में सिनेमा का चलन है. फिल्म बड़े पर्दो पर ही देखने में मजा आता है. सिनेमा सिनेमा हॉल में ही चलेगी. ओटीटी सिनेमा हॉल का स्थान नहीं ले सकता है. हम उन फिल्मों को सिनेमाघरों पर नहीं दिखायेंगे जो देखना चाहिए, तो यह इंडस्ट्री के लिए सही नहीं होगा. फिल्में अच्छी रहेगी तो लोग सिनेमा घरों में आयेंगे.

Q. दर्शकों के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?

Ans- आइये और इस फिल्म को देखें. हंसिये, सोचिये और शायद अपने किसी पुराने रिश्ते को एक और मौका दीजिये. अगर कोई ‘भूल’ हो गयी हो, तो उसे ‘माफ’ करना भी सीखिए.

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