Patna News: फलों के राजा कहे जाने वाले आम और बच्चों की पसंदीदा लीची की पहली खेप पटना के बाजार में आ चुकी है. इस समय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र से आम की आवक हो रही है, जबकि लीची मुजफ्फरपुर और वैशाली से बाजार में पहुंची है. लेकिन अभी बाजार में आने वाले आम और लीची स्वाद और सुगंध के मामले में ग्राहकों को निराश कर रहे हैं. थोक विक्रेता मोहम्मद परवेज बताते हैं कि इस बार मौसम की अनिश्चितता के कारण पैदावार प्रभावित हुई है. अभी आवक कम है, जिससे कीमतें ऊंची हैं. जून के पहले सप्ताह से हालात सुधरेंगे. जबकि खुदरा विक्रेता विकास कुमार कहते हैं, अभी ग्राहक टेस्टिंग के लिए खरीद रहे हैं. असली खरीदार तब आयेंगे जब कीमतें घटेंगी और बारिश होने के बाद इसका स्वाद बढ़ेगा.
जून से ले पायेंगे लंगड़ा और दूधिया मालदह की स्वाद
स्थानीय बाजारों में बंगाल का मालदह, मुंबईया मालदह, गुलाब खस, बैगनपल्ली, दशहरी, तोतापरी, चौसा और लंगड़ा आम दिखने लगे हैं. पटना के लोग विशेष रूप से लंगड़ा आम का इंतजार कर रहे हैं, जिसकी आवक जून के पहले सप्ताह से शुरू होती है. वहीं फल विक्रेताओं ने बताया कि पटना के दीघा का दुधिया मालदह भी इसी समय बाजार में दस्तक देगा. दुधिया मालदह की खासियत है कि इसके छिलके के ऊपर चूना की तरह दूधिया रंगा होता है. फल पकने की अवस्था में पीलापन लिए हुए हरे रंग का होता है. कई खासियत के कारण दूधिया मालदह की गुठली पतली, छिलका और बिना रेशा वाला गुदा होता है, जो खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. एक आम का वजन लगभग 250 ग्राम का होता है. वहीं भागलपुर का विश्व प्रसिद्ध आम जर्दालु अगले दो सप्ताह बाद पटना के बाजार में आ जायेगा.
- जानें- फल मंडी में क्या है कीमत
- थोक बाजार
- आम: ₹60–₹80 प्रति किलो
- लीची: ₹100–₹150 प्रति किलो
- खुदरा बाजार
- आम: ₹100–₹200 प्रति किलो
- लीची: ₹150–₹200 प्रति किलो
केमिकल से पके फलों से करें परहेज
जनरल फिजीशियन डॉ अमित कुमार कहते हैं, बाजार में बिकने वाले कई फल- खासकर आम-लीची कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों से पकाये जा रहे हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हैं. खासकर खाली पेट लीची का सेवन बच्चों के लिए घातक हो सकता है. उन्होंने बताया कि बहुत ज्यादा पीले, एक जैसे रंग वाले आमों को न खाएं. ऐसे आमों को कार्बाइड से पकाया जाता है, जिससे पेट में दर्द, उल्टी, गैस्ट्रिक समस्या और लंबे समय में कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं. बेहतर है कि इन फलों को पानी में कुछ घंटे तक रखें और फिर सेवन करें.
व्यापारी नहीं करते आपकी सेहत की परवाह
विशेषज्ञों का मानना है कि समय से पहले बाजार में उतारे गये फलों में मिठास कम और खतरे अधिक होते हैं. व्यापारी वर्ग को सिर्फ लाभ दिख रहा है, फल की गुणवत्ता और उपभोक्ताओं की सेहत से कोई सरोकार नहीं. एफएसएसएआइ के अनुसार, कैल्शियम कार्बाइड से पकने पर निकलने वाली एसिटिलीन गैस में आर्सेनिक और फास्फोरस जैसे जहरीले तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं. इस केमिकल की वजह से लोगों को चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, जलन, कमजोरी, कोई चीज निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा के अल्सर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा एसिटिलीन गैस भी इतनी ही खतरनाक है. वहीं, कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर साल 2011 से प्रतिबंध लगा हुआ है. इसके बावजूद व्यापारी इस केमिकल का उपयोग कर आम पका रहे हैं.
ऐसे करें अच्छे आम की पहचान
फल विक्रेता मो अख्तर कहते है- अधिक चमकदार और एक जैसे पीले रंग वाले आमों से बचें. यह केमिकल से पकाये गये हो सकते हैं. सूंघकर देखिए, असली पके आमों में एक प्राकृतिक मीठी सुगंध होती है. आम को हल्के से दबाने पर वह थोड़ा नरम लगे, तो वह पका हुआ होता है.
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