MPCE Jharkhand: झारखंड में गांव और शहर में प्रति व्यक्ति खर्च का अंतर बढ़ रहा है. वर्ष 2022-23 में गांव और शहर का अंतर 78 प्रतिशत था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया है. सबसे अमीर लोगों के खर्च में और सबसे गरीब लोगों के खर्च में भी बड़ा अंतर है. झारखंड सरकार के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो वर्ष 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्र में प्रति माह प्रति व्यक्ति खर्च 2,763 रुपए और शहरी क्षेत्र में 4,931 रुपए था. यह अंतर 78 प्रतिशत था. वर्ष 2023-24 के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रति वर्ष 2,946 रुपए और शहरी क्षेत्र में 5,393 रुपए रहा. यह दिखाता है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खर्च का अंतर 83 फीसदी का है. यानी शहरी क्षेत्र के लोग 83 फीसदी अधिक खर्च करते हैं. यह दर्शाता है कि एक साल में ग्रामीणों और शहरी लोगों के रहन-सहन का गैप बढ़ा है.
क्या है एमपीसीई (मंथली पर कैपिटा एक्सपेंडिचर)?
झारखंड सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मंथली पर कैपिटा एक्सपेंडिचर (MPCE) एंड कंजंप्शन इनइक्वालिटी इन झारखंड अर्थात ‘झारखंड में प्रति माह प्रति व्यक्ति खर्च और उपभोग में अंतर’ सेक्शन में यह जानकारी दी है. एमपीसीई किसी भी राज्य या देश के लोगों की आर्थिक स्थिति, उनके रहन-सहन का दर्पण है. यह लोगों के जीवन स्तर के बारे में दर्शाता है. आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति खर्च में वृद्धि हुई है.
सबसे गरीब 10 फीसदी लोगों का मासिक खर्च 2215 रुपए
सरकार के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले सबसे गरीब 10 फीसदी लोग प्रति माह 2,215 रुपए खर्च करते हैं, जबकि इसके उलट शहर में रहने वाले सबसे अमीर 10 फीसदी लोगों का प्रति माह खर्च 8,315 रुपए है, जो सबसे गरीब के खर्च की तुलना में चार गुणा से अधिक है. मिडिल क्लास की बात करें, तो उनका प्रति माह खर्च 4,154 रुपए है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों में रहने वाली आधी से अधिक आबादी 4,154 रुपए या इससे कम खर्च करती है. अगर शीर्ष 20 प्रतिशत अमीर आबादी का प्रति माह खर्च 6,532 रुपए से 8,315 रुपए के बीच है.
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भोजन पर 48 फीसदी खर्च करते हैं ग्रामीण, शहरी का खर्च 42 फीसदी
ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग अनाज और भोजन पर शहरी क्षेत्र के लोगों से ज्यादा खर्च करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अनाज पर 7 फीसदी खर्च करते हैं. इनका 48 फीसदी खर्च भोजन पर होता है. अगर बात करें, शहरी क्षेत्र के लोगों के खर्च की, तो उनका 6 प्रतिशत खर्च अनाज पर और 42 फीसदी खर्च भोजन पर करते हैं. इस तरह देखेंगे, तो पायेंगे कि भोजन पर खर्च करने के मामले में शहरी क्षेत्र के लोग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से पीछे हैं.
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9.59 किलो अनाज खाते हैं शहरी, ग्रामीण 9.93 किलोग्राम
अनाज की खपत के मामले में भी शहरी क्षेत्र के लोग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों से पीछे हैं. गांवों में रहने वाले लोग प्रति माह 9.93 किलोग्राम अनाज का उपभोग करते हैं, जबकि शहरी क्षेत्र के लोग 9.59 किलोग्राम अनाज का उपयोग करते हैं. ग्रामीणों का मुख्य भोजन चावल है. ग्रामीण 68.36 फीसदी चावल, 31.34 फीसदी गेहूं और 0.25 फीसदी खुरदुरे अनाज का इस्तेमाल करते हैं. शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग 56.97 फीसदी चावलऔर 42.97 फीसदी गेहूं का इस्तेमाल करते हैं. शहरी लोग मात्र 0.03 फीसदी खुरदुरे अनाज का इस्तेमाल करते हैं.
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